डीएम के दो-दो बार निलंबन की अनुशंसा को नहीं माना विभाग, मांगा आरोप पत्र
बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता के ऊपर शराब के नशे में दो पुलिसकर्मियों को धक्का मारने और निर्वाचन जैसे कार्य में घोर लापरवाही बरतने के दो-दो गंभीर आरोप होने के साथ-साथ डीएम के स्तर से दो-दो बार निलंबन की अनुशंसा के बावजूद विभाग द्वारा निलंबित नहीं किया जाना ग्रामीण विकास विभाग के कार्यशैली पर स्पष्ट रूप से सवाल खड़े कर रही है.
भभुआ कार्यालय. पूरे बिहार में शराबबंदी लागू है और बिहार सरकार का सरकारी कर्मचारी ही अगर शराब के नशे में पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, कुछ ऐसा ही एक मामला पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सामने आया था़ जब, चैनपुर के तत्कालीन बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता द्वारा शराब के नशे में 30 मई की रात को लगभग 10:15 बजे शराब की जांच कर रहे दो पुलिसकर्मियों को जानबूझकर धक्का मार दिया था, जिसमें दोनों पुलिसकर्मी गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे. दरअसल, बीडीओ अपनी निजी वाहन से चैनपुर से भभुआ आ रहे थे, जब उन्होंने शराब जांच करते हुए पुलिसकर्मियों को देखा तो शराब के नशे में होने के कारण पुलिस कर्मियों द्वारा रोके जाने के बावजूद उन्होंने जानबूझकर धक्का मारते हुए भागने का प्रयास किया था, जिसमें दो पुलिसकर्मी बुरी तरह जख्मी हो गये थे और उनका इलाज वाराणसी में कराया गया था. वहीं, अन्य पुलिसकर्मियों ने भागने के दौरान बीडीओ को पकड़ लिया था. उक्त घटना के ठीक एक दिन बाद कैमूर में लोकसभा चुनाव था. वहीं, दूसरी तरफ उक्त घटना से पहले बीडीओ द्वारा चुनाव के दौरान भी घोर लापरवाही बरती जा रही थी, वह घटना से चार दिनों पहले बिना छुट्टी के अपने प्रखंड से गायब हो गये थे. वहीं, जब डीएम ने उनसे जब स्पष्टीकरण की मांग की, तो उन्होंने स्पष्टीकरण का जवाब भी नहीं दिया. डीएम द्वारा उक्त बीडीओ को शराब के नशे में दो पुलिसकर्मियों को जानबूझकर धक्का मारने व चुनाव कार्य के लिए अयोग्य करार देते हुए ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता को निलंबित करने की अनुशंसा की थी, लेकिन उसके बाद भी बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता को निलंबित नहीं किया गया. इसके बाद डीएम सावन कुमार द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर मुख्य सचिव को दोबारा बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता को निलंबित करने के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि डीएम द्वारा दो-दो बार बीडीओ को निलंबित करने की अनुशंसा की गयी, डीएम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि चंद्रभूषण गुप्ता निर्वाचन कार्य के लिए पूरी तरह से अयोग्य हैं. इसके बावजूद बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता को विभाग द्वारा निलंबित नहीं किया गया. बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता के ऊपर शराब के नशे में दो पुलिसकर्मियों को धक्का मारने और निर्वाचन जैसे कार्य में घोर लापरवाही बरतने के दो-दो गंभीर आरोप होने के साथ-साथ डीएम के स्तर से दो-दो बार निलंबन की अनुशंसा के बावजूद विभाग द्वारा निलंबित नहीं किया जाना, स्पष्ट रूप से बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता के पहुंच व पैरवी के साथ-साथ ग्रामीण विकास विभाग के कार्यशैली पर स्पष्ट रूप से सवाल खड़े कर रही है. = आरोप पत्र भी नहीं किया गया गठित डीएम सावन कुमार द्वारा ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को चैनपुर के तत्कालीन बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता को निलंबित करने की अनुशंसा के बाद उनकी जगह पर एक अन्य अधिकारी को चैनपुर बीडीओ के रूप में तैनात कर चुनाव कराया गया था. अपर मुख्य सचिव को निलंबन की अनुशंसा के साथ-साथ डीएम ने भभुआ के एसडीएम विजय कुमार को चैनपुर के तत्कालीन बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता पर आरोप गठित कर आरोप पत्र भेजने का निर्देश दिया था. लेकिन, विभाग की उदासीनता देखिए कि डीएम की अनुशंसा के बावजूद जहां एक तरफ बीडीओ को निलंबित नहीं किया गया, वहीं दूसरी तरफ उक्त बीडीओ के खिलाफ डीएम के आदेश के बावजूद आरोप पत्र भी नहीं भेजा गया. दूसरी तरफ ग्रामीण विकास विभाग डीएम द्वारा निलंबन की अनुशंसा को नहीं मानते हुए अब कैमूर डीएम को पत्र लिख बीडीओ चंद्रभूषण गुप्ता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए आरोप पत्र मांगा है, कुल मिलाकर शराब के नशे में दो-दो पुलिसकर्मियों को धक्का मारने, चुनाव जैसे कार्य में घोर लापरवाही बरतने के मामले में निलंबित नहीं किया जाना और ढाई महीने बाद आरोप पत्र मांगा जाना स्पष्ट रूप से ग्रामीण विकास विभाग के कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है. दो-दो बार निलंबन की अनुशंसा डीएम द्वारा किये जाने के बावजूद विभाग के द्वारा निलंबित नहीं किया जाना जिले के अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. खासकर लोगों में यह चर्चा है कि शराब के मामले में खासकर जब कोई सरकारी कर्मचारी शराब के नशे में पाया जाता है, तब सरकार का जो सख्त रुख है उसके बावजूद जिस तरह से बीडीओ के खिलाफ विभाग द्वारा नरमी बरती जा रही है, वह चौंकाने वाला है.
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