भभुआ सदर. लगभग 23 साल पहले बिछड़े भगवानपुर थाना क्षेत्र के मातर गांव निवासी गूंगा केवट को अंतत: भभुआ थानाध्यक्ष मुकेश कुमार, पहड़िया गांव के पूर्व मुखिया निर्मल सिंह और पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि भगवानपुर मंटू सिंह की सहायता से मंगलवार को उसका परिवार मिल गया. हालांकि, परिवार में अब केवल उसकी भौजाई बची हुई है, जिसके द्वारा युवक की शिनाख्त अपने देवर के रूप में की गयी है. युवक के बड़े भाई की हाल फिलहाल मोहनिया में ट्रेन से कटकर मौत हो गयी थी जबकि पिता की उसके गायब होने के बाद ही मौत हो गयी थी. शादीशुदा नहीं होने के कारण घर में केवल उसकी विधवा भौजाई ही बच गयी है. 23 साल बाद मूकबधिर युवक को उसके परिजनों से मिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि मंटू सिंह ने बताया कि गूंगा केवट उनके गांव मातर का ही रहनेवाला है. वर्ष 2001 में वह गांव के अपने साथियों शृंगार यादव सहित अन्य के साथ अखलासपुर में लगने वाले मकर संक्रांति का मेला घूमने गया था. वहां वह दोस्तों से बिछड़ गया. बिछड़ने के बाद फिर वह वापस गांव नहीं लौट पाया, तो वर्ष 2013 में अखलासपुर बस स्टैंड में लिट्टी चोखे की दुकान खोले लक्ष्मण केवट ने उसे अपनी दुकान पर रख लिया था. तब से वह उन्हीं के साथ रह रहा था. इसी बीच बस स्टैंड में एक दुकान पर बोरा सिलने का काम करने वाले उसके गांव के बिगाड़ू केवट ने उसे देख कर पहचान लिया और इसकी सूचना गांव जाकर उसकी भौजाई को दी. इसके बाद इसकी सूचना सदर थानाध्यक्ष को दी गयी. थानाध्यक्ष द्वारा मंगलवार को पुलिस भेजकर युवक को बरामद कर उसे थाने लाया गया, जहां कागजी कार्रवाई करने के बाद बिछड़े युवक को उसके परिजन को सौंप दिया गया है.
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