भभुआ शहर. कैबिनेट में कैमूर और रोहतास जिलों के 132 गांवों को ग्रिड से बिजली आपूर्ति के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है, जहां तार के माध्यम से ग्रिड से बिजली आपूर्ति का निर्णय लिया गया है. इसके तहत 117.80 करोड़ की योजना को स्वीकृत दी गयी है. दरअसल, कैमूर के डीएम सावन कुमार की और से कैमूर पहाड़ी पर स्थित गांव में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति नहीं होने से विकास प्रभावित होने, सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिलने को लेकर ऊर्जा विभाग को बताया गया था. इसके बाद अफसरों ने कैमूर जिला के अधौरा के कई गांव में दौरा कर बिजली के बिना होने वाली कई परेशानियों को जमीनी हकीकत जाना, साथ ही सौर ऊर्जा के माध्यम से दी जाने वाली बिजली की जमीनी सच्चाई का पता चला, तो साउथ बिहार डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की ओर से विभाग को अवगत कराया गया था. यहां वर्तमान में जिले के अधौरा पहाड़ी क्षेत्रों स्थित 108 गांवों में सिर्फ तीन गांव अधौरा, बभनीकला और चैनपुरा गांव में ही बिजली की सप्लाई की जाती है, वहीं 105 गांव सड़की, सोढा, दुग्धा, बंधा, सारोदाग, जामुनीनार, दीघार, सीकरी, कोल्हूआ आदि गांवों में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत सोलर सिस्टम से बिजली सप्लाई की गयी थी. यहां शुरुआत में दो से तीन साल अच्छा चला, लेकिन अब पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों का सोलर सिस्टम फेल हो गया है, गांवों में कभी-कभार एक से दो घंटे बिजली मिलती है, जिससे ग्रामीणों की आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती थी. इसे लेकर कैबिनेट में पास होते ही पहाड़ी क्षेत्र में बसे ग्रामीण व सामाजिक कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. देश की आजादी के बाद पहाड़ी क्षेत्र के गांव में बिजली सप्लाई करने की कोशिश की गयी थी, लेकिन वह सफल नहीं हुई थी. इसके कारण आज आजादी के 77 साल बीत जाने के बाद भी पहाड़ी क्षेत्र के गांव बिजली से वंचित हैं, जहां लोग बिजली उपकरण जैसे फ्रिज, कूलर, टीवी, एसी आदि चीजों से वंचित हैं, तो वहीं ग्रीड से बिजली सप्लाई होने के बाद इन गांवों की भी रौनक बढ़ जायेगी व खेती-बाड़ी में भी लोगों को काफी सहूलियत होगी. साथ ही इससे स्वरोजगार आदि जैसे कामों को बढ़ावा मिलेगा और लोगों का पलायन कम होगा व आधुनिक बिजली उपकरणों का भी अब लोग लाभ ले सकेंगे. क्या कहते हैं ग्रामीण – सरकी पंचायत के मुखिया देवलाल सिंह ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रिड से लाइन की सप्लाई होना एक सपने जैसा लग रहा था, लेकिन अब बहुत जल्द सपना साकार होने वाला है. इससे ग्रामीणों में खुशी की लहर है. आजादी के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली सप्लाई करने का प्रयास किया गया था, जिसके लिए पोल तार भी बिछा भी दिये गये थे. लेकिन, वन विभाग से आपसी तालमेल न बनने के कारण सफल नहीं हो पाया था. पहाड़ी क्षेत्र के गांव में बिजली आ जाने से लोगों का रोजगार बढ़ेगा, खेती में उपज की बढ़ोतरी होगी, लोगों को काम करने के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा. – जामुनीनार निवासी पिंगला देवी ने बताया कि हमारे गांव में 2017 में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली सप्लाई की गयी, लेकिन कारगर साबित नहीं हुई. मुश्किल से शाम में सिर्फ दो घंटे ही बिजली मिल पाती है, जिससे आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती. ग्रिड से लाइन मिलने के बाद मजदूरों को पलायन नहीं करना पड़ेगा. बिजली आने से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा, तो खेतों में उपज में बढ़ोतरी होगी. कहते हैं अधिकारी:::::: विद्युत कार्यपालक अभियंता गोरखनाथ प्रसाद ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में बसे गांवों में बिजली के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जिसको कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इनको जल्द ही वन विभाग से एनओसी मिलने के बाद कार्य शुरू कर दिया जायेगा.
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