Bihar News: बिहार में एक फर्जी आइपीएस अधिकारी के पकड़े जाने का मामला देशभर में सुर्खियों में बना रहा. अब फर्जी दारोगा को गिरफ्तार किया गया है जो अपने दो साथियों के साथ मिलकर पूरे पुलिसिया अंदाज में ही एक्शन मोड में था. तीनों लोग एक कार से कैमूर के हाटा बाजार पहुंचे और एक व्यक्ति को हथकड़ी तक लगा दी. पकड़े गए व्यक्ति को बताया कि वो यूपी पुलिस के एक्साइज विभाग का दारोगा है. एनकाउंटर तक की धमकी उसे दे डाली. जिसके बाद उस व्यक्ति ने कुछ घूस भी फर्जी पुलिस को थमा दिया. जब पुलिस के पास यह शिकायत आयी तो तहकीकात शुरू हुई और पूरे मामले का खुलासा हुआ.
कैमूर में फर्जी दारोगा दो साथियाें के साथ धराया
कैमूर पुलिस ने चैनपुर थाना क्षेत्र के हाटा में छापेमारी करके उत्तर प्रदेश का एक्साइज दारोगा बनाकर पैसा एंठने वाले एक गैंग का खुलासा किया. गिरफ्तार फर्जी दारोगा उत्तर प्रदेश के गोलाघाट रामनगर निवासी सतीश चौहान का पुत्र त्रिलोकी चौहान उर्फ संजय चौहान है. दारोगा के साथ पकड़े गये दो अन्य साथियों में मिर्जापुर के कटरा कोतवाली निवासी सीताराम निषाद के पुत्र संदीप कुमार निषाद एवं वाराणसी के सिगरा थाना क्षेत्र के शिवपुरवा निवासी भरत लाल के पुत्र संजय साहनी बताये जाते हैं.
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हथकड़ी लगाकर ले गए.. पिस्टल दिखाकर एनकाउंटर की दी धमकी
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसडीपीओ ने बताया कि मंगलवार की देर शाम पुलिस को सूचना मिली कि हाटा बाजार में एक व्यक्ति को कब्जे में लेकर उसे कुछ लोगों ने स्विफ्ट डिजायर यूपी 65 एचटी 5061 में बैठाया. उसे हथकड़ी पहना दी. उसे किसी अज्ञात जगह पर ले गये और धमकी दी कि वो यूपी एक्साइज के दारोगा है. उससे पैसे की डिमांड की. पिस्टल दिखाते हुए बोला कि जल्दी पैसा दो, अन्यथा मार कर कर्मनाशा नदी में फेंक देंगे. अपनी जान बचाने के लिए उक्त व्यक्ति ने अपने भाई को फोन कर फर्जी पुलिस टीम के बताये मोबाइल नंबर पर 20000 रुपये ट्रांसफर कराया. उसके पास रहे 22000 रुपये उन लोगों ने छीन लिये. इसके बाद इस बात का जिक्र किसी से भी नहीं करने की धमकी देते हुए उसे जीटी रोड के समीप छोड़ दिया.
कौन है इस गिरोह का मास्टरमाइंड?
पकड़े गये फर्जी दारोगा एवं इस घटना का मास्टरमाइंड त्रिलोकी चौहान उर्फ संजय चौहान उत्तर प्रदेश के रामनगर का रहने वाला है. वह पहले सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था. एसडीपीओ ने बताया कि इसके बाद वह कई संस्थानों में लोगों को सिक्योरिटी गार्ड के रूप में रखवाने लगा. सिक्योरिटी गार्ड का कार्य करते-करते संजय चौहान फर्जी दारोगा बन गया और वह अपने साथ दो अन्य लोगों को भी इस कार्य में शामिल कर लिया और वर्दी का धौंस दिखाकर लोगों से धन उगाही का कार्य भी करने लगा. फर्जी दारोगा बनने के बाद उसे अच्छी कमाई होने लगी. इससे उसे यह कार्य करने में आनंद आने लगा, लेकिन कहा जाता है कि हर गंदे काम का एक दिन अंत होता है और इसका भी अंत आखिरकार असली पुलिस ने कर दिया. नकली दारोगा ने पूछताछ के क्रम में बताया कि वह कर्मनाशा में किराये के मकान में रहकर आसपास के क्षेत्र में लोगों को अपना शिकार बनाता था. उसने बताया कि वह ज्यादातर शराब के धंधेबाज समेत इस तरह के कार्य करने वालों को ही वह अपना शिकार बनाता था. यूपी में कई मामले इसपर पूर्व में दर्ज हैं.