जिले के 93 मौजों में हजारों किसानों ने एनएचएआइ का फूंका पुतला
भारत माला परियोजना के तहत कैमूर में बनाये जाने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा नहीं मिलने को लेकर संघर्ष कर रहे भू-धारी किसानों ने रविवार को जिले के 93 मौजों में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का पुतला जलाया.
भभुआ. भारत माला परियोजना के तहत कैमूर में बनाये जाने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा नहीं मिलने को लेकर संघर्ष कर रहे भू-धारी किसानों ने रविवार को जिले के 93 मौजों में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का पुतला जलाया. साथ ही अगले रविवार यानी 12 को केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों का भी पुतला दहन करने का एलान किया. जिले से गुजरने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण में किये गये भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा नहीं मिलने को लेकर किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर व भारतीय किसान यूनियन कैमूर के नेतृत्व में रविवार को किसानों द्वारा एनएचएआइ का पुतला दहन एक साथ एक ही समय पर 93 मौजों में किया गया. साथ ही किसान एनएचएआइ मुर्दाबाद और बिहार सरकार मुर्दाबाद का नारा भी लगा रहे थे. किसानों का कहना था कि एनएचएआइ के अधिकारी बिहार सरकार के भू-अर्जन पदाधिकारी से मिलीभगत कर किसानों की कीमती व बहु फसली जमीन का अधिग्रहण कर उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. एनएचएआइ षड्यंत्र कर किसानों से जमीन छीनना चाहता है. लेकिन, एनएचएआइ का यह सपना किसानों के जीते जी पूरा नहीं होने वाला है. इधर, एनएचएआइ के पुतला दहन स्थल पर ही किसानों द्वारा अगले रविवार यानी 12 जनवरी को केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों का पुतला दहन करने का भी एलान किया गया. इधर, एनएचएआइ के पुतला दहन कार्यक्रम में जिले के भैरोपुर, जिगना, ढढनियां, सिहोरियां, शहबाजपुर, सरैला, मसोई, मोरवा, गेहुआं, वैरी, जगरिया, बिउर, दुलहरा, बेतरी, खैटी बघैला, चांद, गोंई, बेतरी, सीवों, ददरा, सारनपुर, भैरोपुर, दुमदुम, बिरना, सिकंदरपुर आदि गांवों के किसान ठाकुर प्रसाद गोंड, भुपेंद्र सिंह, अवधेश सिंह, राजेश पासवान, पप्पू चौबे, रामकेशी राम, सच्चिदानंद सिंह आदि शामिल थे. =जमीन के उचित मुआवजे को लेकर फंसा पेच जिले के रामपुर, भभुआ, चांद, चैनपुर तथा भगवानपुर प्रखंड के 93 मौजों से गुजर रहे वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण को लेकर किसानों के अनुसार, सरकार ने 2000 से भी अधिक एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर रखा है. भारत माला परियोजना के तहत वाराणसी कोलकाता- एक्सप्रेसवे कैमूर जिले में 52 किलोमीटर लंबा बनाया जाना है. इस एक्सप्रेसवे को जिले के भभुआ, चांद, रामपुर, चैनपुर तथा भगवानपुर प्रखंड के कई गांवों के बधार से गुजरना है. लेकिन जमीन के उचित मुआवजा का पेच सरकार की इस परियोजना में गंभीर रूप से आकर फंस गया है. नतीजा है किसान पिछले दो से लेकर ढाई सालों से संघर्ष कर रहे किसानों ने पूर्व में बगैर उचित मुआवजे के एक इंच भी भूमि पर एक्सप्रेसवे का निर्माण नहीं करने देने का एलान कर चुके हैं. यही नहीं पिछले एक साल से भी अधिक समय से किसान निर्माण कंपनी के बेस स्थल मसोई कैंप पर भी कड़ाके की ठंड के बावजूद लगातार धरना दे रहे हैं. किसान भारत माला परियोजना के एक्सप्रेसवे सहित हाइवे 219 के चौडीकरण और बाईपास निर्माण में अधिग्रहित भूमि का भी उचित मुआवजा दिये जाने की भी मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर अधिग्रहित जमीन का मुआवजा दे रही है. सरकार ने पुराने सर्किल रेट पर मुआवजा का निर्धारण किया है. जबकि, उत्तरप्रदेश के सरकार के अपेक्षा बिहार सरकार द्वारा दिये जाने वाले मुआवजा में किसानों को 96 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर पर घाटा हो रहा है. इन्सेट सरकार की बेरूखी विधानसभा चुनाव में पड़ सकती है भारी भभुआ. उचित मुआवजा के आर-पार की लड़ाई में किसानों ने सरकार को भी गंभीरता से सोचने का संकेत दे दिया है. रविवार को किसान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष विमलेश पांडेय, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने कहा कि सरकार अगर समय रहते उचित मुआवजा के मामले को लेकर नहीं चेतती है तो सरकार इसका खामियाजा भी उठाने के लिए तैयार रहे. किसान अपनी जमीन से लेकर सत्ता तक सरकार का विरोध करेंगे. आगामी विधानसभा चुनाव में किसान सरकार के खिलाफ खुद खड़े होकर लोगों से भी सरकार के खिलाफ मतदान करने की भी अपील करेंगे. रविवार को किसान नेताओं ने 93 मौजा के किसानों से यह भी अपील की कि एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अगर एनएचएआइ या पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी के अधिकारी खेतों में जाते हैं, तो उनका कड़ा विरोध कर उन्हें बैरंग वापस लौटने के लिए मजबूर किया जाये.
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