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किसान सालो भर मशरूम के अलग-अलग किस्मों की कर सकते हैं खेती

जिला कृषि भवन के सभागार में मशरूम उत्पादन को लेकर उद्यान विभाग कैमूर के तत्वावधान में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन कर दिया गया.

भभुआ. जिला कृषि भवन के सभागार में मशरूम उत्पादन को लेकर उद्यान विभाग कैमूर के तत्वावधान में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन कर दिया गया. इसमें जिले के विभिन्न प्रखंडों से आये लगभग 150 किसानों ने भाग लिया. इच्छुक किसानों को मशरूम उत्पादन करने की विभिन्न विधियों तथा उपयुक्त समय की जानकारी दी गयी. गौरतलब है कि जिले में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मशरूम बीज पर अनुदान देने से लेकर मशरूम के खेती के तौर तरीके सरकार स्तर से बताये जा रहे हैं. यही नहीं गांवों में कृषक पाठशाला का भी आयोजन कराया जाता है. इसमें प्रखंड के किसानों को मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया और विपणन को लेकर जानकारी उपलब्ध करायी जा सके. इधर, मशरूम उत्पादन के विभिन्न तरीकों की जानकारी देने के लिए जिला कृषि भवन के सभागार में प्रशिक्षण कार्यशाला में बताया गया कि मशरूम का उत्पादन तीन सत्रों में तीन तरह के मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. किसान सितंबर माह से 15 नवंबर तक ढिगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं. इसके बाद किसान बटन मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं. फरवरी मार्च तक यह फसल चलती है. इसके बाद के महीने में किसान मिल्की मशरूम का भी उत्पादन कर सकते हैं, जो फसल जून-जुलाई तक चलती है. इस तरह किसान सालो भर मशरूम के अलग-अलग किस्मों का उत्पादन कर सकते हैं. कार्यशाला में खाने योग्य और न खाने योग्य मशरूम की पहचान, बीज का उत्पादन, कंपोस्ट तैयार करने की विधि, वातावरण नियंत्रित करने की विधियां तथा मशरूम की खेती में लागत और आय का ब्योरा भी बताया गया. कार्यक्रम में जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण तथा आत्मा परियोजना के सहायक निदेशक नवीन कुमार द्वारा किसानों को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराया गया. इनसेट एक कमरे में ही शुरू हो सकती है मशरूम की खेती भभुआ. प्रशिक्षण कार्यशाला में बताया गया कि मशरूम की खेती के लिए किसी खेत या लंबे चौड़े प्लाट की आवश्यकता नहीं है. बल्कि किसान अपने घर के किसी एक कमरे में ही मशरूम का उत्पादन शुरू कर सकते हैं. किसानों के पास मशरूम उत्पादन करने के लिए भूसी भी उपलब्ध रहता है, इसलिए किसानों को बाजार से भूसी भी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कम जगह और कम लागत तथा कम समय में किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कार्यशाला में बताया गया कि मशरूम सिर्फ सब्जी की तरह खाने में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मशरूम का इस्तेमाल हलवा, आचार, जेली, पापड़, चिप्स, सूप, खीर आदि विभिन्न तरह के व्यंजनों में भी किया जाता है.

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