उचित मुआवजा को लेकर हाथों में तिरंगा ले किसानों ने किया प्रदर्शन
जिले से गुजरने वाले भारत माला परियोजना के वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा के भुगतान को लेकर गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा हाथ में तिरंगा लेकर अपने अपने मौजों में एक ही समय पर प्रदर्शन किया गया.
भभुआ. जिले से गुजरने वाले भारत माला परियोजना के वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा के भुगतान को लेकर गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा हाथ में तिरंगा लेकर अपने अपने मौजों में एक ही समय पर प्रदर्शन किया गया. इसमें बड़ी संख्या में किसान और उनके परिजन शामिल थे. किसान बगैर उचित मुआवजा एक इंच भूमि पर भी निर्माण नहीं होने देने का नारा लगा रहे थे. गौरतलब है कि पिछले ढाई साल से जिले में बनने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे और निर्माण के लिए किये गये जमीन के अधिग्रहण के उचित मुआवजा के बीच चल रहा जद्दोजहद अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसे लेकर सडक निर्माण कंपनी के जिला स्थित बेस कैंप पर किसानों का अनिश्चितकालीन धरना भी लगातार जारी है. इसके पूर्व किसान एनएचएआइ और उसके अधिकारियों का पुतला दहन करने, सामूहिक उपवास करने से लेकर विभिन्न तरह के आंदोलन करने के साथ जेल भरो आंदोलन भी चलाने का एलान कर चुके हैं. = 1.28 करोड़ प्रति एकड़ मुआवजा की मांग कर रहे किसान वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि का किसान एक करोड़ 28 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से कृषि भूमि के उचित मुआवजा की मांग कर रहे हैं. किसान नेता विमलेश पांडेय, अभिमन्यु सिंह, पशुपतिनाथ सिंह आदि ने बताया कि अभी चार साल पहले दुर्गावती प्रखंड में पावर ग्रिड के लिए जमीन अधिग्रहण में सरकार ने खंदेउरा गांव के किसानों को एक करोड़ 28 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया है. इसी तरह मोहनिया प्रखंड में गैस प्लांट को लेकर अधिग्रहित भूमि का मुआवजा डंडवा गांव के किसानों को एक करोड़ 20 लाख रुपये की दर से दिया गया है. लेकिन, एक्सप्रेसवे निर्माण में सरकार चार साल पुराने सर्किल रेट पर एक एकड़ कृषि भूमि का मुआवजा भुगतान मात्र 12 लाख रुपये करने की बात बोल रही है. इसी तरह एक्सप्रेसवे निर्माण में सीवों गांव के बेलारो मौजा की जमीन जो नगर पालिका क्षेत्र में आता है और व्यवसायिक व आवासीय है. लेकिन, उसका मुआवजा सरकार 80 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से देने की बात कह रही है जो कहीं से उचित नहीं है. आवासीय और व्यवसायिक भूमि का मुआवजा तो कृषि भूमि के मुआवजा से भी चार गुना अधिक होना चाहिए.
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