भभुआ. इस बार सरकार के समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं खरीदने वाली क्रय समितियों को गेहूं बेचने से किसान कतराने लगे हैं. गेहूं क्रय केंद्रों को खुले हुए लगभग एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी अभी तक जिले में मात्र एक किसान ने अपना गेहूं बेचा है. जबकि, सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक किसानों को समर्थन मूल्य से लाभान्वित कराना है. बावजूद इसके बाजार मूल्य और समर्थन मूल्य का अंतर सरकारी गुणा गणित पर फिट बैठता नजर नहीं आता है. गौरतलब है कि इस साल किसानों का गेहूं खरीदने के लिए सरकार द्वारा पिछले साल की अपेक्षा 150 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य भी बढ़ाया गया है. पिछले साल किसानों का गेहूं 2125 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था. लेकिन, चालू रबी सीजन में सरकार ने 150 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य बढ़ाकर किसानों के गेहूं की खरीद 2275 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करने का निर्देश दिया गया है. इधर, इस संबंध में गेहूं क्रय के नोडल पदाधिकारी सह जिला सहकारिता पदाधिकारी नयन प्रकाश द्वारा प्रेस काॅन्फ्रेंस के माध्यम से बताया गया कि 15 मार्च से जिले में गेहूं की खरीद शुरू है. जिले में गेहूं खरीद का लक्ष्य 1182 एमटी निर्धारित किया गया है. गेहूं की खरीद करने के लिए 146 पैक्स और 9 व्यापार मंडलों को अधिकृत किया गया है. पर, अब तक जिले में चांद प्रखंड की सिरिहरा पैक्स के मात्र एक किसान द्वारा ही 15 एमटी गेहूं क्रय समिति को बेचा गया है. हालांकि, अभी गेहूं की खरीद 15 जून तक क्रय समितियों द्वारा किया जायेगा. वैसे इस बार सरकार को समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए जिले के 653 किसानों ने अपना निबंधन कराया है. इसमें रैयत किसानों से अधिकतम 150 क्विंटल तथा गैर रैयत किसानों से अधिकतम 50 क्विंटल गेहूं खरीदने का निर्देश क्रय समितियों को प्राप्त है. साथ ही क्रय समितियों को 48 घंटे के अंदर किसानों के गेहूं खरीद का भुगतान भी कर देना है. पिछले साल की तरह इस साल भी किसानों को सरकार के समर्थन मूल्य से अधिक बाजार में ही गेहूं का दाम मिल जा रहा है, जिससे किसान सरकारी क्रय समितियों को गेहूं देने से परहेज बरत रहे हैं. किसानों का कहना है कि पैक्स समितियों को गेहूं बेचने में कोई फायदा नहीं है. उलटे पैसा का भुगतान करने में भी किसानों को दौड़ाया जाता है. जबकि, खुले बाजार में गेहूं का दाम नकद और तत्काल मिल जाता है. व्यापारी खलिहान से ही 2300 से 2350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं का गल्ला तौल कर ले जा रहे हैं. क्या कहते हैं किसान —जिले के महुआरी पंचायत के अमाढी गांव के रहने वाले किसान बलदाऊ पांडेय ने बताया कि सरकार का समर्थन मूल्य जब तक बाजार मूल्य से अधिक नहीं होगा, तब तक किसान सरकार को अपना गेहूं नहीं बेचेगा. ऊपर से क्रय समितियां कटौती भी करती हैं. इस लिए मेरे सहित अधिकांश किसान अपना गेहूं खलिहान से ही इस बार व्यापारियों को बेच दे रहे हैं. व्यापारियों से किसानों को गेहूं का दाम भी समर्थन मूल्य से अधिक और नकद दिया जा रहा है. बाजार में आइटीसी, अदानी विल्मर गेहूं का दाम प्रति क्विंटल 2300 रुपये से लेकर 2350 रुपये पर बिक रहा है. —कैथी पंचायत के रामपुर गांव के किसान रामसागर सिंह ने बताया कि पैक्स समितियों को गेहूं या धान बेचना उनके बस का रोग नहीं है. एक तो सरकार द्वारा तय दाम नहीं दिया जाता है, उपर से जो माल ले जाते हैं उसका भुगतान करने में भी किसानों के कई माह दौड़ाया जाता है. उनका गेहूं पांच अप्रैल को ही तैयार था. खलिहान से ही व्यापारी 2280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उठा ले गया. जबकि, गेहूं में हवा के कारण दाने कमजोर थे. बावजूद इसके अच्छा दाम मिल गया. इस साल वैसे भी पैक्स समितियों को गेहूं बेचने में कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है. शुरु में ही बाजार भाव सरकारी मूल्य से अधिक हो गया है. अगले दो माह के बाद गेहूं 2500 रुपये से लेकर 2600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकेगा. इन्सेट इस साल काफी लेट हुई थी गेहूं की बुआई भभुआ. इस साल मौसम की मार ने किसानों के गेहूं के खेती को समय से काफी लेट करा दिया. क्योंकि इस साल धान की कटनी के समय ही जिले में माॅनसूनी बादलों ने पूरी तरह अपना मुंह खोल दिया था. पूरे माॅनसून सत्र की सबसे भारी वर्षा अक्टूबर माह में हुई. नतीजा था भारी बारिश और नदियों के उफान की चपेट में आकर जिले के विभिन्न प्रखंडों के सैकड़ों गांवों में किसानों के धान की फसल बड़े पैमाने पर पानी में डूब गयी थी. नतीजा था कि पानी में डूबे खेत धान की कटनी के बाद भी लंबे समय तक बजबजाते रहे, जिसके कारण जिले में गेहूं की बुआई माहों पीछे चली गयी. गौरतलब है कि दिसंबर माह के अंत तक जिले में मात्र 70 प्रतिशत ही गेहूं के खेत बोये जा सके. जबकि, गेहूं बुआई का पीक सीजन 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक ही माना जाता है. चालू रबी सीजन में जिले में 88499 हेक्टेयर में गेहूं के खेती की बुआई का लक्ष्य निर्धारित था. गौरतलब है कि जिले में गेहूं की सबसे अधिक खेती भभुआ तथा मोहनिया प्रखंड में की जाती है. जबकि, सबसे कम खेती अधौरा तथा नुआंव प्रखंड में होती है.
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सरकारी क्रय समितियों को गेहूं बेचने से कतरा रहे किसान
इस बार सरकार के समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं खरीदने वाली क्रय समितियों को गेहूं बेचने से किसान कतराने लगे हैं. गेहूं क्रय केंद्रों को खुले हुए लगभग एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी अभी तक जिले में मात्र एक किसान ने अपना गेहूं बेचा है.
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