शॉर्ट सर्किट व लापरवाही से खेत-खलिहान धधक रहे, तो कहीं घर-मकान हो रहे खाक
जिले में गर्मी बढ़ने के साथ ही अगलगी की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. कहीं खेत-खलिहान धधक रहे हैं, तो कहीं घर-मकान खाक हो जा रहे हैं.
भभुआ सदर. जिले में गर्मी बढ़ने के साथ ही अगलगी की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. कहीं खेत-खलिहान धधक रहे हैं, तो कहीं घर-मकान खाक हो जा रहे हैं. विभिन्न कारणों से होने वाली अगलगी में जानमाल की भारी क्षति हुई है. अगलगी की घटना में हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये की क्षति होती है. भले ही कहर बरपाती आग की विभीषिका को रोका नहीं जा सकता, लेकिन थोड़ी सी सावधानी बरत कर इसकी विभीषिका को काफी हद तक कम किया जा सकता है. दरअसल, विगत एक सप्ताह से जिले में शॉर्ट सर्किट और लापरवाही के चलते अगलगी का कहर लगातार जारी है. वहीं, फसल के पकने व शुष्क मौसम के बीच अगलगी की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. पिछले 15 दिन में ही जिले के दुर्गावती, चैनपुर, चांद, भभुआ आदि प्रखंडों में बड़े पैमाने पर अगलगी की घटनाएं होने लगी है, जिसमें लोगों के झोंपड़ी व मवेशी जलने के साथ ही खेतों में लगी फसल जलकर राख हो चुकी है. अगलगी के इन मामलों में पता चला कि कहीं बिजली के शॉर्ट सर्किट से, तो कहीं लापरवाही से आग अचानक पकड़ लेती है और देखते ही देखते दावानल का रुख अख्तियार कर ले रही है. हालांकि, लगातार जिले में हो रही अगलगी की घटनाओं के बीच यह भी जरूरी है कि कुछ सतर्कता को बरत कर हम ऐसी घटनाओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं. इन घटनाओं को देखते हुए अगलगी से बचाव के लिए जिला अग्निशमन विभाग द्वारा लगातार लोगों को नाटक और प्रशिक्षण के माध्यम से आवश्यक सुझाव दिये जा रहे हैं, जिससे घटनाओं को जहां तक संभव हो कम किया जा सके. राम सुभग सिंह, इंद्रदेव सिंह, अवध बिहारी पांडेय आदि का कहना है कि जब खेत में पक कर फसल तैयार दिखती है, तो दिल में कई अरमान पलने लगते हैं, लेकिन लापरवाही या अचानक होने वाली अगलगी की घटनाएं एक किसान परिवार के लिए बहुत ही पीड़ादायक साबित होती है. जिले में अगलगी की घटनाओं पर अगर गौर करें, तो पिछले एक सप्ताह में चांद, भभुआ, दुर्गावती, नुआंव और चैनपुर आदि प्रखंडों में अगलगी की घटनाओं में कई जगह गेंहू की फसल, मवेशी सहित मकान और राशन भी जलकर खाक हो चुके हैं. = कहीं मवेशी जले, तो कहीं जल गया सारा सामान –दो अप्रैल को चैनपुर के करवंदिया गांव में गेहूं की फसल में अचानक आग पकड़ ली, जहां आग से उक्त गांव निवासी राधे प्रसाद के पांच बीघे की फसल और रामाश्रय चौहान के तीन बीघे यानी कुल आठ बीघा में लगी गेहूं की फसल आग की भेंट चढ़ गयी. –तीन अप्रैल को चांद प्रखंड के लेदरी गांव निवासी त्रिभुवन बिंद की झोपड़ी में आग लग गयी, जिसमें फंसकर त्रिभुवन की एक गाय व उसके बछड़े की मौत हो गयी. –चार अप्रैल को नुआंव प्रखंड के अखिनी गांव निवासी बालेश्वर राम की झोंपड़ी में आग लग गयी और आग से झोंपड़ी के अंदर सोया बालेश्वर का बेटा सुजीत राम झुलसकर गंभीर रूप से जख्मी हो गया. –पांच अप्रैल को चांद प्रखंड के शिव गांव में लगी आग में जोगी मुसहर की झोंपड़ी जल गयी. साथ ही आग विकराल होने की वजह से झोंपड़ी में रखा सारा सामान भी जलकर स्वाहा हो गया. = गर्मी के मौसम में सुबह नौ बजे के पहले ही पका लें भोजन दरअसल, ग्रामीण इलाकों में आमतौर पर देखा जाता है कि इन दिनों महंगाई या ग्रामीण इलाकों में महिलाएं गैस के बदले उपलों और लकड़ी आदि पर अपना भोजन तैयार कर रही हैं और भोजन बनाने के बाद चूल्हे में बची हुई राख को घर से बाहर कूड़े के ढेर पर फेंक आती हैं, इधर राख के अंदर छीपी छोटी सी चिंगारी भी कूड़े के ढेर में आग पकड़ लेती है और उससे हवा के साथ उड़ी चिंगारी न जाने कितने घरों के विनाश का कारण बन जाती है. इस संबंध में जिला प्रशासन द्वारा आपदा प्रबंधन के तहत लोगों को बार-बार हिदायत दी जा रही है कि सुबह नौ बजने तक अपना भोजन तैयार कर लें, तथा चूल्हे से निकली राख को कूड़े पर डालने से पहले पानी डालकर अच्छी तरह बुझा दें. वहीं, शाम का भोजन शाम छह बजे के बाद बनाना शुरू करें. इसके अलावा हवन अनुष्ठान आदि भी सुबह नौ बजे के पहले ही पूरा कर लें. = खेतों के आसपास बीड़ी-सिगरेट पीने वालों पर लगाएं रोकटोक आमतौर पर खेतों में लगने वाली आग शॉर्ट सर्किट के अलावा माचिस की जलती तिल्ली अथवा जलते हुए बीड़ी-सिगरेट को फेंक देने से भी लग जाती है, इससे बचाव के लिए खेत -खलिहान के समीप न तो खुद बीड़ी-सिगरेट पीयें और न ही किसी को पीने दें. = खेतों में डंठल जलाने से करें परहेज फसल की कटाई के बाद आमतौर पर किसानों द्वारा बचे हुए डंठल को खेतों में ही जला दिया जाता है. हालांकि, इसके लिए पूर्व से प्रतिबंध लगाया जा चुका है. खेतों में पराली जलाने से एक तो वातावरण को काफी नुकसान पहुंचता है, दूसरे इस प्रकार आग लगाने से उससे उड़ी हुई चिंगारी से आस-पास के खेतों में आग लग जाने के कारण दूसरों की फसल जल जाती है. इसके साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति क्षीण होती चली जाती है. लिहाजा खेतों में पराली जलाने से पूरी तरह परहेज करें. = फायर ब्रिगेड को फोन करें किसी भी परिस्थिति में आग लग जाने के बाद या तो नजदीकी थाना को सूचना दें अथवा फायर ब्रिगेड के 101 नंबर पर डायल कर अविलंब इसकी सूचना दें. यदि नजदीकी फायर ब्रिगेड का फोन नंबर नहीं है, तो किसी भी नजदीकी थाने को फोन कर पूरे लोकेशन की जानकारी देते हुए अगलगी की सूचना दे सकते हैं. = अगलगी की घटनाओं को देख दिन में काटी जा रही बिजली इधर, अगलगी की घटनाओं के रोकथाम के लिए विद्युत विभाग भी सक्रिय हो गया है. विद्युत विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी जेएन प्रसाद ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में अगलगी की घटनाओं से बचने व पक कर तैयार गेहूं की फसल को बचाने के लिए दिन में विद्युत सप्लाइ रोकी जा रही है. जहां मेंटेनेंस की जरूरत है, वहां बिजली के तारों का मेंटेनेंस भी कराया जा रहा है.