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आवेदन रिजेक्ट होने के बाद पैक्स अध्यक्षों व विभाग पर उठने लगी उंगुली

आवेदन रिजेक्ट होने के बाद पैक्स अध्यक्षों व जिला सहकारिता विभाग पर अंगुली उठने लगी है. सदस्यता को ले जिले की विभिन्न पैक्सों में आवेदन करने वाले 5679 लोगों का नाम पैक्स अध्यक्षों द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया था,

भभुआ. आवेदन रिजेक्ट होने के बाद पैक्स अध्यक्षों व जिला सहकारिता विभाग पर अंगुली उठने लगी है. सदस्यता को ले जिले की विभिन्न पैक्सों में आवेदन करने वाले 5679 लोगों का नाम पैक्स अध्यक्षों द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया था, जिसके बाद आवेदक जिला सहकारिता पदाधिकारी के न्यायालय में अपील की थी. लेकिन, जिला सहकारिता पदाधिकारी के न्यायालय से भी 2453 आवेदकों का आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया. गौरतलब है कि पैक्स चुनाव में वही लोग मतदान करते हैं, जिनके आवेदन को पैक्स अध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किया जाता है. अगर पैक्स अध्यक्ष आवेदन को अस्वीकृत कर देते हैं तो आवेदक जिला सहकारिता पदाधिकारी के न्यायालय में अपील करता है. अगर जिला सहकारिता पदाधिकारी के न्यायालय में पैक्स अध्यक्ष द्वारा अस्वीकृत किया गया कारण गलत पाया जाता है, तो उस आवेदक की सदस्यता जिला सहकारिता पदाधिकारी के न्यायालय से बहाल कर दी जाती है. लेकिन, विडंबना यह है कि पैक्स अध्यक्ष द्वारा अस्वीकृत किये जाने के बाद जिला सहकारिता विभाग में अपील किये आवेदक जिला सहकारिता विभाग के रवैये को भी पक्षपात पूर्ण बता रहे हैं. सदस्यता बहाल होने की अंतिम तारीख तीन अक्तूबर को जिला सहकारिता कार्यालय परिसर में भगवानपुर प्रखंड की कसेर पंचायत के रहने वाले प्रभु नारायण, हेमा कुमारी, कुमारी शिल्पा, बिंदु कुमारी सहित ने कहा विभिन्न कारणों से जानबूझ कर आवेदन अस्वीकृत कर दिये जा रहे हैं. पैक्स अध्यक्ष द्वारा किसी प्रस्तावक को मृत घोषित कर देना या किसी को बालिग होने के बाद भी नाबालिग बता दिया जा रहा है, जिसकी अपील जिला सहकारिता पदाधिकारी के कार्यालय में करने के बाद भी न्याय नहीं मिल रहा है. अधिकारी भी पैक्स अध्यक्ष के अस्वीकृत करने के कारण को सही ठहराने के लिए विभिन्न तरह के गुणा गणित करके अपील वाले आवेदनों को खारिज कर दे रहे हैं. हालांकि, जिला सहकारिता पदाधिकारी शशिकांत शशि का कहना है कि सुनवाई नियमानुकूल करने के बाद ही आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है. क्या कहते हैं रिजेक्ट वाले आवेदक –भगवानपुर प्रखंड की कसेर पंचायत के विकास कुमार सिंह ने बताया कि उनका आवेदन पैक्स अध्यक्ष द्वारा उनको नाबालिग बता कर अस्वीकृत कर दिया गया था. इसके बाद ऑनलाइन अपील जिला सहकारिता पदाधिकारी के न्यायालय में किया गया था. लेकिन, जिला सहकारिता विभाग द्वारा भी उनके आवेदन को पैक्स अध्यक्ष के पक्ष में रखते हुए नाबालिग कह कर अस्वीकृत कर दिया गया, जबकि विकास कुमार अपना आधार कार्ड दिखाते हुए अपने को बालिग बता रहे हैं. –कुदरा प्रखंड के घटांव गांव के रहने वाले जयप्रकाश ने बताया कि सारे कागजात सही होने के बावजूद मेरा नाम सहकारिता विभाग से रिजेक्ट कर दिया गया और बरगलाया जा रहा है कि आपका नाम अगले साल जुट जायेगा. पैक्स अध्यक्ष द्वारा विभाग पर दबाव बनाया जाता है कि जिसको हम कहें उसी के नाम जोड़ा जाये. उस पर सहकारिता विभाग भी अपनी मुहर लगा दे रहा है. –भभुआ प्रखंड के हरिहरपुर गांव की रहने वाली मधु देवी पति राजकुमार कुशवाहा ने बताया कि उसका नाम बिना कारण बताये रिजेक्ट कर दिया गया. उसे खुद नहीं पता है कि आखिर वह सदस्य क्यों नहीं बन सकी. वहीं अधिकारी कहते हैं कि अगले साल नाम जुटेगा. मधु ने बताया कि सहकारिता विभाग द्वारा सुनवाई के लिए डेट दिया जाता है तो उस डेट पर सुनवाई नहीं होती. जाने पर घंटों बाद आवेदक का आधार कार्ड, प्रस्तावक का आधार कार्ड आदि कागजात जमा कराने के बाद यह बोल दिया जाता है कि पैक्स अध्यक्ष आज नहीं आये हैं, अगले डेट पर सुनवाई होगी. वह तीन बार जिला सहकारिता कार्यालय गयी, अंत में बिना कारण बताये उसका नाम रिजेक्ट कर दिया गया. बहरहाल मिलाजुला कर सहकारिता विभाग के रवैये से नाखुश आवेदकों की संख्या काफी बड़ी है.

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