डंठल में लगी आग, तो किसान के साथ हार्वेस्टर वालों पर भी गिरेगी गाज
गेहूं की कटनी में अगर खेतों में डंठल को हार्वेस्टरों द्वारा छोड़ दिया जाता है और किसानों द्वारा उसमें आग लगायी जाती है, तो कार्रवाई के जद में किसान के साथ-साथ हार्वेस्टर वाले भी आ जायेंगे.
प्रतिनिधि,भभुआ. गेहूं की कटनी में अगर खेतों में डंठल को हार्वेस्टरों द्वारा छोड़ दिया जाता है और किसानों द्वारा उसमें आग लगायी जाती है, तो कार्रवाई के जद में किसान के साथ-साथ हार्वेस्टर वाले भी आ जायेंगे. इसके लिए गेहूं की कटनी के लिए अधिकृत किये गये हार्वेस्टर वालों को स्ट्रा रीपर यंत्र लगाकर गेहूं की कटनी करने का निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि जिले में गर्म पछुआ हवा के चलने के साथ ही खेतों में हार्वेस्टर उतर गये हैं और गेहूं की कटनी गति पकड़ चुकी है. इधर, गेहूं की कटाई के बाद खेतों में छोड़ दिये जाने वाले गेहूं के डंठलों और उसमें लगायी जाने वाली आग को लेकर कृषि विभाग भी चौकन्ना हो गया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि जिले में जिन हार्वेस्टरों को गेहूं की कटनी फसल अवशेष प्रबंधन के साथ करने की अनुमित प्रदान की गयी है. उन सभी हार्वेस्टर संचालकों को बताया गया कि गेहूं की कटनी करते समय डंठलों को खेतों में नहीं छोंड़े. डंठल काटने वाले सरकार से अनुदान पर दिये जाने वाले स्ट्रा रीपर यंत्र का प्रयोग भी हार्वेस्टर से कटनी के बाद साथ सुनिश्चित करें. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अगर हार्वेस्टर द्वारा सिर्फ गेहूं की कटनी की जाती है और डंठल खेतों में ही छोड़ दिये जाते हैं. ऐसे में छूटे हुए डंठलों में आग लगाने के मामले में सिर्फ किसान पर ही नहीं, बल्कि उक्त किसान के खेत में कटनी करने वाले हार्वेस्टर मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. साथ ही जहां कहीं भी पराली जलाने का मामला पाया जाता है, तो उक्त किसान के खिलाफ आर्थिक दंड, पुलिस कार्रवाई आदि के साथ उक्त किसान की पंजीकरण संख्या को लॉक करते हुए उसे तीन साल के लिए सरकार के किसी भी योजना के लाभ से वंचित करने की कार्रवाई भी की जायेगी. उन्होंने बताया कि यह एक गंभीर मामला है. क्योंकि, फसल अवशेष जलाने से जहां बड़े पैमाने पर पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है. वहीं, प्रदूषण के चलते तरह-तरह की बीमारियां भी लोगों में फैलने लगती है. हार्वेस्टर वालों से लिया गया शपथ पत्र जिले में रबी सीजन में गेहूं की कटनी करने के लिए 115 कंबाइन हार्वेस्टरों को अनुमति दी गयी है. गेहूं काटने की अनुमति देने के पूर्व इन हार्वेस्टर वालों से शपथ पत्र और घोषणा पत्र भी लिये गये है कि गेहूं की कटनी में वे हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर कृषि यंत्र का भी प्रयोग करेंगे. साथ ही हार्वेस्टर वालों को एक और जिम्मेदारी भी विभाग द्वारा सौंपा गया है. इसमें उनसे स्ट्रा रीपर यंत्र के माध्यम से डंठलों का भूसा तैयार कराने के लिए किसानों को भी जागरूक करने की भी अपील की गयी है. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अभी गेहूं की कटाई को लेकर अन्य हार्वेस्टरों वालों के आवेदन भी कुछ आ रहे हैं, जिस पर विचारोपरांत निर्णय लिया जायेगा.