छोटे किसानों और मजदूरों का साल भर का निवाला छीन रही आग
जिले में चल रहे इस समय अग्निकांडों के दौर में कई छोटे किसानों और मजदूरों के साल भर का निवाला आग के भेंट चढ़ जा रहा है, जिसके बाद अन्न के एक-एक दाने के लिए किसानों के सामने घोर संकट खड़ा हो जा रहा है.
भभुआ. जिले में चल रहे इस समय अग्निकांडों के दौर में कई छोटे किसानों और मजदूरों के साल भर का निवाला आग के भेंट चढ़ जा रहा है, जिसके बाद अन्न के एक-एक दाने के लिए किसानों के सामने घोर संकट खड़ा हो जा रहा है. जिले में इस समय गेहूं के खेतों, खलिहानों में लगभग प्रतिदिन कहीं न कहीं आग का तांडव मचा हुआ है. कहीं बिजली का तार टकराने से निकली चिंगारी, तो कहीं बाइक के साइलेंसर से निकली चिंगारी, तो कही बीड़ी सिगरेट की सुलगती लौ, तो कहीं गेहूं के डंठलों को जलाने के लिए लगाई गयी आग दावानल बन जा रही है और देखते ही देखते किसानों के खून पसीने के साल भर की कमाई को समेट कर राख बना दे रही है. हालांकि, इस अग्निकांड के बर्बादी को तो बड़े किसान किसी तरह बर्दाश्त कर लेते हैं, पर छोटे जोत वाले या बंटाई पर छोटी जोत करने वाले किसानों का तो सबकुछ बर्बाद हो जा रहा है. गौरतलब है कि शुक्रवार और शनिवार को दुर्गावती प्रखंड के इसीपुर, कुशहरिया, इसरी, गोरार, सरियांव, मछनहट्टा के बधार में गेहूं के खेतों में भीषण आग लग गयी थी. आग के प्रचंडता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आग बुझाने में लगी दमकल की गाडियां और ग्रामीणों का प्रयास भी आग पर काबू पाने में सक्षम नहीं हो पा रहा था. पूरा बधार धधकती आग में लहलहा रहा था. आग की आंच और गर्म पछुआ हवा की आंच से लोग जल रहे खेतों में सटने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे थे. इस अग्निकांड में गोरार गांव के रामअवध पाल, सुदामा पाल, इसीपुर गांव के संतोष पांडेय, खरई कोहार, कुशहरिया गांव के अजित गौतम सहित दर्जन भर किसानों के गेहूं के बोझे, पशुओं का चारा भूसा सहित गेहूं के डंठल भी जल गये. इन किसानों में छोटे किसान खरई कोहार और अजित गौतम जैसे भी लोग शामिल थे, जो स्वयं अपने हाथ से मजदूरी कर अपनी खेती करते हैं. लेकिन, इनके साल भर की खर्चा-खुराकी को आग अपने साथ समेट कर लेते चली जा रही है. अजित गौतम ने बताया कि हमलोग के पास उतने खेत नहीं हैं. थोड़े से खेत में धान और गेहूं की खेती की गयी थी. हमलोगों के पास हार्वेस्टर से कटवाने भर पैसा भी नहीं होता है. इसे लेकर हम अपने छोटे खेत की कटनी स्वयं अपने और अपने घर की महिलाओं के साथ हसुआ से करते हैं. गेहूं काटने के लिए महिलाएं अहले सुबह निकल जाती हैं. ताकि धूप और तेज पछुआ हवा चलने के पहले 10 बजे तक गेहूं को काट सके. अजित ने बताया कि लेकिन दो दिन पूर्व लगी आग ने हमारी सारी फसल को जला दिया. हमारे पास अब रोटी खाने के लिए गेहूं का एक दाना भी नहीं बचा है. जबकि, इसी फसल पर दवाई से लेकर बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा खुराक आधारित रहता है. बहरहाल यह अजित गौतम जैसे सिर्फ एक किसान का दर्द नहीं है. बल्कि इस तरह अग्निकांडों में अजित जैसे कई परिवार बर्बाद हो कर दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं. = दमकल में लगाया जाये आधुनिक और शक्तिशाली मोटर शुक्रवार और शनिवार को दुर्गावती प्रखंड के विभिन्न गांवों के बधार में लगी आग और बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल की बर्बादी को लेकर एक बार फिर कैमूर किसान यूनियन ने सरकार और जिला पदाधिकारी को पत्र लिख कर उनका ध्यान इस संकट पर आकृष्ट कराया है. यूनियन बार बार इस सवाल को उठा रहा है कि आखिर इस अग्निकांड का जिम्मेदार कौन है. अगर विद्युत विभाग है तो विभाग आग लगी के शिकार किसानों और मजदूरों के क्षतिपूर्ति का तत्काल मुआवजा दे और अगर जिम्मेदार डंठल में आग लगाने वाला किसान है, तो उसके खिलाफ सरकार कठोर कार्रवाई करे और किसानों को क्षतिपूर्ति सहायता तत्काल उपलब्ध कराये. यूनियन ने सरकार का ध्यान इस तरफ भी खींचा है कि दमकल के गाड़ियों में आधुनिक और शक्तिशाली पॉवर के मोटर लगाये जायें, ताकि इन मोटरों से दमकल नदी का पानी अधिक मात्रा में और जल्दी खींच कर अपने टैंक को भर सकें.