जिले में पहली बार सरकारी विद्यालयों में सौर उर्जा से जलेगी बिजली
जिले में पहली बार सरकारी विद्यालयों में सौर उर्जा से बिजली जलायी जायेगी. प्रथम चरण में 489 मध्य विद्यालयों में सौर उर्जा लगाने की योजना बनायी गयी है. इस पर सरकार द्वारा लगभग ढाई करोड़ रुपये खर्च होंगे.
भभुआ. जिले में पहली बार सरकारी विद्यालयों में सौर उर्जा से बिजली जलायी जायेगी. प्रथम चरण में 489 मध्य विद्यालयों में सौर उर्जा लगाने की योजना बनायी गयी है. इस पर सरकार द्वारा लगभग ढाई करोड़ रुपये खर्च होंगे. गौरतलब है कि बिजली की बढ़ रही खपत को लेकर पिछले कुछ सालों से सरकार द्वारा सौर उर्जा को बढावा दिया जा रहा है. ताकि बिजली की खपत कम हो सके और सरकारी प्रतिष्ठानों में बिजली की खपत पर किये जा रहे भारी भरकम रकम से निजात पाया जा सके. यही नहीं सौर उर्जा के बढ़ते प्रयोग से पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सकता है. इधर, इस संबंध में जानकारी देते हुए ब्रेडा के जिला अभियंता श्याम सुंदर सिंह ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए जिले में पहली बार बिहार रिन्यूबेल एनर्जी डेवलपमेंट से सौर उर्जा से बिजली जलाने की योजना बनायी गयी है. इसका क्रियान्वयन ब्रेडा के माध्यम से सोलर पैनल लगाकर किया जाना है. उन्होंने बताया कि कैमूर में प्रथम चरण में जिले के विभिन्न प्रखंडों के 489 मध्य विद्यालयों का चयन किया गया है. इन विद्यालयों में सोलर पैनल लगाने के लिये कार्यादेश भी निर्गत किया जा चुका है. अन्य जिलों में तो काम भी शुरू हो चुका है. लेकिन, कैमूर में अभी काम शुरू नहीं किया जा सका है. उम्मीद है जल्द ही सोलर पैनल लगाने का काम शुरू करा दिया जायेगा. विद्यालयों में सोलर पैनल लगाने की योजना पर कैमूर में सरकार द्वारा प्रथम चरण में ढाई करोड़ से लेकर तीन करोड़ रुपये तक खर्च किया जायेगा. इस संबंध में जानकारी देते हुए अभियंता ब्रेडा ने बताया कि पांच किलोग्राम के सौर उर्जा पर लगभग तीन लाख रुपये खर्च आने का अनुमान है. इस तरह जिले के 489 विद्यालयों में सोलर पैनल लगाने के लिए सरकार ढाई से तीन करोड़ रुपये खर्च करेगी. उन्होंने बताया कि पांच किलोवाट की सौर प्रणाली प्रतिदिन सुबह नौ बजे से लेकर पांच बजे 25 यूनिट बिजली उत्पन्न करती है. इसका उपयोग विद्यालयों के संचालन में किया जा सकता है. इन्सेट बिजली कटने से विद्यालयों में पठन-पाठन पर पड़ता है प्रभाव भभुआ. बिजली व्यवस्था की बदहाली से नागरिकों के साथ विद्यालयों को भी जूझना पड़ता है. खासकर सरकारी विद्यालयों में गर्मी के दिनों में अगर बिजली कटती है तो छात्र और छात्राओं के साथ-साथ शिक्षक और शिक्षिकाओं के लिए भी भारी परेशानी का सबब बन जाता है. बिजली नहीं रहने पर कई सरकारी विद्यालयों में छात्र और छात्राओं का पठन-पाठन कक्षाओं के बजाय कैंपस के अंदर उगे पेड़ के छाये के नीचे भी चलता हुआ देखा जाता है. यही नहीं आज की तारीख में कई सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास भी चलाये जाते हैं. पूरी तरह डिजिटल व्यवस्था पर चलने वाले ये स्मार्ट क्लास बिजली के अभाव में लड़खड़ा जाते हैं. ऐसे में सरकारी विद्यालयों में सरकार की सौर उर्जा की योजना पठन-पाठन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में बेहद कारगर साबित हो सकती है. सोलर पैनल लगाकर विद्यालय अपने बिजली बिलों में महत्वपूर्ण बचत कर सकते हैं. इससे शैक्षणिक और मनोरंजन कार्यक्रमों का संचालन सुचारू रूप से किया जा सकता है. साथ ही सौर उर्जा का प्रयोग कक्षाओं के संचालन, कार्यालय कार्यों तथा बाहरी बिजली व्यवस्था के लिए भी किया जा सकता है.
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