वनवासियों के बीच वन प्रमंडल ने बांटे पानी ढोने वाली हाथ गाड़ी
जिले के वन प्रक्षेत्र में रहने वाले वनवासियों के बीच शुक्रवार को वन प्रमंडल कैमूर द्वारा पानी ढोने वाली हाथ गाड़ी का वितरण किया गया.
भभुआ. जिले के वन प्रक्षेत्र में रहने वाले वनवासियों के बीच शुक्रवार को वन प्रमंडल कैमूर द्वारा पानी ढोने वाली हाथ गाड़ी का वितरण किया गया. जिन वनवासियों के घर में पानी की सुविधा नहीं है, उन वनवासी परिवारों के लिए पानी ढोने वाली यह हाथ गाड़ी बड़ी लाभदायक सिद्ध हो सकती है. इधर, इस संबंध में जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी चंचल प्रकाशम ने बताया कि पर्यावरण व वन मंत्री डॉ प्रेम कुमार के निर्देश पर कैमूर वन प्रमंडल द्वारा वन प्रक्षेत्र में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाले परिवारों को शुक्रवार को पानी ढोने वाली हाथ गाड़ी का वितरण किया गया है. यह केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम के तहत है, जो पूरी अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के लिए नि:शुल्क है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी प्रखंड अधौरा में 200 यूनिट यह पानी ढोने वाली हाथ गाड़ी बांटी जानी है. इसके तहत शुक्रवार को लोंदा, सरयानार, पंचमुहाल, चाया, कोल्हुआं, कोटमदाग आदि गांव के अनुसूचित जनजातियों को यह गाड़ी वितरण किया गया है. आगे अन्य गांवों के अनुसूचित जाति परिवारों को भी यह गाड़ी वितरित किया जाना है. उन्होंने बताया कि इन लोगों द्वारा जंगल के सुरक्षा में भी विभाग को सहयोग किया जाता है. डीएफओ ने बताया कि इस गाड़ी की खासियत है कि इसके पहिये में ही 40 लीटर पानी भरकर घर की महिलाएं या अन्य सदस्य हाथ रिक्शे की तरह चलाते हुए पानी अपने घरों तक ले जा सकते हैं और इसे सिर पर उठाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. इधर, वन विभाग द्वारा पानी ढोने वाली गाड़ी के वितरण के बाद वनवासियों में खुशी का माहौल था और वनवासी इसे लेकर विभाग को धन्यवाद दे रहे थे. = हाथ गाड़ी से 40 लीटर तक आया जा सकता है पानी गौरतलब है कि कैमूर के पहाड़ों में जब भूजल स्तर गर्भ के अंदर समाने लगता है और चापाकल आदि जवाब देने लगते हैं, तो पहाड़ में रहने वाले वनवासी महिलाएं गांव से कोसों दूर जाकर नदी और चुआं से रिसता पानी बर्तन में भर कर अपने घर लाती हैं, तब जाकर घर का चूल्हा जलता है और परिजनों को भोजन नसीब होता है. गर्मी में यह नजारा पहाड़ में कई इलाकों में नजर आता है जब महिलाएं अहले सुबह ही तसला, गगरा, कठौता, डब्बा आदि लेकर पानी के लिए नदियों और चुएं की ओर निकल पड़ती है. चूंकि सिर पर अधिक से अधिक 10 से 20 लीटर पानी ही दूर से लाया जा सकता है. उपर से 10 लीटर से अधिक पानी लाने के लिए कितने परिवारों के पास बर्तन भी नहीं उपलब्ध होते हैं. नतीजे में ऐसे परिवारों के बच्चों से लेकर पुरुष तथा महिलाओं विभिन्न तरह के बर्तन लेकर पानी लाने निकल पड़ते हैं. ऐसे में वन प्रमंडल द्वारा पानी ढोने वाली हाथ गाड़ी ऐसे परिवारों के लिए बहुत सुविधाजनक साबित होने वाली है, क्योंकि एक साथ इस गाड़ी से 40 लीटर तक पानी लेकर आया जा सकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है