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हैंडपंप व बोतलबंद पानी ही प्यास बुझाने का सहारा

Even after 30 years of becoming the district headquarters at the city's squares, squares and bus stops, hand pumps and bottled water remain the only support of the people.

By Prabhat Khabar News Desk | April 2, 2024 8:55 PM

भभुआ सदर. जैसे-जैसे अप्रैल का महीना आगे की ओर बढ़ रहा है, उसी प्रकार गर्मी और तीखे धूप ने भी अब अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. गर्मी बढ़ने के चलते धूप हो या छांव, अब हर घंटे पर पानी पीने की इच्छा महसूस होने लग रही है. लेकिन, भभुआ नगर पर्षद क्षेत्र में ढूंढ़ने निकल जायें तो आपको सरकारी शुद्ध पानी पीने को नसीब नहीं होगा. शहर के चौक चौराहों और बस पड़ावों पर जिला मुख्यालय बनने के 30 साल बाद भी हैंडपंप व बोतलबंद पानी ही लोगों का सहारा बना हुआ है. अखलासपुर बस स्टैंड, भभुआ मोहनिया रोड, समाहरणालय, एकता चौक, सब्जी मंडी, पश्चिम बाजार, पुराना चौक, सोनहन बस पड़ाव, कचहरी रोड, पटेल चौक जैसे अति महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल पर भी शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं है. इसके चलते अब प्यास के मारे लोग या तो बोतल बंद पानी खरीदकर पीते है या दुकान या नालियों के ऊपर लगे हैंडपंप का प्रदूषित पानी पीकर गला तर करते हैं. शहर के रहने वाले मेडिकल दुकानदार रवि अग्रवाल, सोनू सहित अधिकतर लोगों का कहना है कि जिसके जेब में पैसे हैं, वह तो इतनी भीषण गर्मी और धूप में प्यास बुझाने का कोई न कोई उपाय कर लेता हैं. लेकिन, गरीब व आने जाने वाले लोगों को शहर में साफ पानी तक नहीं मिल रहा है. = गर्मी का कहर अब अप्रैल महीने से ही शुरू हो चुका है. इसका असर भी हर तरफ देखने को मिलने लगा है. लोगों के हलक भी सूख रहे हैं, लेकिन समाहरणालय हो या मुख्य बाजार कहीं भी अबतक पेयजल की व्यवस्था नहीं की जा सकी है. समाहरणालय में विभिन्न कार्यों से सैकड़ों लोग आते हैं, लेकिन प्यास बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं रहने के चलते या तो परिसर में लगे चापाकल से अपनी प्यास बुझाते हैं या फिर यहां चाय नाश्ता की दुकानों में जाकर अपने गले को तर करते हैं. कुछ ऐसी ही हालत शहर के एकता चौक, सदर अस्पताल, पटेल चौक, प्रखंड कार्यालय, जेपी चौक, यहां तक की इस मौसम में अखलासपुर व पूरब पोखरा बस स्टैंड से यात्रा करनेवाले यात्रियों को भी पानी के लिए भटकना पड़ता है. मंगलवार को एकता चौक पर बाजार करने आयी सुनैना देवी, पिंकी गुप्ता व राखी कुमारी आदि का कहना था कि कब से चापाकल ढूंढ़ रही हैं, जहां भी देखो वहां बंद चापाकल मिल रहे हैं. प्यास बुझाने के लिए धर्मशाला में जाना पड़ा. = शहरवासियों के लिए जी का जंजाल बना नल का जल इधर, भभुआ शहर में पूरी तरह से हर घर नल का जल कब तक लोगों तक उपलब्ध हो पायेगा, ये शायद शहरवासियों को भी नहीं मालूम. इसके चलते शहर में नलजल योजना के कार्यों से जुड़े एजेंसियों व संवेदकों द्वारा बरती गयी मनमर्जी और लापरवाही से घरों तक पहुंचने वाला नल का जल शहरवासियों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. शुरुआती दौर में किसी वार्ड में तीन फीट की जगह सड़क के ऊपर डेढ़ फीट ही पाइप बिछा दिया गया, तो किसी वार्ड में बोरिंग कर व पाइप के साथ नल लगाकर ही छोड़ दिया गया. वैसे तो नप का दावा है कि शहर के लगभग सभी वार्डों में बोरिंग सहित सभी कार्य लगभग पूरा करा लिया गया है. लेकिन, अभी भी कई वार्ड ऐसे हैं जहां कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है. कई वार्डों में तो नलजल की स्थिति और गंभीर है, जहां आज तक पानी तो नहीं पहुंचा, लेकिन घर तक पानी पहुंचाने के लिए बिछाये गये पाइप भी जरूर टूट कर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. = कहने को सभी चालू पर असल में आधे से ज्यादा हैं खराब शहर की आबादी और जरूरत को देखते हुए यूं तो पीएचइडी और भभुआ नगर पर्षद ने शहर में विभिन्न स्थानों पर लगभग नौ सौ से ज्यादा हैंडपंप लगवाये हैं. लेकिन, इनमें कितने लगने के बाद से ही बेकार पड़े हैं यह विभाग को भी पता नहीं है. इसके अलावा नगर पर्षद क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर इंडिया मार्का हैंडपंप भी लगाया गया है. लेकिन, मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल, अखलासपुर बस स्टैंड के बाहर, नगर थाना के सामने के अलावा अधिकतर हैंडपंप बंद पड़े है. वैसे, हैंडपंप को छोड़ हर घर नल का जल की बात करें तो अभी भी भभुआ शहर में मुख्यमंत्री के सात निश्चय की यह योजना अभी शैशवावस्था से आगे नहीं बढ़ पायी है. फिलहाल, नलजल योजना के तहत अभी भी अधिकतर जगहों पर पानी सप्लाइ की तैयारी ही की जा रही है. ले देकर शहर में पीएचइडी की ओर से विशाल जलमीनार खड़ी कर सप्लाइ की पानी दिये जाने का दंभ भले ही भरा जा रहा हो. लेकिन, अधिकतर मुहल्लों में वाटर सप्लाइ महज ख्वाब बनकर रह गयी है. जहां सप्लाई का पानी पहुंच भी रहा है वहां के लोग इसे पीने से घबराते हैं. क्योंकि उसका रंग और स्वाद स्पष्ट बताता है कि पानी प्रदूषित है. ऐसे में सेहत ठीक रखने का केवल एक ही चारा बचता है, कि खुद ही साफ पानी का प्रबंध करें या फिर बाजार में बिक रहे आरओ के पानी पर पैसे खर्च करें. = 11 स्थानों पर लगे प्याऊ के भी हालत खस्ता शहर में आनेवाले लोगों के प्यास बुझाने के लिए जगह-जगह प्याऊ का निर्माण कराते हुए पेयजल की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन, उदासीनता ने इसे बेकार साबित कर दिया है. शहर में स्थापित किसी प्याऊ का नल ही क्षतिग्रस्त हो चुका है, तो कहीं प्याऊ को किसी ने अपनी जागीर बना लिया है, तो कहीं प्याऊ घर का पानी स्नान व ठेले पर खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों के बर्तन धोने के काम में आता है. शहर के विभिन्न विभागों व नप द्वारा लगभग 800 चापाकल लगवाये गये हैं. इन चापाकलों में अभी लगभग 250 चापाकल मरम्मत के चलते बेकार पड़े हुए हैं. इन चापाकलों की मरम्मत का दंभ भले ही विभाग भरता हो, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल परे है. कई जगह लगाये गये हैंडपंप का तो नामो निशान तक मिट गया है, तो कुछ औंधे मुंह पड़ गये हैं. = किया जा रहा पेयजल का पुख्ता इंतजाम इस मामले में नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि गर्मी बढ़ने से पहले शहर के पेयजल की व्यवस्था पक्की करा ली जायेगी. खराब इंडिया मार्का हैंडपंप ठीक कराये जायेंगे. नगर पालिका को सप्लाई पाइप लाइन ठीक करने का निर्देश दिया गया है. रही बात शुद्धता की, तो इसके लिए पानी के नमूने इकट्ठा कराये जायेंगे.

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