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बगैर निबंधन के जिले में संचालित हो रहे सैकड़ों विद्यालय, अधिकारी मौन

जिले के सभी प्रखंड सहित शहर मुख्यालय में भी बगैर निबंधन के कई निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं, लेकिन अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हैं.

भभुआ नगर. जिले के सभी प्रखंड सहित शहर मुख्यालय में भी बगैर निबंधन के कई निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं, लेकिन अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हैं. वहीं, बगैर निबंधन के संचालित हो रहे निजी विद्यालयों की जांच करने में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं. इससे एक तरफ जहां बगैर निबंधन संचालित हो रहे विद्यालय से बच्चों के पठन-पाठन पर असर पड़ रहा है, वहीं सरकार के राजस्व की भी चोरी हो रही हैं, लेकिन अधिकारी इस पर मौन हैं. हालांकि, समय-समय पर विभाग स्तर से आदेश दिया जाता है कि बगैर निबंधन के विद्यालय संचालित नहीं होंगे, लेकिन आदेश केवल कागजी घोड़ा बनकर रह जाता है. समय के साथ आदेश केवल फाइलों में रह जाता है व बगैर निबंधन के संचालक विद्यालय संचालित करते रहते हैं. गौरतलब है कि विगत दिनों शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया था, जारी आदेश में कहा था कि 10 अगस्त तक बगैर निबंधन के संचालित हो रहे निजी विद्यालयों के संचालक ऑनलाइन आवेदन विभाग द्वारा जारी इ-संवर्धन पोर्टल पर अवश्य कर दें. वहीं, 10 अगस्त तक विद्यालय के निबंधन के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं करने वाले निजी विद्यालय संचालकों पर प्रत्येक दिन 10000 के हिसाब से एक लाख तक का जुर्माना होगा, इसके बावजूद जिले के अधिकतर बगैर निबंधन के संचालित हो रहे विद्यालयों द्वारा इ-संवर्धन पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन नहीं किया गया है. बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 एक अप्रैल 2010 से ही लागू है. इस अधिनियम के तहत बिहार राज्य के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के तहत निजी विद्यालयों की प्रस्वीकृति का प्रावधान किया गया है. बच्चों की मुक्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 आरटीई एक्ट 2009 की धारा 18 में यह प्रावधान है कि कोई भी विद्यालय जो निर्धारित मानक धारित करता हो, सक्षम प्राधिकार से प्रस्वीकृति का प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना संचालित नहीं किया जा सकेगा. साथ ही अगर बिना प्रमाणपत्र लिये विद्यालय का संचालन किया जा रहा है तो अधिनियम की धारा 18 के तहत दोषी व्यक्ति व संस्था पर 100000 रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है. अथवा निर्धारित तिथि के बाद भी विद्यालय संचालित करते हुए पकड़े जाने पर प्रतिदिन 10000 जुर्माना किया जा सकता. = 205 विद्यालयों को मिली प्रस्वीकृति, संचालित 500 से अधिक जिले में 205 विद्यालयों को ही प्रस्वीकृति मिली है यानी निबंधित हैं, जबकि जिले में लगभग 500 से अधिक विद्यालय उक्त प्रावधान के बावजूद संचालित हो रहे हैं. खास बात यह है कि जिले में ऐसे कई विद्यालय संचालक है जो 10 वर्ष से अधिक दिनों से विद्यालय का संचालन कर रहे हैं, लेकिन अब तक अपने विद्यालय का निबंधन कराना आवश्यक नहीं समझ रहे हैं. वहीं, अधिकारियों की सुस्ती के कारण बगैर निबंधन के विद्यालयों का संचालन होने से राजस्व की क्षति होने के साथ छात्रों को भी गुणवतापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. = कुदरा की घटना के बाद विभाग हुआ था सक्रिय जिले के कुदरा स्थित निजी विद्यालय मॉडर्न व ब्लॉसम स्कूल में 5-6 वर्ष पहले घटना घटित होने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी सक्रिय हुए थे व तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा आदेश जारी किया गया था कि बिना निबंधन के चल रहे निजी विद्यालयों को बंद किया जायेगा. हालांकि, आदेश के बाद जिले के कई निजी विद्यालय जो बगैर निबंध के संचालित हो रहे थे, उनके संचालकों द्वारा निबंधन के लिए आवेदन किया गया था. लेकिन, घटना का समय जैसे जैसे बीतता गया, वैसे ही विभाग भी सुस्त पड़ गया. बताते चलें कि कुदरा में उसे समय एक बड़ी घटना हुई थी, जहां बिजली की चपेट में आने से मॉडर्न स्कूल के छात्र की मौत हो गया थी, तो वहीं ब्लॉसम स्कूल के एक छात्र की हत्या कर दी गयी थी. घटना के बाद शिक्षा विभाग सहित पूरा जिला प्रशासन हरकत में आ गया था और बिना निबंधन कराये विद्यालय संचालन पर रोक लगाने के लिए आदेश जारी किया गया था. बोले अधिकारी इस संबंध में डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान अमरेंद्र पांडे ने कहा कि बगैर निबंधन के संचालित हो रहे निजी विद्यालयों की जांच करने के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है. बगैर निबंधन के संचालित हो रहे सभी विद्यालय बंद किये जायेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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