भभुआ. बिहार के मधुबनी जिले में बनाये गये मिथिला हाट के तर्ज पर कैमूर में भी इस तरह के हाट बनाये जाने की संभावना बढ़ गयी है. इसे लेकर सरकार स्तर से जिला पदाधिकारी को निर्देश जारी किया गया है. गौरतलब है कि मधुबनी जिले के झंझारपुर में सरकार द्वारा दिल्ली हाट के तर्ज पर मिथिला हाट का निर्माण किया गया है. 26 एकड़ में फैले इस हाट में एक तरफ जहां मिथिला कला व संस्कृति का संगम दिखायी देता है. वहीं, दूसरी तरफ पुराने तालाब को नया लुक देने के साथ ओपन एयर थियेटर, फूड कोर्ट, डोरमेटरी, झरना, प्रशासनिक भवन, पार्किग एरिया आदि का निर्माण कर पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है. इधर, मिथिला हाट के तर्ज पर बनाये जाने वाले हाट के निर्माण को ले पर्यटन विभाग बिहार सरकार के सचिव लोकेश कुमार सिंह द्वारा जिला पदाधिकारी को जारी किये गये पत्र में कहा गया है कि मिथिला हाट के तर्ज पर ही पर्यटन विभाग बिहार के सभी जिलों में इसी तरह के हाट का निर्माण कराने का निर्णय लिया है, जिसे देखते हुए प्रत्येक जिले में कम से कम एक हाट के निर्माण के लिए भूमि चिह्नित करने की कार्रवाई सुनिश्चित किया जाये और इसका प्रस्ताव सरकार को उपलब्ध कराया जाये. पत्र में ऐसे हाटों का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे कराने की बात भी कही गयी है. क्योंकि, राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बनने वाले हाटों में लोगों के आवागमन की सुविधा सहित बिजली, पानी, संचार आदि बुनियादी सुविधाएं भी पर्याप्त स्तर पर बहाल किये जा सकेंगे. जिले में मिथिला हाट के तर्ज पर अगर किसी हाट का निर्माण कराया जाता है, तो कम से कम 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ेगी. हालांकि, मिथिला हाट 26 एकड़ जमीन में बनाये जाने की बात बतायी जाती है. इधर, पर्यटन विभाग बिहार सरकार के सचिव स्तर से जारी पत्र में कहा गया है कि हाइवे के किनारे इस तरह के हाट के निर्माण के लिए कम से कम पांच एकड़ जमीन तो सरोवर, झील आदि के निर्माण के लिए होना चाहिए. साथ ही साथ हाट से लगे कम से कम 10 एकड़ अतिरिक्त जमीन की भी आवश्यकता पड़ेगी. ताकि इस हाट में मिथिला हाट की तरह विभिन्न तरह की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सके. इन्सेट मिथिला की तरह हाट बनने के बाद बढ़ेगा पर्यटन विकास व रोजगार भभुआ. जिले में अगर सरकार के कल्पना के अनुरूप मिथिला के तर्ज पर कोई नया हाट बनाया जाता है, तो यहां पर्यटन विकास और रोजगार के साधनों में भी वृद्धि हो जायेगा. साथ ही साथ यहां के पारंपरिक क्राफ्ट व हस्तकला को भी एक नया बाजार मिलेगा. गौरतलब है कि कैमूर जिले में पर्यटन विकास को लेकर सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके बाद कैमूर की पहाड़ियों के मनोरम स्थल दूर दराज से आने वाले सैलानियों के लिए भी सैर सपाटे का एक महत्वपूर्ण स्थान बनने लगे हैं. ऐसे में अगर सैलानी कैमूर के पर्यटन स्थलों पर आते हैं तो एक बार इस तरह के हाट में भी घूमना सैलानियों की पसंद बनेगा. इसका लाभ पर्यटन विकास से लेकर स्थानीय स्तर पर रोजगार के नये अवसर के रूप में जिले को प्राप्त होगा. यही नहीं कैमूर के बुनकर जो दरी, कॉलीन आदि हस्त निर्मित माल तैयार करते हैं. उन मालों को बेचने के लिए इस तरह के हाट एक नया बाजार बनेगा और पारंपरिक तथा कुटीर उद्योगों में लगे लोगों की आमदनी बढ़ेगी.
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