करकटगढ़. पत्थर व पेड़ों के सहारे रात भर अटके रहे सैलानी
करकटगढ़ जलप्रपात पर पिकनिक मनाने रोहतास से आये 11 लोग नदी का जलस्तर अचानक बढ़ जाने के कारण नदी के बीच धार में रविवार को फंस गये थे. अचानक जल स्तर बढ़ जाने के कारण नदी के बीच में एक पत्थर पर सभी ने शरण ली थी
भभुआ कार्यालय. करकटगढ़ जलप्रपात पर पिकनिक मनाने रोहतास से आये 11 लोग नदी का जलस्तर अचानक बढ़ जाने के कारण नदी के बीच धार में रविवार को फंस गये थे. अचानक जल स्तर बढ़ जाने के कारण नदी के बीच में एक पत्थर पर सभी ने शरण ली थी, लेकिन पानी का जलस्तर बढ़ते-बढ़ते जब घुटनों तक पहुंच गया, तब एक समय वहां फंसे सभी 11 लोगों ने जीवन बचने की भी आस लगभग छोड़ दी थी, जिस तेजी के साथ पानी का जलस्तर ऊपर की ओर बढ़ रहा था उन्हें लगा कि वह अब कुछ ही देर में पानी के तेज धार में समा जायेंगे और फिर कुछ ही दूरी पर हजारों फुट नीचे गिरने के बाद जीवन लीला समाप्त हो जायेगी. लेकिन, ऊपर वाले की ही कृपा रही की घुटनों तक पानी पहुंचाने के बाद जलस्तर का बढ़ना रुक गया. इस तरह फंसे 11 लोग एक-दूसरे के पकड़े और वहां पत्थर व पेड़ों को पकड़ कर रात भर अटके रहे. लेकिन, नदी का जलस्तर बढ़ाना भले ही काम हो गया था, लेकिन पानी की धारा कम होने का नाम नहीं ले रही थी. पानी की तेज धारा के बीच स्थानीय लोगों द्वारा पहले तो रस्सी के सहारे उन्हें मदद पहुंचाने की कोशिश की गयी, लेकिन नदी में पानी की धार इतनी तेज थी की हर प्रयास विफल हो जा रहा था. फंसे सभी 11 लोग रोहतास जिले के कोचस से एक निजी वाहन द्वारा कैमूर पहाड़ी पर स्थित करकटगढ़ जलप्रपात पर पिकनिक मनाने के लिए आये थे. यहां लगभग दिन के 2:00 बजे करकटगढ़ जलप्रपात पर एक पत्थर पर खाना बनाना अभी शुरू ही किया था, तभी 2:30 बजे अचानक पानी का जलस्तर बढ़ने लगा. पानी का जलस्तर इतना तेजी से बढ़ा कि महज 10 मिनट में जिस जगह पर वह खाना बना रहे थे, वह जगह चारों तरफ से पानी घिर गया. यही नहीं पानी का जलस्तर तेजी से ऊपर आने लगा और पानी की धारा इतनी तेज हो गयी कि उसमें से निकलकर बाहर आना तो क्या अपने जगह हिल पाना भी मुश्किल हो गया था. इससे सभी 11 लोग वहीं पर फंसे रह गये. स्थानीय लोग बाहर से चिल्लाते रहे, लेकिन फंसे सभी 11 लोग पानी की तेज धारा को देखकर पानी के बीच से आने का नाम नहीं ले रहे थे. बाहर खड़े लोग भी उन्हें मदद पहुंचाने में पूरी तरह से असमर्थ थे. = मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से तीन घंटे बाद प्रशासन को मिली सूचना करकतगढ़ जलप्रपात पर कोई भी मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा था. इस कारण से दिन के लगभग ढाई बजे से वहां 11 लोगों के फंसे होने के बावजूद लगभग तीन घंटे बाद जब लोग वहां से चैनपुर आये, तब स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना मिली. इसकी सूचना जब डीएम सावन कुमार व एसपी ललित मोहन शर्मा को मि,ली तो उनके द्वारा तत्काल भभुआ एसडीएम विजय कुमार व चैनपुर के थानेदार को स्थानीय गोताखोर व रस्सा के साथ करकतगढ़ जलप्रपात पर भेजा गया. स्थानीय गोताखोरों की मदद से लगभग 8:00 बजे रात तक उक्त दोनों पदाधिकारी द्वारा काफी प्रयास किया गया, लेकिन फंसे 11 लोगों को निकाला नहीं जा सका. इसके बाद एसडीएम विजय कुमार द्वारा इसकी सूचना डीएम सावन कुमार को दी गयी कि स्थानीय स्थानीय लोगों व गोताखोरों की मदद से उन्हें निकाल पाना संभव नहीं है. पानी की तेज धार है उन्हें निकालने के लिए एनडीआरएफ एसडीआरएफ या हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ेगी और जिस तरह से जलस्तर बढ़ रहा है, ऐसे में फंसे उक्त लोग कभी भी बह सकते हैं. इसके बाद डीएम व एसपी ने पटना में बात कर एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम को भेजने के लिए कहा व मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल रात में ही करकतगढ़ जलप्रपात पहुंचे गये. = दोबारा तीन घंटे की बारिश ने संकट और बढ़ाया डीएम सावन कुमार व एसपी ललित मोहन शर्मा रात के लगभग 10:00 बजे करकतगढ़ जलप्रपात पर पहुंच गये और स्थानीय गोताखोरों से बात कर एक बार फिर उन्हें निकालने के लिए रस्सा के सहारे प्रयास शुरू किया गया, लेकिन पानी की धारा इतनी तेज थी कि उन्हें निकाल पाना संभव नहीं हो रहा था. डीएम सावन कुमार ने कहा कि अन्य गोताखोरों के जान भी जोखिम में डालना कहीं से ठीक नहीं है, उन्होंने कहा कि हम एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के टीम के आने तक इंतजार करेंगे, पटना से टीम चल चुकी है. इसी बीच एक बार फिर बारिश शुरू हो गयी. बारिश इतनी तेजी से शुरू हुई कि किसी का वहां रुकना संभव नहीं था. डीएम द्वारा टॉर्च जलाकर पानी के बीच धार में फंसे हुए लोगों को लगातार या संदेश देने की कोशिश की जा रही थी कि वह घबराएं नहीं, उन्हें मदद पहुंचाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है़ उन्हें बचा लिया जायेगा. फंसे हुए लोग भी मोबाइल की लाइट जलाकर रात में बताने की कोशिश कर रहे थे कि हम अभी तक सुरक्षित हैं. एक बजे पानी रुकने के बाद अधिकारियों ने निर्णय लिया कि हमें मोबाइल नेटवर्क में जाना चाहिए, तभी एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के लोगों से बात कर उन्हें यहां तक पहुंच पायेंगे. = डीएम-एसपी व अधिकारी भी नदी का जलस्तर बढ़ने से फंसे रात में 1:00 बजे जब पानी बंद हुआ और मोबाइल नेटवर्क में आने के लिए डीएम-एसपी सहित अन्य अधिकारी लौटने लगे तो रास्ते में सड़क पर बना छलका नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण पूरी तरह से डूब गया था, उसे पर धारा इतनी तेज थी कि गाड़ी का निकलना मुश्किल था. डीएम-एसपी सहित सभी अधिकारी वहां पर फंस गये. पानी की तेज धार होने के कारण गाड़ी का पर होना संभव नहीं था, जिसके कारण वहां भी लगभग 1 घंटे तक पानी के काम होने का इंतजार करना पड़ा, जब पानी का जलस्तर लगभग 2:00 बजे कम हुआ तब गाड़ियां निकली और जिला मुख्यालय भभुआ पहुंची. इसके बाद एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम को डीएम-एसपी द्वारा करकतगढ़ भेजा गया. = बीएमपी की कंपनी व सेटेलाइट फोन मदद के लिए भेजा एसपी ललित मोहन शर्मा द्वारा अधौरा में कैंप कर रही बीएमपी की कंपनी को व सेटेलाइट फोन को अपने निजी सुरक्षा गार्ड के साथ करकटगढ़ जलप्रपात पर भेजो, ताकि मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की स्थिति में वहां से सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके. रेस्क्यू ऑपरेशन को चलाया जा सके. भभुआ पहुंचने के बाद सेटेलाइट फोन के जरिए डीएम-एसपी लगातार उन्हें निकालने के लिए हर संभव मदद वहां पहुंचने का काम कर रहे थे. = जीवन दूत बनकर आया एनडीआरएफ व एसडीआरएफ लगभग 4:00 बजे एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम करकतगढ़ जलप्रपात पर पहुंच गयी, तब तक धीरे-धीरे उजाला होने लगा था. उजाला होने पर लगभग 5:00 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन को शुरू किया गया. ढाई घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद फंसे हुए सभी 11 लोगों को एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम ने सभी को सुरक्षित निकाल लिया. = फंसे लोगों की आंखों के सामने नजर आ रही थी मौत फंसे लोगों ने बताया उन्होंने अपने कमर में रस्सी बांधकर एक पेड़ से बांध दिया था और सभी लोग एक दूसरे को पकड़े हुए थे, लेकिन जिस तरह से बारिश हो रही थी उसके बाद ऐसा लग रहा था कि पानी का जलस्तर अगर और बढ़ा तो पानी उन्हें बहा ले जायेगी. उनकी आंखों के सामने स्पष्ट रूप से मौत दिख रहा था. सामान्य दिनों में वहां पर जीओ का मोबाइल नेटवर्क काम भी करता था, लेकिन रविवार को वह भी काम नहीं कर रहा था. रेस्क्यू के बाद बाहर निकले लोगों ने कहा कि हमें हमें विश्वास नहीं हो रहा है कि हम यहां आज जिंदा है, हमने जो नजारा देखा है और जिस तरह से रात बितायी है वह बहुत खौफनाक रात हमारे याद रहेगी. = दोस्त की मदद के लिए दोबारा जाने पर फंसा निर्भय फंसे 11 लोगों में निर्भय पांडे ने बताया कि वह जब खाना बनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने लगा. नदी के जलस्तर को बढ़ते देख वह तेजी से नदी के बाहर आ गया, लेकिन इसी बीच उसका दोस्त अरमान अली रोने लगा और कहने लगा कि वह इस तेज धार में बाहर नहीं आ सकता है. अपने दोस्त को फंसा देख मदद पहुंचाने के लिए निर्भय एक बार फिर नदी के बीच धार में चला गया, तब तक पानी इतना बढ़ चुका था कि उसे फिर वापस आना संभव नहीं था. निर्भय ने बताया कि वह अपने दोस्त अरमान को खुद ही साथ लाया था, ऐसे में दोस्त को छोड़कर भाग जाना मैं उचित नहीं समझा और मुझे लगा कि अगर जान जायेगी तो हम सभी 11 लोग साथ जान गवां देंगे. लेकिन अपने दोस्त को छोड़कर भागेंगे नहीं. = फंसे लोग व परिजनों ने जिला प्रशासन का जताया आभार फंसे 11 लोग जब बाहर निकले, तब तक उनके परिजन भी कोचस से उक्त स्थल पर पहुंच चुके थे. उक्त स्थल पर नदी की भयावह स्थिति को देखकर परिजनों को भी अब भरोसा नहीं हो रहा था कि उनके अपने लोग आज जिंदा उस पानी की बीच धार से निकलकर बाहर आ गये हैं, उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन को आभार जताते हुए कहा कि जिस तरह से डीएम-एसपी ने रात भर यहां कैंप कर मदद पहुंचाने का काम किया है, ऐसा हमने सोचा भी नहीं था. कैमूर जिला प्रशासन की पहल का नतीजा है कि हमारे सभी लोग आज जिंदा बचे हुए हैं. हम सभी लोग एनडीआरएफ व एसडीआरएफ व कैमूर जिला प्रशासन का जिंदगी भर आभारी रहेंगे, यह जिंदगी उन्हीं की देन है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व अधिकारियों के चेहरे पर भी आयी खुशी जब सभी 11 लोगों को सकुशल नदी के बीच धार से सोमवार की सुबह आठ बजे निकाल दिया गया, तो उसके बाद निकल गये 11 लोग व उनके परिजनों के साथ-साथ अधिकारियों के चेहरे पर भी स्पष्ट रूप से खुशी दिख रही थी. एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम भी सभी 11 लोगों को बचाने में सफल होने के बाद काफी खुश नजर आ रही थी. सबसे अधिक राहत कैमूर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने महसूस किया, उनके भी चेहरे पर खुशी दिख रही थी कि उनके द्वारा लगातार 17 घंटे से किया गया मेहनत आखिरकार रंग लाया और सभी 11 लोगों को सकुशल बचा लिया गया. = नदी के बीच पर्यटकों को जाने से रोकने की जरूरत करकतगढ़ जलप्रपात की खूबसूरती इतनी ज्यादा है कि वहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक आम दिनों में आते रहते हैं. खासकर रविवार को वहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. वह स्थल वन विभाग के जिम्मे में है, वहां पर पहुंचे सभी लोगों ने कहा कि वन विभाग के कर्मियों को वहां पहुंचने वाले पर्यटकों को नदी के बीच में जाने से रोकने की जरूरत है. अगर वन विभाग द्वारा नदी के बीच में पर्यटकों को जाने से रोक दिया जायेगा तो इस तरह की घटना दोबारा नहीं होगी. हालांकि डीएफओ चंचल प्रकासम भी पूरी रात वहां पर कैंप कर रहे थे. उनके द्वारा भी इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसे लेकर वहां पर तैनात वन की आदमियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये.
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