भभुआ. कहा जाता है कि हार तब होती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है. कुछ ऐसे ही जज्बे और हौसले के साथ बिहार से भाईचारे का संदेश लेकर 7000 हजार किमी की पदयात्रा पर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के साहिबगंज थाना क्षेत्र के जगदीशपुर गांव का रहने वाला युवक राजा बाबू पिता विनय कुमार निकला है. उससे मंगलवार को इस संवाददाता की मुलाकात भभुआ-मोहनिया पथ पर अचानक हुई. इसके बाद लगभग 35-36 वर्ष के राजा बाबू से जब संवाददाता ने बात की, तो उसने बताया कि वह सात सितंबर मां जानकी के जन्म स्थली सीतामढ़ी से मां का आशीर्वाद लेकर निकला है. वहां से होते हुए वह रास्ते में पड़ने वाले विभिन्न देव स्थलों का दर्शन करते नेपाल के काठमांडू स्थित बाबा पशुपतिनाथ का आशीर्वाद ले चुका है. नेपाल के बाद वह पटना में पटन देवी का दर्शन करते और आरा होते रोहतास जिले के मां तारा चंडी दरबार में मत्था टेकने के बाद कैमूर के मां मुडेश्वरी भवानी का चरण रज लेकर आगे की पदयात्रा पर जा रहा है. यहां से वह बाबा विश्वनाथ, मां विध्याचली, चित्रकूट, प्रयागराज होते अयोध्या निकलेगा. अयोध्या से यह यात्रा हरिद्वार और उत्तराखंड होते मां वैष्णो के दरबार में जाकर समाप्त हो जायेगी. साथ ही बताया कि मेरे पदयात्रा का उद्देश्य भाईचारा और शांति सद्भाव कायम करना है. तिरंगा मेरी शान है, मां मेरी जान है. सफलता ऊपर वाले के हाथ में है. = किसी से कुछ मांगता नहीं, जहां शाम वहीं विश्राम पदयात्रा पर निकला राजा बाबू किसी से कुछ मांगता नहीं है. यह पूछे जाने पर कि पदयात्रा का खर्च कैसे चल रहा है. युवक ने बताया कि किराया भाड़ा कहीं देना नहीं पड़ता है. खाने-पीने का खर्च कुछ लोग रास्ते में दे देते हैं. कुछ पैसे अपने पास भी हैं, जिसे जरूरत पड़ने पर एटीएम से निकाल लेता हूं. सुबह सात बजे से अंधेरा होने तक लगभग 40-50 किमी की दूरी तय करता हूं. जहां शाम हो जाती है वहीं कहीं भी ठिकाना मिलने पर विश्राम कर लेता हूं. कभी लोग भोजन करा भी देते हैं, तो कभी होटलों में खाना पड़ता है. राजा ने बताया कि उसकी यह यात्रा मार्च 2025 के अंत तक या अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक जारी रहने की उम्मीद है.
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