पैक्स समिति का सदस्य बनने के लिए सहकारिता विभाग का दरवाजा खटखटा रहे लोग
जिले में पैक्स कमेटियों के सदस्य बनने के लिए बड़ी संख्या में लोग जिला सहकारिता विभाग का दरवाजा खटखटा रहे हैं. यहां पैक्स अध्यक्षों के रवैये को लेकर आवेदकों में लगातार असंतोष बढ़ते जा रहा है
भभुआ. जिले में पैक्स कमेटियों के सदस्य बनने के लिए बड़ी संख्या में लोग जिला सहकारिता विभाग का दरवाजा खटखटा रहे हैं. यहां पैक्स अध्यक्षों के रवैये को लेकर आवेदकों में लगातार असंतोष बढ़ते जा रहा है. गौरतलब है कि जिले में पैक्स कमेटियों के चुनाव में वहीं लोग मतदान कर सकते हैं जो पैक्स समिति के सदस्य होंगे. लेकिन, सदस्य बनने के लिए आवेदक जिस पैक्स में आवेदन कर रहा है, उसके आवेदन पर पैक्स अध्यक्ष की सहमति का हस्ताक्षर होना आवश्यक है. अगर, पैक्स अध्यक्ष आवेदक के आवेदन पर अपना हस्ताक्षर और मुहर नहीं मारता है तो इसका मतलब है पैक्स अध्यक्ष किसी बिंदु पर असहमत है. पैक्स अध्यक्ष के असहमत होने के बाद उसके खिलाफ इसकी अपील जिला सहकारिता विभाग में की जाती है. वहां आवेदक के पक्ष को सुना जाता है. इधर, जिले के रूपुर, कुडारी आदि सहित कई पैक्सों में इस तरह के मामले लगातार आ रहे हैं कि पैक्स अध्यक्ष द्वारा उनका आवेदन जानबूझ कर अस्वीकृत कर दिया जाता है. इधर, इस संबंध में रूपपुर पैक्स के सदस्य बनने के लिए ऑनलाइन आवेदन किये अक्षय कुमार कुशवाहा ग्राम हरिहरपुर, पंकज कुमार ग्राम रूपुर आदि ने बताया कि पैक्स सदस्य बनने के लिए रूपुर पंचायत के लगभग 400 लोगों का पैक्स अध्यक्ष द्वारा आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया है, जिसे लेकर उन लोगों ने जिला सहकारिता विभाग में अपील की है. लेकिन, जिला सहकारिता विभाग द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं देखा जा रहा है. सुनवाई के लिए कई बार दौड़ाया जाता है. इन लोगों ने बताया कि पांच सितंबर को रूपपुर पैक्स की सुनवाई डेट थी. लेकिन, उस दिन सिर्फ आवेदकों के आधार कार्ड आदि जरूरी कागजात ही जमा कराये गये, फिर बताया गया कि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम है, उसके बाद सुनवाई करायी जायेगी. इन्सेट पैक्स अध्यक्ष का आवेदन पर हस्ताक्षर करने मंशा ठीक नहीं भभुआ. पैक्सों के सदस्य बनने के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों के अनुसार पैक्स अध्यक्ष अपने समर्थक वोटरों के आवेदन पर ही अपना हस्ताक्षर करते हैं. ताकि आगामी पैक्स चुनाव में उनके विरोधी मतदाताओं की फौज न खड़ी हो सके. इस संबंध में पैक्स सदस्य बनने के लिए हरिहरपुर गांव के अक्षय कुशवाहा, रूपुर गांव के पंकज कुमार आदि ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन में पंचायत क्षेत्र के निवासी, उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक, पासबुक नंबर, आधार नंबर, दो पूर्व पैक्स सदस्यों का आधार नंबर और उनका हस्ताक्षर, दिवालिया नहीं होने, न्यायालय में कोई मुकदमा नहीं होने आदि का प्रमाण दिया जाता है. इसमें किसी न किसी कारण को लगाकर पैक्स अध्यक्ष द्वारा अस्वीकृत कर दिया जा रहा है. अक्षय ने बताया कि मेरे केस में जिला सहकारिता विभाग द्वारा पैक्स अध्यक्ष के अस्वीकृत करने का कारण यह बताया गया कि पूर्व पैक्स सदस्यों का हस्ताक्षर फर्जी है. लेकिन, हमारे दोनों पूर्व पैक्स सदस्य उषा देवी और अंगद सिंह अपना आधार और हस्ताक्षर सत्यापित कराने के लिए तैयार हैं, बावजूद इसके सुनवाई की तिथि टाल दी जाती है. जबकि सुनवाई में पैक्स अध्यक्ष, जिला सहकारिता पदाधिकारी तथा आवेदक तीनों को रहना है, लेकिन कई बार पैक्स अध्यक्ष सुनवाई में शामिल नहीं होते हैं. इससे यह प्रतीत हो रहा है कि पैक्स अध्यक्षों की मंशा अपने विपक्षी वोटरों को सदस्य बनने से वंचित कर दिये जाने की है.
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