चार जर्जर कमरों में चलता है मध्य विद्यालय खामीदौरा

शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चलायी जा रही है. वहीं, विद्यालय भवनों की जर्जर हालात के बीच बैठकर अध्ययन-अध्यापन करने को शिक्षक व छात्र विवश व लाचार दिखते हैं

By Prabhat Khabar News Desk | September 29, 2024 8:51 PM

दुर्गावती. शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चलायी जा रही है. वहीं, विद्यालय भवनों की जर्जर हालात के बीच बैठकर अध्ययन-अध्यापन करने को शिक्षक व छात्र विवश व लाचार दिखते हैं. यह हाल इन दिनों पर स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के राजकीयकृत मध्य विद्यालय खामीदौरा का है. जानकारी के अनुसार, यह विद्यालय पहले प्राथमिक विद्यालय के रूप में जाना जाता था. तब यह विद्यालय गांव के मध्य भूभाग में चलता था. लगभग 1982 के दौरान यह विद्यालय राजकीयकृत मध्य विद्यालय में परिवर्तित हुआ. हाल के दिनों में यह विद्यालय गांव के निकट उत्तरी तरफ बधार में स्थापित है. वर्षों पूर्व बना यह भवन इन दिनों जर्जर हो गया है. बच्चों व शिक्षकों के अध्ययन-अध्यापन के लिए पूर्व के बरामदानुमा छोटे बड़े मात्र चार कमरे है. इसमें इस विद्यालय का एक छोटा सा भवन विद्यालय कार्यालय के काम में आता है. अन्य तीन कमरे में कक्षा 6, 7 व 8 तथा खुले बरामदे में कक्षा 3, 4, 5 व कक्षा 1 व 2 के बच्चों का टूटे बिखरे खिड़की दरवाजों के बीच जर्जर आंगनबाड़ी भवन में पठन-पाठन होता है. ऐसे में एक ओर जहां इस विद्यालय में भवनों की कमी दिखती है. वहीं, दूसरी तरफ हाल के बीते दिनों की बात करें तो रंगरोगन के बावजूद पुराने हो चले भवन के छज्जे से बारिश के समय पानी टपकता है. दीवारों के फट रहे प्लास्टर साफ झलकते हैं, जो इस विद्यालय भवन की जर्जरता को बयां करती नजर आती है. ऐसे में पठन- पाठन के दौरान शिक्षक व छात्रों में हादसे का भय बना रहता है. सुरक्षा की दृष्टि से इस विद्यालय में चहारदीवारी भी नहीं है. शाम ढलते ही चहारदीवारी नहीं होने से लावारिस पशुओं तथा विषैले जीव जंतुओं का भी यहां आना-जाना शुरू हो जाता है. खुले बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं बच्चे हाल यह है कि मौसम बारिश का हो या चिलचिलाती धूप का, इस विद्यालय के कक्षा एक व दो के छात्र बिना खिड़की व दरवाजे वाले आंगनबाड़ी के जर्जर भवन में बैठकर पढ़ते हैं. यही हाल कक्षा तीन से पांच तक के शिक्षक व छात्र-छात्राओं का है, जो विद्यालय के खुले बरामदे में अध्ययन- अध्यापन को मजबूर हैं. इस विद्यालय के पश्चिमी तरफ शौचालय तो बना है, जो बाहर से देखने पर ठीक -ठाक लगता है. लेकिन, इसका टैक खराब हो गया है. इसके कारण शौच महसूस होने पर छात्र-छत्राओं सहित शिक्षकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. बच्चों को भी इधर-उधर भाग दौड़ करनी पड़ती है. चारों तरफ घास फूस व खेतों के बीच घिरे विद्यालय में सांप बिच्छू जैसे जहरीले जानवरों का भी आगमन होता रहता है. बारिश के दौरान इस भवन के छज्जे से जब पानी गिरना शुरू होता है तो स्थिति काफी भयावह हो जाती है. #भूमी, भवन व चहारदीवारी का अभाव # विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या लगभग 400 के करीब है. हालांकि शिक्षकों की संख्या ठीक-ठाक बतायी जाती है. बच्चों के मध्याह्न भोजन बनाने के लिए रसोइया भी है. लेकिन भूमि, भवन व चहारदीवारी के अभाव में यह विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. साथ ही रास्ते के नहीं बनने से बच्चे खेत की मेढ़ पकड़ कर विद्यालय आते-जाते हैं. कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी प्रधानाध्यापक अनिल कुमार सिंह कहते हैं कि इस विद्यालय में भवन का अभाव तो है ही. छत भी जर्जर है, जो कभी भी गिर सकती है. बारिश के समय अक्सर छत से पानी गिरता रहता है, जिससे स्कूल में पढ़ने -पढ़ाने वाले बच्चों व शिक्षकों में चोटिल होने का भय बना रहता हैं. बरसात में छत से पानी का रिसाव भी होता है. ऐसे में विद्यालय के बेंच-डेस्क भी पानी में भिंगकर सड़ जाते हैं. जर्जर स्कूल होने के कारण कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों का नामांकन समीप के विद्यालय तथा अन्यत्र जगहों पर करा लेते हैं. विद्यालय भवन की जर्जरता को लेकर विभाग को पत्र भी लिखा गया है. लेकिन नया भवन का निर्माण कब होगा अभी इसकी जानकारी हमें नहीं है. बोले अधिकारी– इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मालती नगीना द्वारा कहा गया कि बात तो सही है कि मध्य विद्यालय खामीदौरा में बच्चों की संख्या काफी है तथा भवन की जर्जरता व कमी भी है. इसके अलावा जिन विद्यालयों में भवन, चहारदीवारी आदि की आवश्यकता है, उनकी सूची बनाकर विभाग को भेजी गयी थी. उस पर क्या कार्य हुआ है मेरी जानकारी में नहीं है. इसलिए पुनः सूची बनाकर जिला में विभाग को भेजी जा रही है.

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