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बीएलओ की लापरवाही, पियां बूथ के 65 मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से काटा

एक तरफ सरकार मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. ताकि लोग लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले सकें. मगर, सरकार के उक्त उद्देश्य का बीएलओ इस तरह धज्जियां उड़ाये कि सदर प्रखंड के पियां बूथ पर 65 मतदाता मतदान करने से वंचित रहे गये.

भभुआ नगर. एक तरफ सरकार मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. ताकि लोग लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले सकें. मगर, सरकार के उक्त उद्देश्य का बीएलओ इस तरह धज्जियां उड़ाये कि सदर प्रखंड के पियां बूथ पर 65 मतदाता मतदान करने से वंचित रहे गये. हरियाणा, पंजाब, दिल्ली जैसे शहरों से मतदान के लिए मतदाता अपने गांव पियां आये थे, मगर बीएलओ ने वैसे 65 मतदाताओं का मतदाता सूची से नाम काट दिया. इसके कारण वोट देने का सपना उक्त मतदाताओं के मन में ही दफन हो गया. इस तरह की हुई चूक के बाद से मतदाता जिला प्रशासन से नाराज हैं. मतदाताओं का कहना है कि गांव के कई लोग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व अन्य प्रदेश में नौकरी करते हैं. लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेने के लिए गांव आये थे. गांव आने में मतदाताओं को हजारों रुपये खर्च भी हो गये. लेकिन मतदाता सूची से नाम काट जाने के कारण पियां गांव के लगभग 65 मतदाता मतदान नहीं कर सके. इन मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए पांच वर्षों तक इंतजार करना पड़ेगा. पियां गांव निवासी मतदाता कमल सिंह ने कहा कि मैं झारखंड में रहता हूं. मतदान करने के लिए घर पर आया था. लेकिन मतदाता सूची से नाम गायब रहने के कारण मैं मतदान नहीं कर सका. यही कहना मतदाता सत्येंद्र सिंह, गुदनी देवी सहित अन्य मतदाताओं का था. दरअसल, मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम काटना आसान नहीं होगा. इसके लिए चुनाव आयोग की तरफ से नयी गाइडलाइन जारी करते हुए प्रक्रिया कठिन कर दी गयी है. यह नियम आयोग की ओर से पूर्व में बीएलओ के मनमाना नाम काटने को लेकर होने वाली गड़बड़ियों को देखते हुए लिया गया है. पहले जहां बीएलओ मनमाने तरीके से मतदाताओं का नाम सूची से काट देते थे. इसके बाद चुनाव के ऐन वक्त पर प्रशासन को विरोध के साथ ही समस्या झेलनी पड़ती थी. इन सबको देखते हुए चुनाव आयोग की तरफ से नाम काटने के नियम में परिवर्तन कर दिया गया है. अब नाम काटने से पहले इआरओ यानी निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी जिनको चुनाव शुरू होने से पहले मतदाता सूची में नाम जोड़ने, काटने, संशोधित करने की जिम्मेदारी दी जाती है. इनकी तरफ से संबंधित मतदाता को नाम काटने के कारण के साथ डाक विभाग से स्पीड पोस्ट भेजना होगा. 15 दिन में जवाब न आने पर संबंधित बीएलओ को उनके घर भेजा जायेगा. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही सूची से नाम काटा जा सकेगा. इसके अलावा जैसे शिफ्टेड मतदाता हैं जो यहां से कहीं और जाकर शिफ्ट हो गये. उनको भी डाक विभाग से स्पीड पोस्ट भेजना है. इसमें फार्म-7 भरवाकर साथ में संलग्न करके नोटिस भेजा जायेगा. इससे यह पता चलेगा कि संबंधित व्यक्ति वहां पर रह रहा है या किसी महानगर में शिफ्ट हो गया. इसके बाद ही इन बोगस मतदाताओं का नाम काटा जा सकेगा. मगर, सदर प्रखंड के पियां बूथ पर इस तरह का नियम बेमानी साबित हो गया. लगभग 65 मतदाताओं के मतदान करने का सपना सपना ही रह गया. -मतदान से वंचित लोगों में निराशा व आक्रोश उक्त मतदाताओं का कहना है कि पियां मतदान केंद्र पर लगभग 65 मतदाताओं का वोटर लिस्ट से नाम गायब है. सभी मतदाता मताधिकार से वंचित हो गये. बीएलओ की लापरवाही के कारण मुंबई, दिल्ली, झारखंड से लोकतंत्र के महापर्व में अपने मताधिकार का प्रयोग करने आये वोटरों को निराशा हाथ लगी. पियां बूथ पर वोट देने से वंचित मतदाता सत्येंद्र सिंह, कमल सिंह, राजू कुमार, गुड्डन देवी, भगवान सिंह, राजीव रंजन, रिंकी देवी, चंदा देवी, रामशंकर सिंह, रामसूरत यादव, वशिष्ठ यादव, सुगिया देवी, रचना देवी सहित पांच से छह दर्जन वोटरों का नाम वोटर लिस्ट से गायब है. उक्त लोगों का कहना है कि सभी मतदाता उत्साह पूर्वक मतदान करने के लिए मतदान केंद्र पर गये. मगर वहां पर जाने पर उनको मालूम हुआ कि इनका नाम मतदाता सूची में नहीं है. इसके बाद निराश होकर वापस घर लौट गये. – क्या कहते हैं बीडीओ भभुआ प्रखंड निर्वाची पदाधिकारी सह बीडीओ सतीश कुमार से उपरोक्त मामले में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि इस तरह का मामला मेरी जानकारी में नहीं है. यदि इस तरह की लापरवाही बरती गयी है, तो मामले की जांच करायी जायेगी.

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