नेशनल हाइवे-319 ए का विस्तार करने वाले कर्मियों की लापरवाही बन रही काल

मोहनिया-बक्सर पथ नेशनल हाइवे-319 ए का निर्माण करा रही कंपनी व विभाग के लोग और कितने लोगों की जान लेंगे, यह लोगों की समझ से बाहर हो चुका है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2024 8:54 PM
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मोहनिया सदर. मोहनिया-बक्सर पथ नेशनल हाइवे-319 ए का निर्माण करा रही कंपनी व विभाग के लोग और कितने लोगों की जान लेंगे, यह लोगों की समझ से बाहर हो चुका है. नुआंव से मोहनिया के बीच कई स्थानों पर उक्त पथ के चौड़ीकरण को लेकर पुलिया का निर्माण किया जा रहा है. लेकिन, निर्माणाधीन पुलियों के किनारे बैरिकेडिंग नहीं की गयी है और न ही ढलाई में उपयोग किये गये नुकीले लोहे की छड़ों की ही घेराबंदी की गयी, बल्कि छड़ों को ऊपर की तरफ निकाल कर छोड़ दिया गया है. इसका नतीजा है कि अब तक इन निर्माणाधीन पुलियों में गिरकर दो लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है, साथ ही पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं. उक्त घटनाएं चालू वर्ष के महज दो महीने मार्च, अप्रैल में सबसे अधिक हुई है. जबकि, नवंबर में भी इस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं. इसके बावजूद पथ निर्माण विभाग व कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारी अपनी इन गलतियों के कारण लोगों को असमय काल का निवाला बनाने से बाज नहीं आ रहे. सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि इन हादसों में निर्माणाधीन पुलियों में गिरकर लोगों की मौत व घायलों की जानकारी तक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोगों द्वारा पथ निर्माण विभाग के वरीय पदाधिकारियों को नहीं दी गयी, क्योंकि इनको भी मालूम है कि यदि हमारी खामियों की वजह से लोगों की मौत का मामला सामने आयेगा, तो उनके ऊपर ही कार्रवाई की तलवार लटक जा सकती है. वहीं, नेशनल हाइवे-319 ए के विस्तार का कार्य अभी लंबे समय तक चलेगा और यदि इसी तरह कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोग लापरवाही करते रहे, तो निर्माण के अंतिम समय तक न जाने कितने लोगों की मौत का कारण बनेंगे. # केस नंबर 01 # पथ निर्माण कंपनी की लापरवाही से पहली मौत की घटना 09 मार्च 2024 की रात मोहनिया थाना क्षेत्र के भिरखिरा के समीप घटित होती है, जब रामगढ़ थाना क्षेत्र के कन्हूआ गांव निवासी हंसलाल शर्मा के 38 वर्षीय पुत्र श्रवण कुमार चौरसिया स्थित एक राइस मिल की रिपेयरिंग कर अपनी बाइक से अपने घर निकलते हैं और लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद सामने से आ रहे वाहन को पास देने के दौरान भिरखिरा के समीप एनएच 319 ए के बिना बैरिकेडिंग वाले निर्माणाधीन पुलिया के अंदर गिर जाते हैं. इसमें कुछ पानी भी भरा हुआ था. गंभीर रूप से घायल होने के कारण उनकी पुलिया के अंदर ही मौत हो जाती है. इस घटना की जानकारी रात्रि गश्त कर रही पुलिस को उस समय हुई, जब पुलिस की गाड़ी उक्त पुलिया के समीप पहुंचती है और पुलिस की नजर सड़क के किनारे पड़ी दुर्घटनाग्रस्त श्रवण की मोटरसाइकिल पर पड़ती है. पुलिस समझ जाती है कि यहां कोई हादसा हुआ है पुलिस टार्च की रोशनी में इधर उधर बाइक सवार की तलाश करने लगती है, लेकिन कोई नजर नहीं आता है. फिर पुलिस निर्माणाधीन पुलिया में टार्च के सहारे देखती है तो श्रवण कुमार दिखाई दिये. पुलिस श्रवण कुमार को बाहर निकालती है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और श्रवण कुमार की जीवन लीला का अंत हो चुका होता है. पुलिस शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप देती है. इस तरह निर्माण कंपनी व अधिकारियों की लापरवाही से श्रवण कुमार की तीन पुत्रियों व एक पुत्र के सिर से पिता का छाया उठ गया. # केस नंबर 02 # नेशनल हाइवे-319 ए का विस्तार कर रही कंपनी की लापरवाही से मौत की दूसरी घटना 10 अप्रैल 2024 की रात उस समय घटती है, जब रामगढ़ थाना क्षेत्र के डरवन गांव निवासी विपिन सिंह के 25 वर्षीय पुत्र प्रभात शंकर अपनी बाइक से अपने घर जा रहे थे. अकोढ़ी पुल के समीप क्रासिंग के दौरान निर्माणाधीन पुलिया के अंदर जा गिरे, जिससे उनको गंभीर चोटें आयीं. राहगीरों ने सूचना पर रामगढ़ पुलिस पहुंची और घायल को रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां चिकित्सकों ने प्रभात शंकर को मृत घोषित कर दिया. इन भयावह हादसों के बाद भी निर्माण कंपनी द्वारा ऐसी निर्माणाधीन पुलियों की अस्थायी ही सही लेकिन ठोस घेराबंदी करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया. # केस नंबर 03 # तीसरी घटना चालू वर्ष की 18 अप्रैल को उस समय घटती है, जब कुढ़नी थाना क्षेत्र के हरिहरपुर गांव निवासी विनोद कुमार व सिकंदर बिंद अपने एक साथी के साथ एक ही बाइक पर सवार होकर अपने घर से भभुआ थाना क्षेत्र के मीठापुर गांव में आयोजित एक तिलक समारोह में शरीक होने के लिए निकलते है. मोहनिया- बक्सर पथ एनएच 319 ए से रामगढ़ थाना क्षेत्र के सिसौड़ा गांव के समीप अनियंत्रित होकर बिना बैरिकेडिंग वाली निर्माणाधीन पुलिया के अंदर जा गिरे और गंभीर रूप से घायल हो गये. यह तो शुक्र था कि सिसौड़ा गांव बिल्कुल नजदीक था और ग्रामीण दौड़ पड़े, जिससे समय रहते पुलिस को सूचित कर घायलों को रामगढ़ रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया. इस तरह समय से इलाज हो जाने के कारण घायलों की जान तो बच गयी, लेकिन पथ निर्माण विभाग व कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इतने पर भी कोई सीख नहीं ली. इधर, बैरिकेडिंग के नाम पर अब कुछ दिनों से खानापूर्ति देखा जा रहा है, जहां बोरियों में थोड़ा मिट्टी भरकर किनारे पर रख दिया गया है, जो साइकिल सवार को भी पुलिया के अंदर गिरने से नहीं रोक पायेगी. # केस नंबर 04 # उक्त पथ पर भुंडीटेकारी नहर के छोड़े गये अर्द्धनिर्मित पुलिया में मंगलवार की देर शाम बाइक से अपने घर तोरवां जा रहे मंगरु व उनका एक रिश्तेदार अनियंत्रित होकर बाइक सहित लगभग 10 फुट गहराई में जा गिरे. शुक्र रहा कि बगल में दुकान व घर बना हुआ है, जिससे वहां उपस्थित लोग दौड़ पड़े और नहर से दोनों को घायल अवस्था में बाहर निकालकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया, अन्यथा गंभीर चोट के कारण पानी में ही डूब कर दोनों की मौत हो सकतीं थी. इसी तरह भरखर, दसौंती नहर पुल के समीप पुलिया की ढलाई के क्रम में लगभग दो फुट लंबाई वाले लोहे की छड़ों को ऊपर की तरफ खड़ा करके छोड़ दिया गया है. सड़क के चालू हिस्सा की तरफ से घेराबंदी भी नहीं की गयी है यदि किसी वाहन को पास देने के क्रम में जरा सी चूक हुई और बाइक सवार उस निकाले गये छड़ों पर गिर गया तो उसका शरीर छलनी हो जायेगा. इससे उसकी मौत होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

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