भभुआ. भारत माला परियोजना के तहत जिले में बनाये जाने वाले वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित भूमि के मुआवजा को लेकर एनएचएआइ द्वारा सर्किल रेट दोगुना करके मुआवजा देना भी किसानों ने हित में नहीं बताते हुए उसे नकार दिया है. लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक बार फिर रविवार को जिले के 93 मौजों में एक ही समय पर एक साथ फिर धरना व प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया. गौरतलब है कि तीन दिन पहले जिला पदाधिकारी के माध्यम से मीडिया में यह खबर आयी थी कि अक्तूबर 2024 में आर्बिट्रेटर के फैसले के अनुसार जिले का सर्किल रेट को दोगुना करते हुए निर्धारित नियमों के मुताबिक अधिग्रहित भूमि का करीब चार गुना मुआवजा राशि के लिए निर्धारित दर को पंचाट मंजूरी के लिए एनएचएआइ को भेजा गया था, जिसकी मंजूरी एनएचएआइ द्वारा दे दी गची है. इसकी सूचना मुझे वरीय अधिकारियों से प्राप्त हो गयी है. अब यह कार्रवाई पूरा होते ही नयी दर से जमीन मालिकों को उनके अधिग्रहित भूमि के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. इधर, एनएचएआइ के इस फैसले को मीडिया में आने के बाद भी रविवार को किसानों द्वारा जिले के 93 मौजों में धरना व प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन पूर्व की तरह ही जारी रखा. इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष विमलेश पांडेय, महासचिव पशुपतिनाथ सिंह पारस ने बताया एनएचएआइ का यह फैसला भी किसानों के हित में नहीं है. इसलिए किसान अपने आंदोलन को समाप्त नहीं करने जा रहे हैं. जब तक हमें उचित मुआवजा नहीं मिलेगा अपनी जमीन पर किसी को हाथ नहीं लगाने देंगे. धरना पर गेहूआं, मसोई, जगरियां, सिहोरियां, खैटी, ठकुरहट, बसनी आदि गांवों के किसानों सरकार के विरोध में जम कर नारे भी लगाये. प्रदर्शन में किसान नेता अभिमन्यु सिंह, किसान टुनटुन सिंह, राजेश पासवान, अरविंद सिंह, अशोक कुमार, तिलेश्वर दूबे, भूपेंद्र सिंह, श्याम सुंदर सिंह, विकास यादव आदि शामिल थे. किसानों ने बताया कि मुख्यमंत्री की कैमूर में होने वाली प्रगति यात्रा के विरोध को लेकर पूर्व में किये गये फैसले में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सीएम की प्रगति यात्रा में उचित मुआवजा के मांग को लेकर किसान काली पट्टी बांध कर अपना विरोध दर्ज करायेंगे. इन्सेट सरकार किसानों को दे प्रति एकड़ 64 लाख भभुआ. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण को लेकर जिले में भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा किसान और किसान संगठनों द्वारा उत्तरप्रदेश सरकार की तरह प्रति एकड़ 64 लाख रुपये की दर किये जाने की मांग की जा रही है. संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव ने बताया कि यही एक्सप्रेसवे पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले के कांटा, विशुनपुरा, धरौली, कुशहा आदि मौजों से भी गुजर रहा है. वहां उत्तरप्रदेश की सरकार किसानों को 64 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा की भुगतान कर रही है. जबकि कैमूर में सरकार नगर क्षेत्र से लगे जिले के सीवों, दुमदुम, बेतरी तथा गोडहन मौजों को छोड़ कर जिले के बाकी जगरियां, सिरबिट, भैरोपुर आदि सहित 89 मौजों में तीन लाख 30 हजार के सर्किल रेट के हिसाब पर चार गुना राशि लगभग 14 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा भुगतान कर रही थी. अब अगर आर्बिट्रेटर के फैसले के आलोक में भी सर्किल रेट दुगना करके भी भुगतान किया जाता है, तो यह राशि 28 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर पर होगी. मिलाजुला कर दुगना सर्किल रेट पर भी बिहार सरकार का भुगतान उत्तरप्रदेश के सरकार से कम होगा और यहां के किसानों को 36 लाख रुपये प्रति एकड़ रुपये का नुकसान उठाना पडेगा. उन्होंने बताया कि इसी तरह नगर क्षेत्र के समीप वाले चार मौजों का सर्किल रेट 13 लाख 50 हजार रुपये प्रति एकड़ है, जो अभी भी काफी कम है.
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