गेहूअनवां नदी की बाढ़ से जिले की नौ पंचायतों को मिलेगी अब राहत
गेहूअनवां नदी के जीर्णोद्धार के बाद इस साल जिले की नौ पंचायतों को राहत मिलेगी. नदी के जीर्णोद्धार का काम आरंभ है और बरसात के पूर्व इस नदी के जीर्णोद्धार कार्य को पूरा करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.
भभुआ. गेहूअनवां नदी के जीर्णोद्धार के बाद इस साल जिले की नौ पंचायतों को राहत मिलेगी. नदी के जीर्णोद्धार का काम आरंभ है और बरसात के पूर्व इस नदी के जीर्णोद्धार कार्य को पूरा करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है. कहते हैं नदी वरदान भी है, नदी अभिशाप भी है. जिले के चांद प्रखंड से निकलने वाली पहाड़ी नदी गेहूअनवां पर भी यही फार्मूला लागू होता है. एक तरफ जहां कम बरसात होने पर इस नदी का पानी किसानों के पटवन के काम आता है. वहीं, दूसरी तरफ भारी बरसात होने के बाद में यह छिछली नदी जब फुंफकारने लगती है, तो पहाड़ों से नदी में गिरने वाला यह पानी बधार से लेकर गांवों तक समा जाता है. ग्रामीणों के बीच हलचल मच जाती है. कच्चे घर गिर जाते हैं, पशु पक्षियों का बसेरा भी उजड़ जाता है. इसे लेकर इस साल जिला प्रशासन ने मनरेगा से गेहूअनवां नदी के जीर्णोद्धार कराने का फैसला लिया है. इधर, इस संबंध में जानकारी देते हुए मनरेगा के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि गेहूअनवां नदी के गाद की सफाई और तटबंधों के ऊंचाई को मजबूत करने के लिए मनरेगा से लगातार काम कराया जा रहा है. जिले के चांद, दुर्गावती व चैनपुर प्रखंड में काम चल रहा है. मुख्य रूप से नदी का जीर्णोद्धार चांद प्रखंड की चौरी और दुलही पंचायत, चैनपुर प्रखंड की अमांव, मेढ, बढौना और सिरबिट पंचायत तथा दुर्गावती प्रखंड की अवहरियां, खामिदौरा और सावढ पंचायत में कराया जाना है, जहां नदी के काफी छिछला होने से बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. इधर, गेहूअनवां नदी के जीर्णोद्धार के काम के निरीक्षण को लेकर जिलाधिकारी के निर्देश पर एक जिला स्तरीय टीम का भी गठन किया गया है. इसके अध्यक्ष उप विकास आयुक्त बनाये गये हैं. अन्य सदस्यों में निदेशक डीआरडीए, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी मनरेगा, कार्यपालक अभियंता तथा सहायक अभियंता मनरेगा को शामिल किया गया है. इस संबंध में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि जांच के क्रम में आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए संबंधित पंचायत के कार्यक्रम पदाधिकारी, संबंधित प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी तथा कनीय अभियंता भी उपलब्ध रहेंगे. उन्होंने बताया कि योजना के काम को लेकर सतत निगरानी और अनुश्रवण जारी रहेगा. गौरतलब है कि गेहूअनवां नदी कैमूर जिले का एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है. लेकिन, गाद भर जाने और छिछलेपन के कारण नदी के जल स्रोत का किसानों को लाभ नहीं मिल पाता था. इन्सेट 1 अपने नाम के अनुरूप ही सांप की तरह टेढ़ी-मेढ़ी है गेहूअनवां नदी भभुआ. बरसात में फुंफकारने वाली जिले की गेहुअनवां नदी अपने नाम के अनुरूप ही सांप की तरह काफी टेढ़ी-मेढ़ी है. नदी चैनपुर प्रखंड के टेकुआ ताल से निकलती है और चांद प्रखंड से होते हुए दुर्गावती प्रखंड की खामिदौरा पंचायत में डहला गांव के पास दुर्गावती नदी में समा जाती है. लेकिन, जिले के तीन प्रखंडों के खेतों को पटवन का पानी देने वाली यह नदी काफी छिछली हो गया थी. इसके कारण जब बरसात में पहाड़ का पानी नदी में गिरता था, तो यह नदी फुंफकारने लगती थी. नतीजा होता था नदी के छिछला होने के कारण नदी का पानी जहां आसपास के गांवों में घुस जाता था. वहीं, बड़े पैमाने पर फसल भी जल डूब का शिकार बन जाता था. लेकिन, बरसात खत्म होने के साथ ही नदी की तलहटी छिछला होने से नदी के तली में पानी नहीं ठहर पाता था, जिससे किसानों को पटवन का लाभ नहीं मिल पाता था. इन्सेट 2 50 से अधिक किमी क्षेत्र में खेतों का होगा पटवन भभुआ. गेहुअनवां नदी के जीर्णोद्धार के बाद जहां एक तरफ बाढ़ के पानी से लोगोंं को राहत मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ इस नदी के पानी से 50 से अधिक किलोमीटर के क्षेत्र में किसानों के खेतों का पटवन हो सकेगा. यह जानकारी देते हुए जिला प्रोग्राम पदाधिकारी मनरेगा संजय कुमार ने बताया कि यह नदी चैनपुर प्रखंड के टेकुआ ताल से निकलने के बाद प्रखंड की बढौना पंचायत में 7600 मीटर, मेढ़ पंचायत में 7500 मीटर, नगर पंचायत हाटा में 1300 मीटर की दूरी नापती है. इसी तरह चांद प्रखंड की लोहदन पंचायत में 6600 मीटर, सिरबिट पंचायत में 1600 मीटर, चौरी पंचायत में 7500 मीटर, दुल्ही पंचायत में 6600 मीटर की दूरी में गुजरती है. इसी तरह दुर्गावती प्रखंड में यह नदी प्रखंड की खामिदौरा पंचायत में 8900 मीटर तथा सावठ पंचायत में 5400 मीटर की दूरी तय करते हुए डहला गांव के पास हाइवे दो के निकट दुर्गावती नदी में समा जाती है. उन्होंने बताया कि इस नदी के तली का छिछलापन पचैनपुर प्रखंड के बाद क्रमश: चांद और दुर्गावती प्रखंड में कम है. जीर्णोद्धार के बाद नदी की गहराई भी बढ़ेगी और तटों के कटाव को भी रोका जा सकेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है