न सूखे-गीले की समझ, न निस्तारण की व्यवस्था कैसे बनेगा स्वच्छता में अव्वल
केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से 15 जुलाई से नामित शहरों में शामिल भभुआ नगर पर्षद क्षेत्र में भी स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू होने वाला है. लेकिन, इसको लेकर नप की ओर से कोई भी तैयारी नहीं दिख रही है.
भभुआ सदऱ केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से 15 जुलाई से नामित शहरों में शामिल भभुआ नगर पर्षद क्षेत्र में भी स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू होने वाला है. लेकिन, इसको लेकर नप की ओर से कोई भी तैयारी नहीं दिख रही है. हालांकि, दीवारों पर चित्र लेखन आदि के कार्य शुरू कर दिये गये हैं. स्वच्छ सर्वेक्षण में सबसे जरूरी शहर की साफ-सफाई और नालियों की दुर्दशा को सुधारने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर शहरवासियों का कहना था कि शहर के मुहल्लों में साफ-सफाई की स्थिति काफी दयनीय है. वैसा ही हाल नालियों का है, जो आजकल हल्की बारिश में जाम हो जाती हैं. वैसे देखें, तो पिछले 33 सालों से नगर पर्षद भभुआ शहर की सड़क व गलियों से कूड़ा उठाव को ही बेहतर सफाई समझती आ रही है. नप के सफाईकर्मी एक स्थान से कूड़ा उठाकर दूसरे स्थान पर ले जाकर डंप कर देते हैं. इससे कचरा का स्थान बदल जाता है. लेकिन, उसका उचित प्रबंधन नहीं होने से नयी जगह कूड़े का ढेर लग जाता है. बहुत हुआ, तो कूड़े के ढेर को आग लगा आसपास के लोगों को जहरीले धुएं के बीच रहने के लिए छोड़ दिया जाता है. = इधर से उठाया, उधर किया डंप दरअसल, सफाईकर्मी शहर से कचरे का उठाव कर कहीं भी डंप कर देते हैं. उसमें से निकलने वाली बदबू से परेशान लोग जब इसकी शिकायत करते हैं, तो वह कचरे में आग लगाकर जला देते हैं. इसके अलावे शहर से निकल रहे प्रतिदिन हजारों टन कचरे को नगर पर्षद शहर के प्रवेश द्वारों पर फेंक रही है. इसके चलते शहर की एक नकारात्मक छवि भी बन रही है. फिलहाल, शहर से निकल रहे कचरे को सुवरन नदी व हवाई अड्डा के समीप, गवई मुहल्ला के पीछे, अखलासपुर बस स्टैंड आदि जगहों पर फेंका जा रहा है. इस वजह से सालों पहले जो समस्या जहां थी, आज भी वहीं खड़ी है. = 15 जुलाई से शुरू हो रहा स्वच्छ सर्वेक्षण बता दें कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में सिटीजन फीडबैक देने का समय 15 जुलाई से शुरू हो रहा है. सिटीजन फीडबैक के अनुसार पूर्वी क्षेत्र अंतर्गत भभुआ शहर की रैंकिंग तय की जायेगी. = यहां नंबर कटने का रहेगा डर – अब तक शहर से निकलने वाले कचरे के निस्तारण का प्लांट तैयार नहीं हो पाया है. – सड़क किनारे दो कचरा पात्र जरूरी हैं, पर शहर में कई जगहों एक ही कचरा पात्र रखा है. -प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग नियमित रूप से हो रहा है. इसकी वजह से सर्वेक्षण के दौरान अंकों में कटौती तय है. सर्वेक्षण में 150 अंक निर्धारित किये गये हैं. – विवाह स्थल, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक कार्यालय से लेकर होटल, रेस्टोरेंट और होटल को खुद कचरे से खाद बनाने की मशीन लगानी होगी. इसके 100 अंक तय किये हैं, लेकिन शहर में नियम को लेकर कोई मार्गदर्शन ही नहीं. हरसंभव हो रहा प्रयास : इओ नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि गत वर्ष के सर्वेक्षण में हमारी मार्किंग जिन-जिन क्षेत्रों में कमजोर रही है, उस क्षेत्रों में सुधारात्मक प्रदर्शन की विशेष तैयारी की गयी है. बेहतर रैंक पाने के लिए सभी स्तर से प्रयास किया जा रहा है. जागरूकता के लिए शहर में स्वच्छता संबंधित स्लोगन के साथ दीवार लेखन कराया जा रहा है. जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक भी किया जायेगा.
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