भोखरी में धरातल पर कुआं ही नहीं, मरम्मत के नाम पर 58697 रुपये की निकासी

भोखरी के वार्ड आठ में सामने आया है. यहां वित्तीय वर्ष 2024-25 में टाइड की 15वां वित्त मद से शिव मंदिर के पास कुआं मरम्मत के नाम पर 58697 रुपये की निकासी की गयी है, जबकि वर्तमान समय में उस स्थान पर कुआं है ही नहीं

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2024 8:47 PM

मोहनिया सदर. मोहनिया प्रखंड में कर्मियों व कुछ जनप्रतिनिधियों की भ्रष्ट नीतियों ने सरकार की जीरो टालरेंस व प्रशासन की पारदर्शिता को तार-तार कर दिया है. चौकाने वाला ताजा मामला प्रखंड की पंचायत मुख्यालय भोखरी के वार्ड आठ में सामने आया है. यहां वित्तीय वर्ष 2024-25 में टाइड की 15वां वित्त मद से शिव मंदिर के पास कुआं मरम्मत के नाम पर 58697 रुपये की निकासी की गयी है, जबकि वर्तमान समय में उस स्थान पर कुआं है ही नहीं, लगभग एक दशक पूर्व उक्त स्थान पर कुआं था जो पिछले कई वर्षों से मिट्टी भरकर समाप्त कर दिया गया है. जिस जगह पर कुआं हुआ करता था, उस स्थान पर आज महिलाएं गोबर व पुआल रखने का कार्य करती हैं. कुआं का कई साल पहले ही नामोनिशान मिट चुका है, इसके बावजूद कुआं की मरम्मत के नाम पर उक्त राशि की अवैध निकासी कर डकार लिया गया है. यहां जेइ, पंचायत सचिव व मुखिया ने जो हैरतअंगेज कारनामा किया है, उसे देख सुनकर सभी लोग दांतों तले अंगुली दबाने के लिए विवश हैं. हद तो तब हो गयी जब धरातल पर कुआं है ही नहीं और जेइ ने उसकी एमबी बना दिया व पंचायत सचिव ने भुगतान कर सरकार को 58697 रुपये का चूना लगाकर राशि का बंदरबांट कर लिया. उससे भी अधिक चौकाने वाली बात तो यह है कि कर्मियों द्वारा खिलाये गये गुल की शायद भनक तक पदाधिकारियों को नहीं लगी या इसमें पदाधिकारियों का संरक्षण कहा जा सकता है. इस पूरे प्रकरण ने यह साफ कर दिया है कि ऐसे कर्मियों को शासन, प्रशासन व कानून का तनिक भी भय नहीं है, तभी तो ऐसे कर्मी सभी की आंखों में धूल झोंकने का कार्य बेखौफ होकर कर रहे हैं. भोखरी के वार्ड आठ में शिव मंदिर के पास योजना संख्या 01/2024-25 में कुआं की मरम्मत के लिए प्राक्कलित राशि 73200 रुपये जिसका एक्टिविटी कोड 91062805 है में कुआं की मरम्मत के नाम पर अवैध रूप से 58697 रुपये की निकासी की गयी है. इस भ्रष्टाचार के खेल में जनप्रतिनिधि, टीए व पंचायत सचिव की अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. # आरटीआइ रिपोर्ट से हुआ गबन का खुलासा भले ही धरातल पर उक्त योजना को क्रियान्वित नहीं किया गया है, लेकिन राशि निकासी के लिए सभी प्रक्रियाओं को ठीक उसी तरह पूर्ण कर राशि का गबन किया गया है, जैसा कि वास्तव में योजना पर खर्च की जाने वाली राशि की रुपरेखा तैयार की जाती है. उक्त योजना में सामग्री के नाम पर 27632 रुपये, भाड़ा के नाम पर 7805 रुपये व मजदूरी के नाम पर 23260 रुपये का भुगतान किया गया है. आप खुद ही इस बात का अंदाजा लगा सकते है कि जब धरातल पर कुआं है ही नहीं तो कौन सी सामग्री, कैसा भाड़ा और कौन मजदूर जिनको मजदूरी का भुगतान किया गया. इससे स्पष्ट है कि राशि की निकासी के लिए जो भी बिल, वाउचर व मास्टर रोल का प्रयोग किया गया, वह सब फर्जी है और फर्जी तरीके से ही 58697 रुपये की निकासी कर गबन कर लिया गया है. इस गबन का खुलासा लोक सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्राप्त आरटीआइ रिपोर्ट से हुआ है.

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