खेतों में फसल अवशेष जलाने से कैंसर व चर्मरोग के मरीजों की बढ़ रही है संख्या

शनिवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित मनरेगा कार्यालय के सामने रबी महाभियान के तहत प्रखंड स्तरीय रबी कर्मशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन अनुमंडल कृषि पदाधिकारी अनिमेष सिंह व कृषि वैज्ञानिक अमित सिंह ने दीप जला कर किया.

By Prabhat Khabar News Desk | November 16, 2024 8:46 PM

मोहनिया सदर. शनिवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित मनरेगा कार्यालय के सामने रबी महाभियान के तहत प्रखंड स्तरीय रबी कर्मशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन अनुमंडल कृषि पदाधिकारी अनिमेष सिंह व कृषि वैज्ञानिक अमित सिंह ने दीप जला कर किया. यह आयोजन कृषि विभाग द्वारा किया गया. इस दौरान अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने कहा खेतों में फसलों के अवशेष को जलाने से इसका न केवल प्रतिकूल असर फसल उत्पादकता पर पड़ता है, बल्कि इसका प्रतिकूल असर सभी मानव जाति सहित जीव जंतुओं पर भी पड़ता है. उन्होंने कहा खेतों में पराली जलाने से कैंसर जैसी घातक बीमारी के साथ चर्म रोगों के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. अस्थमा और दमा जैसी सांस से संबंधित बीमारियों से ग्रसित मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही इन रोगों के मरीजों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. खेतों में फसलों के अवशेषों को जलाने से उससे निकलने वाला धुआं वायुमंडल को प्रदूषित करता है. उन्होंने कहा कि अवशेष जलाने से 100 प्रतिशत नेत्रजन, 25 प्रतिशत फास्फोरस, 20 प्रतिशत पोटाश और 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है. भूमि की संरचना में क्षति होने से पोषक तत्वों का समुचित मात्रा में स्थानांतरण नहीं हो पाता है तथा जमीन के ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट व केंचुआ आदि भी नष्ट हो जाते हैं. इससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के साथ ओजोन परत को भी क्षति पहुंचती है. साथ ही स्मग जैसी स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे सड़क पर दुर्घटनाएं होती हैं. फसल अवशेष के साथ-साथ खेतों के किनारे लगे पेड़ों को भी आग से नुकसान पहुंचता है. अत्यधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से भी पर्यावरण नुकसान पहुंचता है. कुछ किसान भाई पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करने के बाद शेष अवशेषों को जला देते हैं, जिससे पर्यावरण मनुष्य व पशुओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन, किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिससे पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध नहीं होने से पशुपालकों को भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन भी कम होने लगा है. इसके साथ ही कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार ने वैज्ञानिक खेती कर कम लागत से अधिक उत्पादन व मुनाफा कैसे कमाया जाये इसकी विस्तृत जानकारी किसान भाइयों के बीच साझा किया. इस दौरान कृषि समन्वयक अजय सिंह, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक वेद प्रकाश मिश्रा, सहायक तकनीकी प्रबंधक प्रशिक्षित कुमार राय, विनोद कुमार पांडेय, भानु प्रताप रामेश्वरम, असिस्टेंट टेक्निकल मैनेजर पदमा कुमारी, अंजू कुमारी, अरुण कुमार पांडेय, नीरज कुमार, राणा प्रताप सिंह सहित कृषि विभाग के कई कर्मी उपस्थित रहे.

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