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वंशावली बनवाने के लिए सिर्फ ग्राम कचहरी अधिकृत

इन दिनों बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024 की कवायद परवान पर है, हर व्यक्ति इस उधेड़बुन में लगा है कि आखिर जमीन का सर्वे कराने के लिए किन-किन महत्वपूर्ण कागजातों को एकत्रित करना होगा, सर्वे कैसे कराया जायेगा और इसके लिए क्या-क्या करना पड़ेगा. इसी कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण कागजातों में एक वंशावली भी शामिल है

मोहनिया सदर. इन दिनों बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024 की कवायद परवान पर है, हर व्यक्ति इस उधेड़बुन में लगा है कि आखिर जमीन का सर्वे कराने के लिए किन-किन महत्वपूर्ण कागजातों को एकत्रित करना होगा, सर्वे कैसे कराया जायेगा और इसके लिए क्या-क्या करना पड़ेगा. इसी कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण कागजातों में एक वंशावली भी शामिल है, जिसे बनवाने को लेकर लोगों को अनावश्यक रूप से रुपये खर्च करने के साथ काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है. जबकि, ग्रामीण स्तर पर वंशावली बनवाने के लिए सिर्फ और सिर्फ ग्राम कचहरी ही अधिकृत है. ग्राम कचहरी से निर्गत होने वाले वंशावली को बनवाने के लिए प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या फिर नोटरी द्वारा जारी शपथ पत्र देना भी अनिवार्य नहीं है. इसके बावजूद जानकारी के अभाव में लोग वंशावली बनवाने के लिए प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या नोटरी द्वारा निर्गत शपथ पत्र के लिए आपाधापी कर रहे हैं. यदि हम विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अवलोकन करें तो उसमें स्पष्ट किया गया है कि व्यक्ति स्वयं वंशावली के लिए प्रपत्र-3(1) व प्रपत्र-2 में रैयत के द्वारा स्वामित्व या धारित भूमि का स्व-घोषणा पत्र शिविर प्रभारी के नाम भरकर उनको समर्पित कर सकता है, जो विधि मान्य होगा. भूमि सर्वे को लेकर किसी व्यक्ति को किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए विभाग द्वारा इस मामले में विस्तृत गाइडलाइन जारी की गयी है. इसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी कार्यालय का चक्कर लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है. गाइडलाइन में जिन कागजातों का उल्लेख किया गया है उनको एकत्रित कर वे खुद अपने एंड्रायड मोबाइल से भूमि सर्वे के लिए ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं या फिर किसी भी साइबर कैफे से आवेदन करा सकते हैं, इसमें भी यदि उनको असुविधा महसूस होती है तो वह अपने अंचल कार्यालय से संपर्क कर ऑफलाइन फॉर्म अप्लाई कर उसके साथ मांग किये गये आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न कर जमा करा सकते हैं. # नुआंव में नोटरी, तो अन्य प्रखंडों में लग रहा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट का शपथ पत्र यदि मोहनिया अनुमंडल क्षेत्र की बात करें तो इस अनुमंडल के पांच प्रखंड मोहनिया, कुदरा, दुर्गावती, रामगढ़ व नुआंव शामिल है. एक ही अनुमंडल के अलग-अलग प्रखंडों में वंशावली बनाने के लिए अलग-अलग शपथ पत्रों की मांग की जा रही है, जिसको लेकर लोग काफी परेशान है. नुआंव प्रखंड में वंशावली निर्गत करने के लिए ग्राम कचहरी के सरपंचों द्वारा नोटरी से जारी शपथ पत्र की मांग की जा रही है, वहीं अन्य प्रखंडों में वंशावली बनाने के लिए ग्राम कचहरी द्वारा लोगों से प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी शपथ पत्र की मांग की जा रही है. हालांकि, इसे इन लोगों में जानकारी का अभाव ही कहा जायेगा, क्योंकि विभाग की गाइडलाइन में वंशावली बनवाने के लिए कहीं भी नोटरी या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा निर्गत शपथ पत्र का उल्लेख नहीं किया गया है. कुछ लोग मनमानी तरीके से ऐसे शपथ पत्रों की मांग कर रहे हैं, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यदि वंशावली बनाने में ग्राम कचहरी व इससे जुड़े लोगों को यह लगता है कि आवेदक अपने परिवार से संबंधित लोगों की जानकारी को छुपा कर वंशावली बनवा सकता है, तो इससे बचाव के लिए वंशावली बनाने से पूर्व उसकी आम सूचना निर्गत करने का प्रावधान है. इसको लेकर उस परिवार के सदस्य जिनका वंशावली बनाने के लिए आवेदन किया गया है, उसमें उनके नाम को शामिल नही किया गया है तो वे दावा आपत्ति भी कर सकते हैं. इसके बावजूद यदि वंशावली निर्गत करने वाले को इस बात का डर सता रहा है कि कही कोई धोखे से गलत वंशावली न बनवा ले, जिससे उनका गला फंस जाये ऐसी स्थिति में वे नोटरी द्वारा जारी शपथ पत्र की मांग कर सकते हैं. लेकिन प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी शपथ पत्र की मांग करना बिल्कुल भी विधि सम्मत नहीं है. # भूमि सर्वेक्षण के लिए 22 प्रकार के प्रपत्र है उपलब्ध जिन लोगों के दिलोदिमाग में इस आशंका ने घर बना लिया है कि जमीन का सर्वे कराना कठिन है, वो अपने दिमाग से यह निकाल दें. भूमि सर्वेक्षण के लिए 22 तरह के प्रपत्र उपलब्ध है. आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमें से कोई भी प्रपत्र भर सकते हैं. सर्वेक्षण के लिए यदि पुस्तैनी (खानदानी) जमीन है तो खतियान, यदि केवाला के माध्यम से खरीदगी भूमि है तो उसका केवाला, जमीन की रशीद, खतियान, खतौनी के अलावे यदि कोर्ट से आपसी बंटवारा है तो उससे संबंधित कागजात, दावा कृत भूमि से संबंधित दस्तावेजों का विवरण, खतियान की नकल, लगान या मालगुजारी रसीद, रसीद संख्या व वर्ष, जमाबंदी संख्या की विवरणी, मृत जमाबंदी रैयत का मृत्यु प्रमाण पत्र, याचिकाकर्ता का मृतक का वारिस होने से संबंधित प्रमाण पत्र, यदि सक्षम न्यायालय का आदेश हो तो आदेश की पक्की नकल, याचिकाकर्ताओं के आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र की छाया प्रति तैयार रखना होगा. यदि आपने अपनी सुविधा के अनुसार किसी व्यक्ति से जमीन का बदलैन अर्थात अपने हिस्सा की जमीन दूसरे को दिया है और उसके हिस्सा की जमीन खुद लिये है व दोनों शांतिपूर्ण तरीके से उस पर काबिज है, ऐसी स्थिति में भी दोनों की सहमति से वह भूमि उनके नाम किया जा सकता है. भूमि सर्वेक्षण 2024 को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए सभी पहलुओं का विशेष ध्यान रखा गया है. # कौन भरेगा प्रपत्र-2 व कौन भरेगा प्रपत्र-3(1) जो जमीन आपके पूर्वजों अर्थात दादा, परदादा के नाम है और उनकी मृत्यु हो चुकी है, उनके उत्तराधिकारियों को वंशावली के लिए प्रपत्र-3(1) भरना होगा. ताकि पूर्वजों के नाम की जमीन अब उनके जीवित उत्तराधिकारियों के नाम किया जा सके. वहीं, जिनके नाम से जमीन है और उसके जमाबंदी रैयत जीवित हैं, उनको प्रपत्र-2 भरना होगा व पहचान के लिए अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र व वंशावली आदि कागजात लगा सकते हैं, जिनको जैसी आवश्यकता महसूस होगी उनके लिए वैसा प्रपत्र उपलब्ध है, यदि कोई इससे संतुष्ट नहीं है तो वो दावा आपत्ति करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है. # चकबंदी कार्यालय व अभिलेखागार से लेकर कोर्ट तक आपाधापी जब से भूमि सर्वेक्षण की कवायद तेज हुई है लोग अपने बाप, दादा, परदादा व अपने नाम की जमीनों के खतियान, खतौनी, केबाला, पंजी-2, राजस्व रसीद आदि के लिए चकबंदी कार्यालय व अभिलेखागार में लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो रही है, सभी लोग परेशान है कि कितना जल्दी उनको उनकी जमीनों का रेकड़ मिल जाये. इसके साथ ही वंशावली के लिए पंचायत सचिव व ग्राम कचहरियों द्वारा मांग की जा रही प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या नोटरी द्वारा जारी शपथ पत्र को लेकर ऑथराइज्ड कलेक्शन सेंटरों पर टिकट के लिए मारामारी की स्थिति बनी है. जबकि, भूमि सर्वेक्षण नियमावली 2024 के अंतर्गत भूमि सर्वे मामले में अलग से वंशावली देने की कोई आवश्यकता ही नहीं है, जिनके पूर्वजों के नाम जमीन है उनको सिर्फ वंशावली के रूप में प्रपत्र-3 (1) भरकर स्व-घोषणा के साथ भूमि से जुड़े जरुरी कागजात संलग्न कर संबंधित पदाधिकारी को देना है या खुद आनलाइन कर देना है. इसके बावजूद जानकारी के अभाव में लोग परेशान हो रहे हैं. मोहनिया सिविल कोर्ट परिसर में संचालित ऑथराइज्ड कलेक्शन सेंटर पर पिछले चार दिनों से कोर्ट फीस व वेलफेयर टिकट को लेकर लोगों के बीच धक्का-मुक्की जारी है. यहां भीड़ का सबसे बड़ा कारण उक्त काउंटर सेंटर में तीन काउंटर होने के बावजूद सिर्फ एक काउंटर से टिकट की बिक्री का किया जाना बताया जा रहा है. # भूमि सर्वेक्षण का क्या है मुख्य उद्देश्य यदि हम भूमि सर्वेक्षण के उद्देश्यों की बात करें तो बिहार काश्तकारी अधिनियम 1985 में कितनी अवधि में भूमि सर्वेक्षण किया जाना है, इस अवधि के निर्धारण का उल्लेख तो नहींं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि एक भू सर्वेक्षण की कार्रवाई के बाद दूसरे भू सर्वेक्षण की कार्रवाई में एक बहुत बड़ी अवधि का फैसला होता है. इस अवधि में प्रचलित खतियान, जमाबंदी पंजी तथा भूमि नक्शा में लोक व्यवहार भू हस्तांतरण उत्तराधिकार प्राप्त आदि के कारण भूमि की स्थिति, भू स्वामित्व में अपरिहार्य रूप से परिवर्तन होते रहते हैं. इसके कारण उसमें संशोधन करने की आवश्यकता होती है. पुनः सर्वेक्षण कर भूमि मानचित्र व अधिकार अभिलेख का निर्माण करना तथा भू लगान का निर्धारण किया जाना एक अनिवार्य आवश्यकता के रूप में उपस्थित होता है और यही भू सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य है. # बोले पदाधिकारी इस संबंध में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी मोहम्मद उमैर ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वंशावली के लिए प्रपत्र-3(1) में उल्लेख किया गया है, वंशावली के लिए प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या नोटरी द्वारा जारी शपथ पत्र देने की कोई जरूरत नहीं है. आवेदक तो खुद स्व-घोषणा पत्र दे रहा है, जिसमें लिखी गयी बातों का सत्यापन करने के लिए ग्राम कचहरी द्वारा उसे सात दिनों तक पब्लिश किया जाता है. गांव में सभी एक दूसरे को जानते है, यदि कोई व्यक्ति तथ्य छुपा कर वंशावली बनवाना चाहता है, तो उसके लिए दावा आपत्ति करने का प्रावधान है. भूमि सर्वेक्षण नियमावली बिल्कुल साफ व स्पष्ट है, सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन सबसे सही विकल्प है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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