सिस्टम पर भारी पड़े पैक्स अध्यक्ष , नाबालिग व दूसरे पंचायत के लोगों का नहीं हटा नाम
26 नवंबर से पैक्स चुनाव को लेकर मतदान शुरू हो जायेगा. इसे लेकर 30 अक्तूबर को फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन भी कर दिया गया है.
भभुआ कार्यालय. 26 नवंबर से पैक्स चुनाव को लेकर मतदान शुरू हो जायेगा. इसे लेकर 30 अक्तूबर को फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन भी कर दिया गया है. इधर, 30 अक्तूबर को जो फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन किया गया है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि पैक्सों के मतदाता सूची में नाम जोड़ने व हटाने के लिये जो नियम व व्यवस्था बनायी गयी थी, उसपर वर्तमान पैक्स अध्यक्ष भारी पड़े. इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि पैक्स के मतदाता सूची में गलत नाम जैसे नाबालिग बच्चों के नाम या फिर पंचायत से बाहरी लोगों का नाम जोड़ा गया था, उन्हें हटाने के लिए शिकायत के बावजूद मतदाता सूची से उनका नाम नहीं हटाया जा सका. मतदाता सूची में जो गलत नाम जोड़े गये हैं, वह नाम सही पैक्स अध्यक्ष के निर्वाचन को प्रभावित करने के लिए काफी है. जिस तरह से नाम जोड़ने और हटाने में वर्तमान पैक्स अध्यक्षों द्वारा अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मनमानी की गयी, वह स्पष्ट रूप से यह बता रहा था कि नाम जोड़ने व हटाने के लिए बनाये गये नियम व सिस्टम पर पैक्स अध्यक्ष भारी पड़े हैं. = शिकायत के बावजूद नहीं हटे गलत नाम पैक्स की मतदाता सूची में सबसे अधिक गलत नाम जोड़े जाने व वैध मतदाताओं का नाम काटे जाने के मामले में भभुआ प्रखंड की कूड़ासन पंचायत व रामपुर प्रखंड की कुड़ारी पंचायत सुर्खियों में रहा है, क्योंकि उक्त दो पंचायत के लोगों द्वारा मतदाता सूची के प्रारूप का प्रथम प्रकाशन जब किया गया और उसमें देखा गया कि उसमें गांव के सैकड़ों लोगों को मृत बताकर उनका नाम मतदाता सूची से काट दिया गया है, इसे देखकर हैरान उक्त पंचायत के आक्रोशित लोगों द्वारा हाथ में सरकार हम जिंदा है कि तख्ती लेकर जिला सहकारिता पदाधिकारी के कार्यालय पर धरना व प्रदर्शन भी किया गया था. उन्होंने अपने धरना व प्रदर्शन के माध्यम से आवेदन देकर या शिकायत की गयी थी कि जो लोग अभी जिंदा है उन्हें मृत बताकर उनका नाम काट दिया गया है और जो बच्चे अभी नाबालिग हैं या जो लोग दूसरे पंचायत के रहने वाले हैं, उनका नाम भी अवैध तरीके से मतदाता सूची में जोड़ दिया गया है. इसकी खबर जब प्रमुखता से समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई तब जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए मृत बताकर मतदाता सूची से काटे गये लोगों का जब फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन हुआ, तो उसमें जोड़ दिया गया. लेकिन, फाइनल मतदाता सूची में भी उन मतदाताओं का नाम उसी तरीके से छोड़ दिया गया है जिन्हें लेकर यह शिकायत की गयी थी कि यह लोग नाबालिग है या फिर मतदाता सूची में दूसरे पंचायत के रहने वाले लोगों का भी नाम जोड़ दिया गया है उनका नाम फाइनल मतदाता सूची से यह कहकर अधिकारियों द्वारा नहीं हटाया गया कि इसका कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के कारण मतदाता सूची से उनका नाम नहीं हटाया गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिन मतदाताओं पर नाबालिग होने या फिर दूसरे पंचायत के होने का आरोप लगा था, उनसे अगर उनके उम्र का प्रमाण पत्र या फिर उनके निवास का प्रमाण पत्र मांगा जाता, तो अपने आप यह स्पष्ट हो जाता कि जिनके ऊपर शिकायत की गयी है वह नाबालिग है अथवा नहीं या फिर वह किस पंचायत के रहने वाले हैं लेकिन सीधे तौर पर साक्ष्य का हवाला देकर शिकायत को खारिज कर दिया जाने के बाद उक्त पंचायत के लोगों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि नाम काटने या हटाने को लेकर जो नियम व सिस्टम बनाया गया उसे पर वर्तमान पैक्स अध्यक्ष भारी पड़े और आज भी मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गलत नाम मौजूद है, जो सही पैक्स अध्यक्ष के निर्वाचन को प्रभावित कर सकते हैं. यह कहानी सिर्फ उक्त दो पंचायत की नहीं है बल्कि ऐसी शिकायत हर प्रखंड की कई पंचायत से जिला मुख्यालय तक पहुंची है. बहुआरा गाई सहित कई अन्य पंचायत से भी लोगों द्वारा गलत नाम जोड़े जाने की शिकायत प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय से लेकर जिला पदाधिकारी के कार्यालय तक की गयी है. = नाम जोड़ने व हटाने में खूब चला खेल पैक्स के मतदाता सूची में नाम जोड़ने व हटाने की प्रक्रिया जब से शुरू हुई, उसके बाद से ही इसमें खेल भी शुरू हो गया. वर्तमान पैक्स अध्यक्षों पर लगातार यह आरोप लग रहा था कि उनके द्वारा अपने पक्ष के ही लोगों का नाम जोड़ा जा रहा है, जो लोग उनके पक्ष के नहीं है उनका नाम किसी न किसी तरीके से पैक्स अध्यक्षों द्वारा लगातार काटने का प्रयास किया जा रहा है. यही नहीं मतदाता सूची में वैसे लोगों का नाम शामिल है जो कि उनका पंचायत में विरोध करते हैं या फिर पिछले चुनाव में उन्हें मत नहीं दिये हैं तो उनका नाम काटने के लिए वर्तमान पैक्स अध्यक्ष द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाये गये. यहां तक कि जीवित व्यक्ति को भी मृत घोषित कर उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया. प्रखंड से लेकर जिला सहकारिता पदाधिकारी के कार्यालय तक नये मतदाताओं का नाम जुड़वाने के लिए पैक्स अध्यक्ष के भावी उम्मीदवार मतदाताओं के साथ लगातार दौड़ लगाते रहे. यही नहीं डीएम के जनता दरबार से लेकर पटना तक लोगों ने पैक्स अध्यक्षों व प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी की मनमानी को लेकर शिकायत करते रहे. इसके बावजूद बड़ी संख्या में पंचायत के लोग पैक्स की मतदाता के लिए सारी अहर्ता पूरा करने के बावजूद मतदाता सूची में अपना नाम नहीं जुड़वा पाये. उन्हें सिस्टम के सामने हार मानना पड़ा. नाम नहीं जोड़े जाने वाले लोग लगातार यह आरोप लगाते रहे कि मतदाता सूची में उन्हीं लोगों का नाम जुड़ रहा है, जिसका नाम पैक्स अध्यक्ष, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी चाह रहे हैं. कुल मिलाकर पंचायत के लोगों द्वारा यह आरोप लगाया जाता रहा कि जिस तरह से नाम जोड़ने में खेल किया जा रहा है वह खेल सही पैक्स अध्यक्ष के निर्वाचन प्रक्रिया को बुरी तरह से प्रभावित करेगा. = सिस्टम के आगे तक थक कर लोग बैठ गये घर 30 अक्तूबर को मतदाता सूची का फाइनल प्रकाशन कर दिया गया, जिन मतदाताओं ने देखा कि उनका नाम फाइनल मतदाता सूची में नहीं जुड़ा, तो वह भी सिस्टम के आगे थक हारकर अब घर बैठ गये हैं. क्योंकि, 26 नवंबर से पैक्स चुनाव के लिए मतदान शुरू होने जा रहा है. जिले में 26 नवंबर से तीन दिसंबर के बीच चार चरणों में चुनाव होगा. जिनका मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़ा या फिर फाइनल मतदाता सूची में भी गलत मतदाताओं का नाम शामिल है, उसे लेकर अब शिकायत की प्रक्रिया भी बंद हो गयी है. क्योंकि, अब एक सप्ताह बाद ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी, ऐसे में अब शिकायत करने का भी कोई फायदा नहीं होते देख शिकायतकर्ता भी सिस्टम से हार कर चुपचाप घर बैठने को मजबूर हैं.
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