एक माह में लक्ष्य का 10 प्रतिशत भी नहीं हुई धान की खरीद
अब तक जिले में सरकारी क्रय एजेंसियों, पैक्स समितियों व व्यापार मंडल द्वारा सरकार के समर्थन मूल्य पर धान की खरीद का 10 प्रतिशत का आकंड़ा भी पार नहीं किया जा सका है.
भभुआ. जिले में सरकार द्वारा धान की खरीद का समय एक माह से अधिक हो चुका है. लेकिन, मानक लक्ष्य के अनुसार अब तक जिले में सरकारी क्रय एजेंसियों, पैक्स समितियों व व्यापार मंडल द्वारा सरकार के समर्थन मूल्य पर धान की खरीद का 10 प्रतिशत का आकंड़ा भी पार नहीं किया जा सका है. अब तक जिला सहकारिता विभाग सह धान क्रय नोडल विभाग को इस साल के लिए धान क्रय का नया लक्ष्य सरकार से प्राप्त नहीं हो सका है, जिसके कारण जिले में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर पिछले साल निर्धारित किये गये धान की खरीद के लक्ष्य के ही आधार पर किसानों से धान की खरीद की जा रही है. हालांकि, धान खरीद के एक माह से अधिक बीत चुके हैं पर अभी तक लक्ष्य का 10 प्रतिशत भी धान सरकारी क्रय एजेंसियों द्वारा किसानों से नहीं की जा सकी है. इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर सोमवार को जिला सहकारिता पदाधिकारी सह धान क्रय नोडल पदाधिकारी शशिकांत शशि ने बताया कि इस साल अभी तक जिले में किसानों से खरीदे जाने वाले धान की मात्रा का लक्ष्य सरकार स्तर से प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन, विभाग जिले में पिछले साल के निर्धारित लक्ष्य को ही अनुमानित मानकर धान की खरीद करवा रहा है. पिछले साल जिले में सरकार द्वारा धान के खरीद का लक्ष्य एक लाख 97 हजार एमटी निर्धारित किया गया था. इस दौरान यह पूछे जाने पर कि अब तक कितने किसानों से समर्थन मूल्य सरकार की क्रय समितियों पैक्स तथा व्यापार मंडल द्वारा कितना धान खरीदा गया है, तो उन्होंने बताया कि अभी तक जिले के विभिन्न प्रखंडों में 1415 किसानों से क्रय समितियों ने धान खरीदा है. लेकिन, धान की खरीद अभी 10 प्रतिशत के आस पास ही हो सकी है. गौरतलब है कि जिले में इस बार धान का बाजार मूल्य 2200 रुपये क्विंटल के आसपास चल रहा है. जबकि, सीधे किसानों के खलिहान से धान के व्यापारी 2100 रुपये से लेकर 2150 रुपये की बीच उठा ले रहे हैं. इससे किसानों को तत्काल अपने दरवाजे पर पेमेंट भी मिल जा रहा है. ऐसे में किसान सरकारी क्रय एजेंसियों को 2300 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान बेचने के लिए उत्सुक नहीं दिखायी दे रहे हैं. बहुत से किसानों का कहना है कि सरकार का समर्थन मूल्य क्रय समितियां ईमानदारी से नहीं देती है. किसानों से प्रति क्विंटल पर पांच किलो धान और डेढ़ से 200 रुपये अलग से विभिन्न खर्चों के नाम पर काट लिया जाता है. साथ ही पेमेंट के लिए भी क्रय एजेंसियों से लेकर बैंकों तक लगातार चक्कर काटना पड़ता है.
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