जनसंख्या स्थिरीकरण में पुरुषों की भागीदारी बढ़ानी जरूरी : सीएस

प्रकृति ने हम सभी को सीमित संसाधन ही उपलब्ध कराये हैं, ऐसे में अनियंत्रित तरीके से जनसंख्या में बढ़ोत्तरी के कारण उन सभी सीमित संसाधनों का तेजी से उपभोग हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 7, 2024 8:53 PM
an image

भभुआ सदर. प्रकृति ने हम सभी को सीमित संसाधन ही उपलब्ध कराये हैं, ऐसे में अनियंत्रित तरीके से जनसंख्या में बढ़ोत्तरी के कारण उन सभी सीमित संसाधनों का तेजी से उपभोग हो रहा है. इसके कारण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत कम ही प्राकृतिक संसाधन बच पायेंगे, ऐसे में जनसंख्या स्थिरीकरण ही हमारे पास एकमात्र विकल्प है. इसके लिए भारत समेत पूरा विश्व अपने अपने देशों में लोगों को जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रहे हैं. सिविल सर्जन डॉ शांति कुमार मांझी ने बताया कि परिवार नियोजन पखवारे में शहर सहित पूरे जिले में पुरुषों और महिलाओं को जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ताकि, वे परिवार नियोजन के स्थायी साधनों का प्रयोग कर जनसंख्या को नियंत्रित करने में सरकार की मदद करें. इसके लिए महिलाओं का बंध्याकरण करने और पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं की भूमिका तो ठीक ठाक है, लेकिन पुरुषों की भागीदारी बेहद चिंताजनक है. जिला सामुदायिक उत्प्रेरक पीयूष उपाध्याय ने बताया कि नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाने की दिशा में महिलाओं ने शुरुआत से ही पुरुषों को पीछे छोड़ा है. हालांकि, इसको लेकर पुरुषों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, जिसके कारण वे नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति उदासीन रहते हैं. पुरुषों में जो सबसे अधिक भ्रांतियां है वो यह है कि नसबंदी के बाद उनकी यौनक्रिया पर उसका प्रभाव पड़ेगा, जो बिल्कुल गलत है. पुरुष नसबंदी जन्म दर को रोकने का एक स्थायी, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय है. साथ ही यह यौन जीवन को बेहतर बनाता है. नसबंदी कराने के बाद पुरुषों की यौन क्षमता और यौन क्रिया पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. = सही तथ्यों को जाने व नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाएं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन जैसे विश्वसनीय सूत्रों के सर्वे और शोध अफवाहों और मिथकों का पूरी तरह खंडन करते हैं. विभिन्न शोधों से यह साफ हो चुका है कि पुरुष नसबंदी द्वारा ना ही शारीरिक कमजोरी आती है और ना ही पुरुषत्व का क्षय होता है. इसके अलावा दंपति जब भी चाहे इसे अपना सकते हैं (यदि पुरुष के जननांग में कोई संक्रमण ना हो). पुरुष ऑपरेशन के आधे घंटे के बाद घर जा सकते हैं. रोज के कामकाज पर भी इससे कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है. पुरुष नसबंदी के बाद शरीर में कोई भी बदलाव नहीं होता है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी ज्यादा रखा गया है. नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपये व प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपये दिया जाता है. जबकि, महिला बंध्याकरण के लिए लाभार्थी को 2000 रुपये व प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपये दिया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version