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झोलाछाप चिकित्सक की लापरवाही से मरीज की मौत, जमकर हंगामा व मारपीट

स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत भगवानपुर बाजार के एक झोलाछाप डाॅक्टर की लापरवाही से इलाज कराने आये मरीज की मौत हो गयी. मरीज की मौत के बाद परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया गया,

भगवानपुर. स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत भगवानपुर बाजार के एक झोलाछाप डाॅक्टर की लापरवाही से इलाज कराने आये मरीज की मौत हो गयी. मरीज की मौत के बाद परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया गया, साथ ही मारपीट की गयी और क्लिनिक को भी पेट्रोल छिड़क कर आग लगाने का प्रयास किया गया. घटना की सूचना पर पुलिस ने ने पहुंच कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीण चिकित्सक को सुरक्षित बाहर निकाला. मृत मरीज भगवानपुर गांव के वार्ड नंबर छह निवासी शिवमूरत मल्लाह का करीब 55 वर्षीय पुत्र लल्लन मल्लाह है, उसकी मौत अराध्या पॉली क्लिनिक में इलाज के दौरान हो गयी. उक्त क्लिनिक को ग्रामीण चिकित्सक डाॅ हरिशंकर प्रसाद चलाते है, उन्हीं पर परिजनों द्वारा इलाज के दौरान गलत दवा देने के कारण मौत का आरोप लगाते हुए हंगामा, मारपीट व क्लिनिक में आग लगाने का प्रयास किया गया. परिजनों के मुताबिक, बीते मंगलवार की रात मछुआरा सह किसान लल्लन मल्लाह को उल्टी और दस्त जैसी समस्या उत्पन्न हुई, जिसके बाद वह बगल के हीं अराध्या पॉली क्लिनिक में पहुंचा. यहां क्लीनिक के संचालक डॉ एचएस प्रसाद द्वारा उसका प्राथमिक उपचार कर उसे मामूली पेट दर्द व गैस आदि समस्या को समझते हुए उसे मेडिसिन उपलब्ध कराया गया. गुरुवार की सुबह करीब सात बजे लल्लन मल्लाह के पेट में फिर दर्द शुरू हुआ, जिसके बाद उसके परिजन उसे लेकर उक्त डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे. यहां डॉ हरिशंकर प्रसाद द्वारा उसके इलाज करवाने की प्रक्रिया शुरू की गयी. इसी क्रम में करीब साढ़े आठ बजे लल्लन मल्लाह की मौत हो गयी. इसके बाद मृतक के परिजन व आक्रोशित ग्रामीणों की भीड़ उक्त क्लीनिक पर इकट्ठा हो गयी. आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा चिकित्सक के स्टाफ तथा उसके परिजनों के साथ हाथापाई व मारपीट की गयी व उक्त ग्रामीण चिकित्सक को बंधक बना लिया गया. उक्त क्लिनिक में मरीज की मौत के बाद हंगामा की सूचना पर स्थानीय पुलिस पहुंची. पुलिस के समझाने बुझाने के बावजूद पीड़ित पक्ष के लोगों द्वारा पेट्रोल छिड़क कर क्लिनिक को आग लगाने की कोशिश करने लगे. मगर पुलिस प्रशासन की तत्परता से पेट्रोल छिड़क रहे लोगों पर नियंत्रण कर आसपास के घरों के लोगों से पानी मंगवाकर छिड़काव किये पेट्रोल पर डलवाया गया. वहीं, जो युवक पेट्रोल छिड़क रहा था, उसे प्रशासन द्वारा डांट फटकार भी लगायी गयी. इस दौरान मुखिया उपेंद्र पांडेय तथा स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा आक्रोशित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा था, बावजूद आक्रोशित भीड़ पीछे हटने पर तैयार नहीं थी और ग्रामीण चिकित्सक के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करने के साथ संबंधित चिकित्सालय को स्थायी रूप से सील करने की बात कही जा रही थी. साथ ही डीएम व एसपी को मौके पर बुलाकर उचित मुआवजा देने की मांग की जा रही थी. आक्रोशित लोगों के अनियंत्रित होते देख स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा जिला प्रशासन को सूचित किया गया. — भभुआ से पुलिस बल के साथ पहुंचे एसडीपीओ स्थिति नियंत्रित नहीं होते देख थानेदार की सूचना पर एसडीपीओ शिवशंकर कुमार, चैनपुर थानाध्यक्ष व भभुआ इंस्पेक्टर के साथ-साथ दंगा निरोधक दस्ता को लेकर पहुंचे व स्थानीय मुखिया के साथ मौके पर जुटे अन्य जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों के साथ वार्तालाप कर कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, तब भी आक्रोशित ग्रामीण रह-रह कर क्लीनिक के लोहे के ग्रिल (मुख्य दरवाजे) को तोड़ने और आरोपित चिकित्सक को अपने शिकंजे में कसने की कोशिश में जुटे थे. एसडीपीओ के नेतृत्व में बिहार पुलिस व दंगा निरोधक दस्ता के जवान आरोपित चिकित्सक व उसके परिजनों के सुरक्षा के दृष्टिकोण से सीढ़ियों से लेकर उसके निजी आवास तक डटे थे. प्रशासन द्वारा क्लिनिक के मुख्य दरवाजे को भी लॉक कर दिया गया. आखिरकार काफी मशक्कत के बाद पुलिस द्वारा ग्रामीण चिकित्सक को आक्रोशित ग्रामीणों की गिरफ्त से, या फिर यूं कहें उनकी आंखों को चकमा देकर तेजी से पुलिस के सरकारी वाहन में बैठाकर थाने ले जाया गया. इधर, ग्रामीण चिकित्सक को थाने ले जाने के बावजूद ग्रामीणों का गुस्सा परवान पर था, उनका कहना था कि पुलिस व जनप्रतिनिधि द्वारा किसी तरह से ग्रामीण चिकित्सक को भगा दिया गया. मगर अब डेडबॉडी को यहां से नहीं ले जाने देंगे और एक बार फिर आक्रोशित ग्रामीण अपने पुराने अंदाज में आ गये तथा लाश के पास खड़े होकर उसे पोस्टमार्टम हेतु नहीं भेजने की बात कहते हुए शोर शराबा करने लगे. अंततोगत्वा मुखिया उपेंद्र पांडेय तथा पुलिस प्रशासन व मौके पर जुटे समाजसेवियों के संयुक्त सूझबूझ से आक्रोशित ग्रामीणों ने डेडबॉडी को अंत्यपरीक्षण हेतु प्रशासन द्वारा उठा ले जाने की सहमति जतायी. इसके बाद शव को सदर अस्पताल भिजवाया गया. पीड़ित परिजनों का आरोप है कि उक्त चिकित्सक द्वारा अनावश्यक दावा देने के कारण लल्लन मल्लाह को मौत हो गयी. क्लिनिक के बोर्ड व पैड पर एमबीबीएस डॉक्टर का नाम मृतक के तीन बेटे व तीन बेटियां हैं, इनमें से बड़े बेटे बबलू मल्लाह तथा दो बड़ी बेटियां क्रमशः रेखा कुमारी व चांदनी कुमारी की विवाह हो चुकी है. जबकि, दीपन मल्लाह व शिवम कुमार तथा बंदना उर्फ बंदनी की शादी अब तक नहीं हुई है. 18 वर्षीय कुंवारी बेटी वंदना उर्फ बंदनी ने बताया कि मेरी मां बचपन में ही गुजर गयी थी, तब से मेरे पिता ही मेरा तथा मेरे अन्य भाई बहनों का परवरिश करते आ रहे थे. ऐसे में उनके दुनिया छोड़कर जाने के बाद मेरा कोई सहारा नहीं है. खास बात यह है कि जिस अराध्या पॉली क्लिनिक के संचालक हरिशंकर प्रसाद पर गलत तरीके से इलाज कर लल्लन मल्लाह को मौत के हवाले करने का आरोप लगाया गया है, उन्होंने अपने क्लिनिक के बोर्ड तथा पैड पर एमबीबीएस डॉक्टर कुमार गंगानंद (पूर्व चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भगवानपुर) का नाम लिख रखा है, वहीं खुद के नाम को प्रबंधक के रूप में रखा है. – कहते हैं आरोपित डॉक्टर इस संबंध में आरोपित झोला छाप डॉक्टर हरिशंकर प्रसाद ने बताया कि लल्लन मल्लाह को दस्त व उल्टी की शिकायत थी, मैंने उसे सिर्फ डेक्सट्रोज 5 परसेंट चढ़ाया था. संभवत: उसकी मृत्यु हार्ट अटैक से हो गयी है, ऐसे में मुझ पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है. – कहते हैं एसडीपीओ इस संबंध में एसडीपीओ शिव शंकर कुमार ने बताया कि फिलहाल पीड़ित परिजनों को समझा बुझाकर मामला शांत करा दिया गया है. पीड़ित परिजनों द्वारा लगाये गये गुहार पर सर्वप्रथम आरोपित चिकित्सक को पुलिस द्वारा अपने कस्टडी में ले लिया गया है. जांच पड़ताल के उपरांत ग्रामीण चिकित्सक का अस्पताल अवैध पाये जाने के बाद निश्चित तौर पर उसे सील कर दिया जायेगा.

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