अब परख एप के माध्यम से ऑनलाइन होगी पीडीएस दुकानों की जांच
सरकार के सचिव डाॅ एन सरवण कुमार ने बिहार लक्षित जन वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 की कंडिका 20 में जिलाधिकारी व उनके अधिनस्थ पदाधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है
मोहनिया सदर. जनवितरण प्रणाली से संबंधित सभी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार द्वारा समय- समय पर तरह-तरह के उपाय किये जाते रहे हैं. इसी क्रम में सरकार के सचिव डाॅ एन सरवण कुमार ने बिहार लक्षित जन वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 की कंडिका 20 में जिलाधिकारी व उनके अधिनस्थ पदाधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है. इसमें बताया है कि सरकार द्वारा जारी मोबाइल अप्लीकेशन पीडीएस परख एप के माध्यम से उचित मूल्य की दुकानों, राज्य खाद्य निगम के गोदामों, केरोसिन तेल के थोक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों, राज्य लक्षित जन वितरण प्रणाली की निर्गमन, परिवहन, वितरण व ट्रैकिंग की जांच मोबाइल अप्लीकेशन पीडीएस परख एप के माध्यम से किया जायेगा. मोबाइल अप्लीकेशन पीडीएस परख एप से ऑनलाइन जांच करने का आदेश जारी होने के बाद आपूर्ति विभाग से जुड़े प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा सभी जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को निर्देश जारी किया गया है कि जनवरी 2025 से सभी विक्रेता अंत्योदय व पीएचएच का अलग-अलग स्टाक पंजी, वितरण पंजी, निरीक्षण पुस्तिका, दुकान का लाइसेंस व नापतौल के लाइसेंस को पूरी तरह दुरुस्त रखेंगे. इसके साथ ही ई-पास मशीन में उपलब्ध स्टाक के अनुसार खाद्यान्न भी अपने गोदाम में मौजूद रखें, जिससे कि उक्त एप के माध्यम से की जाने वाली ऑनलाइन जांच में सब कुछ दुरुस्त पाया जा सकें # डीलरों के सामने ऑनलाइन जांच बड़ी समस्या मोबाइल अप्लीकेशन पीडीएस परख एप से होने वाली जांच ने तमाम जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों का सिरदर्द बढ़ा दिया है. किसी उपभोक्ता की क्या मांग है और उसे किस तरह पूरा करना है इसको जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों से बेहतर और कोई नही समझ सकता है. ऐसा भी होता है कि कुछ उपभोक्ता चावल के बदले गेहूं या गेहूं के बदले चावल भी अपनी आवश्यकतानुसार कभी-कभी दुकानदार ले लिया करते हैं, जबकि विभाग इ-पास मशीन में उपलब्ध ऑनलाइन स्टॉक को ही सब कुछ मानता है इसके सिवाय वह दुकानदारों की कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं होगा. ऐसी स्थिति में जब ऑनलाइन जांच होगी, तो दुकानदार उपभोक्ताओं की ऐसी मांग को पूरा नहीं कर सकेगा. साथ ही इतने तरह की पंजी ऑनलाइन प्रक्रिया के बावजूद तैयार करना भी बड़ी चुनौती है. फिलहाल समस्याएं चाहे जो भी हो, लेकिन उनका सामना तो जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को ही करना पड़ेगा. जिला, अनुमंडल व प्रखंड स्तर के पदाधिकारी तो जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की इन समस्याओं को बखूबी समझते हैं और कमोबेश छोटी-मोटी खामियों को नजरअंदाज भी करते हैं, लेकिन जब उक्त एप के माध्यम से ऑनलाइन जांच का डाटा राजधानी में बैठे वरीय पदाधिकारियों तक पहुंचेगा, ऐसी स्थिति में दुकानदारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा
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