उमड़ते-घुमड़ते बादलों में दिनभर बारिश तलाशते रहे लोग

लगभग एक महीने तक भयंकर लू और प्रचंड धूप झेलने के बाद अब दो दिनों से आसमान में जमे बादलों से जद्दोजहद के बाद निकल रही धूप कैमूर वासियों के लिए मुसीबत का सबब बनने लगी है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2024 9:41 PM

भभुआ सदर. लगभग एक महीने तक भयंकर लू और प्रचंड धूप झेलने के बाद अब दो दिनों से आसमान में जमे बादलों से जद्दोजहद के बाद निकल रही धूप कैमूर वासियों के लिए मुसीबत का सबब बनने लगी है. उमस और बदरकट्टू धूप के चलते लोगों को न घरों में चैन मिल रहा है और न ही बाहर, हर जगह उमस और पसीने से लोग तरबतर हो जा रहे हैं. इसी में ओवरलोड के चलते शहर में बिजली की ट्रिपिंग और मरम्मत के नाम पर कटौती ने लोगों के सामने भारी परेशानी खड़ी कर दी है. अधिकतम तापमान में कमी आने और न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से उमस काफी ज्यादा बढ़ गयी है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार, फिलहाल इससे अभी निजात मिलने वाली नहीं है. कम से कम दो से तीन दिन तक ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है. सांख्यिकी विभाग की मानें तो धूप में ताकत न होने के बावजूद नमी से हीट इंडेक्स बढ़ गया गया है, जिससे कम तापमान पर भी भीषण उमस भरी गर्मी का अहसास हो रहा है. रविवार को पूरे दिन यह स्थिति बनी रही. मौसम विभाग के रिकार्ड में अधिकतम तापमान तो 39 डिग्री सेल्सियस ही दर्ज किया गया, लेकिन हीट इंडेक्स के चलते गर्मी का अहसास 42 डिग्री सेल्सियस का हुआ. बढ़े हीट इंडेक्स का नतीजा यह रहा कि सुबह और रात में भी उमस भरी गर्म से लोग परेशान रहे, वहीं न्यूनतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इनसेट बारिश नहीं होने व उमस से विभिन्न बीमारियों के बढ़े मरीज = बारिश नहीं होने से गर्मी व उमस ले रही लोगों की परीक्षा भभुआ सदर. जिले में अभी तक प्री-माॅनसून की बारिश नहीं होने से उमस भरी गर्मी से फिलहाल काफी लोगों के हालत खराब हाेने लगे हैं, जहां अधिकतर लोग वायरल इंफेक्शन, निमोनिया, अस्थमा, टाइफाइड, पीलिया, मलेरिया, कै दस्त, पेट दर्द, बुखार, नसों में खिचांव, मिर्गी, बेचैनी, हाइपर टेंशन, हीट स्ट्रोक, जुकाम आदि से पीड़ित हो रहे हैं. वहीं, सदर अस्पताल के डीएस डॉ विनोद कुमार का कहना है कि ऐसे मौसम में हीट स्ट्रोक, हार्ट में दिक्कत, मस्तिष्क ज्वर, हाइपरटेंशन आदि की ज्यादा दिक्कत होती है. खासकर, उमस भरी गर्मी की वजह से लोगों में सिरदर्द और माइग्रेन की शिकायत ज्यादा हो रही है और गर्मी और उमस की वजह से मिर्गी के मरीजों में दौरों का अंतराल भी कम हो गया है. इसकी वजह गर्मी के चलते धमनी और शिराओं में खून के संचलन का प्रभावित होना है. धूप में जाने पर अचानक यह ढीली हो जा रही, तो धूप से हटते ही उनमें संकुचन हो जा रहा है. डॉ विनोद का कहना था कि जल्दी-जल्दी वातावरण में हो रहे इस बदलाव को मस्तिष्क झेल नहीं पा रहा, जिसके चलते तमाम तरह की दिक्कतें आ रही हैं. इससे बचाव के लिए धूप में निकलने के दौरान सिर पर टोपी या गमछे का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. ऐसे मौसम में मस्तिष्क के रोगियों को विशेष तौर पर सजग रहना होगा. = नींद पूरी न होने पर व्यक्ति हो सकता है चिड़चिड़ा डॉ विनोद कुमार के अनुसार, मानसिक और शारीरिक बीमारियों का मौसम पर काफी अधिक असर पड़ता है. इस मौसम में डिप्रेशन के मरीज 20 से 30 बढ़ जाते हैं. इसके कारण में उमस भरी गर्मी होने से लोगों की नींद पूरी नहीं हो रही हैं. इसके कारण उनमें चिड़चिड़ापन और बेचैनी बढ़ रही है इससे डिप्रेशन के मरीज को पुन: बीमारी होने के साथ अन्य मानसिक बीमारियां होने की संभावना और अधिक बढ़ जाते हैं. सामान्य लोगों को नींद पूरी न होने से सिजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर हो जाते हैं. सिजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर होने से व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है और छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होने लगता है. = बीमार बच्चे को रखें अन्य से दूर सदर अस्पताल के ओपीडी में सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसी वायरल जनित बीमारियों के पीड़ित बच्चे करीब 60 प्रतिशत आ रहे हैं. डॉक्टर ऐसे मरीजों के परिजनों को जिस बच्चे को सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार है, उसे अन्य बच्चों से दूर रखने की सलाह दे रहे है. बच्चों को तरल पदार्थ अधिक देने चाहिए. इसके अलावा ताजा बना हुआ भोजन भी देना चाहिए.

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