बघिनी पंचायत के बहदुरा गांव के लोग जलसंकट से जूझ रहे

प्रखंड की बघिनी पंचायत के बहदुरा गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोग भारी जलसंकट से जूझ रहे हैं. गांव में लगे सभी सरकारी चापाकल पिछले 15 दिनों से खराब पड़े हैं

By Prabhat Khabar News Desk | September 6, 2024 8:57 PM
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मोहनिया सदर. प्रखंड की बघिनी पंचायत के बहदुरा गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोग भारी जलसंकट से जूझ रहे हैं. गांव में लगे सभी सरकारी चापाकल पिछले 15 दिनों से खराब पड़े हैं. वहीं, इस गांव में क्रियान्वित नल जल योजना भी लगभग डेढ़ साल से धराशायी है. स्थिति यह है कि गरीब लोग गांव के संपन्न लोगों के घरों में लगे चापाकल व सबमर्सिबल से पानी लेकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. पीने के पानी की इस भयावह संकट के समय भी पीएचइडी इन गरीबों की फरियाद सुनने व उसका समाधान करने की बजाय खराब पड़े तीनों चापाकलों की मरम्मत करवाने के नाम पर उसमें लगने वाले उपकरणों की कमी का रोना रो रहे हैं. इधर, बहदुरा के लोग सुबह-शाम खाना बनाने व पीने के पानी को लेकर दूसरे के घरों में पुरुष व महिलाएं बाल्टी, डिब्बा, तसली लेकर लाइन में खड़े होकर पानी भरने को मजबूर हैं. पानी का संकट इस तरह बरकरार है कि दलित समुदाय के कुछ लोग चापाकल खराब होने से गांव से कुछ दूरी पर बह रही दुर्गावती मुख्य नहर में स्नान करने के लिए विवश हैं. इस विकट समस्या ने यह साबित कर दिया कि 21 वीं सदी में भी किस तरह कुछ गांवों में पीने के पानी का संकट अभी भी बरकरार है. # ग्रामीणों ने कई बार लगायी गुहार, नहीं हुई सुनवाई बघिनी पंचायत का यह पहला गांव है, जहां का भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे चला गया है. ग्रामीण बताते है कि बहदुरा में 350 फीट बोरिंग करवाने के बाद ही पीने का पानी मिलता है और इतनी गहरी बोरिंग करवाना निम्न व मध्यम वर्गीय लोगों के बूते की बात नहीं रह गयी है. यहीं कारण है कि इस गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोग निजी चापाकल लगवाने में सक्षम नहीं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब दूसरा सरकारी चापाकल खराब हुआ, तभी से हम लोग पीएचइडी कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, साहेब से कई बार खराब चापाकलों की मरम्मत करवाने को लेकर गुहार लगायी गयी, लेकिन हाकिम यहीं कहते हैं कि चापाकल बनाने का सामान नहीं है, आयेगा तब बनवा दिया जायेगा. किसी तरह एक चापाकल से पीने का पानी मिल रहा था, तब तक स्थिति कुछ ठीक थी. लेकिन, वह भी पिछले 15 दिनों से अधिक समय से खराब पड़ी है, जिससे हम लोगों के घरों की महिलाएं व पुरुष गांव के संपन्न लोग जिनके घरों में निजी चापाकल व सबमर्सिबल लगे हैं, वहां से पानी लाकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. हम गरीबों के पास इतनी पूंजी भी नहीं है कि 350 फीट बोरिंग कराकर चापाकल या सबमर्सिबल लगा सकें. वहीं, विडंबना तो यह भी है कि बहदुरा में एक भी तालाब या पोखर भी नहीं है. # बघिनी पंचायत में दिखावा बनी नल जल योजना बघिनी पंचायत अंतर्गत आने वाले सभी आठ गांव बघिनी, बहदुरा, दसौंती, भुंडीटेकारी, अधवार, सरहुला, विष्णुपुरा, व चोरडिहरा के सभी 13 वार्डों में लगी नल जल योजनाएं सिर्फ दिखावा बन कर रह गयी है. पंचायत के सिर्फ 5-6 वार्डों में ही कमोबेश लोगों को नल जल योजना से पीने का पानी मिल रहा है, शेष सभी वार्डों में सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना पूर्व में ही भ्रष्टाचार की सूली पर चढ़ चुका है. जबकि ऐसा सिर्फ बघिनी पंचायत ही नहीं बल्कि जिले के लगभग सभी प्रखंडों में है. वर्ष 2019 में यह योजना शुरु हुई थी और 2024 तक गांव के सभी घरों में शुद्ध नल का जल पहुंचाना सरकार का लक्ष्य रखा गया है, इससे जुड़े लोगों के लिए नल जल योजना किसी कामधेनु से कम नहीं है. 2024 तक नल जल योजना पूर्ण करने का लक्ष्य नल जल योजना का क्रियान्वयन वर्ष 2019 में प्रारंभ हुआ, जिसे वर्ष 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का मुख्य उद्देश्य सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों को शुद्ध नल का जल मुहैया कराना है, ताकि दूषित जल के सेवन से होने वाली बीमारियों से इनको बचाया जा सकें और जब इस वर्ग के सभी घरों तक नल का जल पहुंच जाये, फिर उन सभी वार्डों में भी क्रियान्वित करना है, जिससे सभी ग्रामीणों को शुद्ध नल का जल मिल सकें. ग्रामीण क्षेत्रों के साथ शहरी क्षेत्रों में भी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना को संचालित किया गया है. जल ही जीवन है को चरितार्थ करते हुए सरकार की सोच है कि लोगों को शुद्ध नल का जल उपलब्ध कराया जाये, लेकिन इसको अमलीजामा पहनाने वालों ने इस कदर भ्रष्टाचार की बलि चढ़ायी की इस योजना ने भी सिसक-सिसक कर दम तोड़ दिया, जिसकी सुधी लेने वाला शायद कोई नहीं है. # बोले एसडीओ इस संबंध पूछे जाने पर पीएचइडी के एसडीओ अतुल अभिषेक ने कहा कि चापाकल बनाने का सामान नहीं था, लेकिन आज आ गया है. उसे हम लेने आये हैं, दो से तीन दिनों में वहां चापाकल की मरम्मत करवा दिया जायेगा.

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