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दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने का लिया संकल्प

शहर के जगजीवन स्टेडियम में आओ दीप जलाएं पर्यावरण बचाएं कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को पर्यावरण बचाने का संकल्प दिलाया गया. इस कार्यक्रम में शहर के कई बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि, बच्चे व आम लोग शिरकत करने के दौरान काफी उत्साहित रहे

भभुआ नगर. दीपों के त्योहार दीपावली के दिन हर घर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. शास्त्रों में मिट्टी के दीपक को तेज, शौर्य और पराक्रम का भी प्रतीक माना गया है. जब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्या वासियों ने मिट्टी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने के पीछे धार्मिक महत्व भी है, मिट्टी के दीपक जलाना ना सिर्फ प्रकृति के लिए अनुकूल है, बल्कि इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति भी आती है. इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना पंचतत्वों से हुई है, जिनमें जल, वायु, आकाश, अग्नि और भूमि शामिल है. मिट्टी का दीपक भी इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है. मिट्टी का दीपक सुनहरे वर्तमान का प्रतीक माना गया है, जबकि उसमें जलने वाली लौ भूतकाल का प्रतीक होती है. जब हम रुई की बाती डालकर दीप जलाते हैं तो वह आकाश, स्वर्ग और भविष्य का प्रतिनिधित्व करती है. भगवान राम के आने के बाद अयोध्या वासियों ने घर-घर दीप जलाये थे, तभी से ही कार्तिक महीने में दीपों का यह त्योहार मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है. हालांकि, पिछले दो दशक के दौरान कृत्रिम लाइटों का क्रेज काफी बढ़ गया है. आधुनिकता की आंधी में हम अपनी पौराणिक परंपरा को छोड़ कर दीपावली पर बिजली की लाइटिंग के साथ तेज ध्वनि वाले पटाखे चलाने लगे हैं. इससे एक तरफ मिट्टी के कारोबार से जुड़े कुम्हारों के घरों में अंधेरा रहने लगा, तो ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को अपना कर हमलोगों ने अपनी सांसों को ही खतरे में डाल दिया है. अपनी परंपराओं से दूर होने की वजह से ही कुम्हार समाज अपने पुश्तैनी धंधे से दूर होता जा रहा है. दूसरे रोजगार पर निर्भर होने लगे हैं. वर्तमान में अपनी परंपरा को बरकरार रखने और पर्यावरण बचाने के लिए इस दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने के प्रति लोगों खास कर बच्चों व युवाओं काे जागरूक करने के लिए प्रभात खबर द्वारा पर्यावरण के सुरक्षा के लिए एक अभियान आओ पर्यावरण बचाएं, दीप जलाएं चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत प्रभात खबर संवाददाता शहर के प्रमुख अपार्टमेंट, मुहल्ले व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पहुंच रहे हैं व लोगों को आओ पर्यावरण बचाएं दीप जलाएं के तहत मिट्टी के दीये जलाने का संकल्प दिला रहे हैं. इसी अभियान के कड़ी में प्रभात खबर द्वारा गुरुवार को शहर के जगजीवन स्टेडियम में आओ दीप जलाएं पर्यावरण बचाएं कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को पर्यावरण बचाने का संकल्प दिलाया गया. इस कार्यक्रम में शहर के कई बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि, बच्चे व आम लोग शिरकत करने के दौरान काफी उत्साहित रहे और दीपावली पर्व सहित अन्य अवसरों पर भी सिर्फ मिट्टी का दीपक इस्तेमाल करने का संकल्प लेते हुए दूसरे लोगों को भी पटाखे नहीं फोड़ने व घरों में मिट्टी का दीपक जलाने का संदेश दिया. – कहते हैं शहरवासी –पंरपरा व पर्यावरण के संरक्षण के लिए मिट्टी के दीये ही जलाना है, इनसे कोई प्रदूषण भी नहीं होता. जबकि कृत्रिम रोशनी आंखों व त्वचा के लिए हानिकारक होती है. मिट्टी के दीये की रोशनी आंखों को आराम पहुंचाती है. मिट्टी के दीये हमारी संस्कृति का एक अहम अंग हैं. दीपावली पर इसे जलाकर हम अपनी परंपराओं को याद रखते हैं. = जितेंद्र उपाध्याय, अधिवक्ता –मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों को प्रोत्साहित करने का भी यह अच्छा अवसर है. आइये, इस दीपावली हम सभी मिलकर मिट्टी के दीये जलाएं और एक स्वच्छ व हरा-भरा पर्यावरण बनाने में अपना योगदान दें. =अखिलेश दुबे, अधिवक्ता –दीपावली में मिट्टी के दीये जलाना हमारी संस्कृति और प्रकृति से जुड़ने का बहुत ही सुगम साधन है. यह भारतीय संस्कृति में बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है. मिट्टी के दीये प्रेम, समरसता और ज्ञान के प्रतीक हैं. सामाजिक व आर्थिक आधार पर भी दीयों की खूबसूरती जगजाहिर है. = राजेश कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता —आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त हो रही है. इससे सामाजिक रूप से व पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है. पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी है आमजन दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने व पटाखे नहीं चलाने का संकल्प लें. = अमरनाथ सिंह, अधिवक्ता –इस दीपावली मिट्टी के दीये जलाएं, तभी पर्यावरण बचाने में हम सफल हो सकेंगे. खासकर अभिभावक बच्चों पर ध्यान दें. बच्चे दीपावली पर्व के दौरान कई तरह के पटाखे फोड़ते हैं, जिसके चलते प्रदूषण फैलता है व कभी-कभी पटाखे फोड़ते समय जल भी जाते हैं. इसलिए सभी लोग संकल्प लें कि हम व हमारा परिवार पर्यावरण की सुरक्षा करेगा व घरों में मिट्टी के दीपक ही जलायेंगे. = विश्वजीत जायसवाल, खिलाड़ी –पर्यावरण वह है जो हर जीव के साथ जुड़ा हुआ है और हमारे चारों तरफ हमेशा व्याप्त होता है. प्रदूषित वातावरण से फैलने वाले संक्रमण से बचने के लिए, पर्यावरण को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है, इसलिए दीपावली पर्व के दिन हम सभी लोग मिलजुल कर अपने घरों में मिट्टी के दीपक व आस पड़ोस के घरों में भी मिट्टी का दीपक जलाने के लिए लोगों को जागरूक करेंगे = ओम प्रकाश शर्मा

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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