भगवानपुर. विजय जुलूस में बजाये जा रहे डीजे को बंद कराने गयी पुलिस पर भीड़ द्वारा हमला कर दिया गया, जिसमें पुलिस के एक जवान के साथ पुलिस की पिटाई से एक युवक घायल हो गया है. घायल जवान शोएब मलिक तथा घायल युवक स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत नौगढ़ गांव निवासी संजय सिंह का पुत्र मनीष कुमार बताया जाता है. यह घटना स्थानीय थाना क्षेत्र के नौगढ़ गांव की है. घटना के संबंध में पता चला है कि बीते चार दिसंबर को पैक्स चुनाव का परिणाम आया था. इसमें जैतपुरकलां पंचायत से रामाश्रय सिंह को पैक्स अध्यक्ष पद पर निर्वाचित घोषित किया गया था. इसको लेकर बीते गुरुवार की देर शाम विजय जुलूस डीजे बजाते हुए नौगढ़ गांव में पहुंचा था. इस दौरान किसी व्यक्ति ने पुलिस को फोन के माध्यम से यह सूचना दे दी कि यहां डीजे जुलूस बजाकर गांव के शांतिपूर्ण माहौल को बिगड़ने की कोशिश की जा रही है. इसके बाद थानेदार उदय कुमार के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस नौगढ़ गांव में पहुंचकर डीजे को बंद कराने लगी, जिसका जुलूस में शामिल लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. इसी दौरान पुलिस ने जब डीजे को बंद कराने के लिए हल्का-फुल्का बल प्रयोग किया, तभी जुलूस में शामिल लोगों ने पुलिस पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. पुलिस के बताये अनुसार, जुलूस में शामिल लोगों द्वारा पुलिस के साथ गाली-गलौज करने के साथ उनके पास से सरकारी आर्म्स को भी छीनने की कोशिश की गयी. इस घटना में शोएब मलिक नाम के एक जवान के साथ जुलूस में शामिल मनीष कुमार नामक एक युवक भी पुलिस के बल प्रयोग के दौरान घायल हो गया. इस दौरान जुलूस में शामिल लोगों के उग्र रूप को देख पुलिस घटनास्थल से किसी तरह भाग निकलने में ही खुद की गुंजाइश समझी और दलबल के साथ वहां से भाग खड़ी हुई. साथ ही इस घटना की जानकारी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक को दी. इसके बाद एसडीपीओ सुनील कुमार कुमार के नेतृत्व में करीब आधा दर्जन सरकारी वाहनों से कई पुलिस पदाधिकारी व बिहार पुलिस के जवानों के साथ दंगा निरोधक दस्ता की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची तथा उसके आसपास के घरों में छापेमारी कर पांच लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले आयी. यहां पुलिस पूछताछ के माध्यम से मारपीट की घटना में शामिल अन्य आरोपितों को चिह्नित करने के प्रयास में जुट गयी. 14 नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज घायल जवान तथा जुलूस में शामिल घायल युवक को सदर अस्पताल में भिजवा कर उनके इलाज करने की प्रक्रिया शुरू करायी गयी, वहीं दूसरी तरफ पुलिस ने 14 लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर ली. करीब दो दर्जन से अधिक अज्ञात लोगों के भी विरुद्ध पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है. 14 नामजद में से पुलिस ने पांच आरोपितों की गिरफ्तारी की है, उनमें स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत बखारबांध गांव निवासी रामनिवास सिंह के 22 वर्षीय पुत्र अर्जुन सिंह, नौगढ़ गांव निवासी वीरेंद्र सिंह के 19 वर्षीय पुत्र अंकित कुमार, वैद्यनाथ सिंह के 45 वर्षीय पुत्र दामोदर सिंह, कुंवारी सिंह के पुत्र संजय सिंह तथा संजय सिंह के पुत्र मनीष कुमार (पुलिस पर हमले के दौरान मारपीट में घायल) का नाम शामिल है. वहीं, शेष नौ आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी में जुटी है. ग्रामीणों ने पुलिस पर कार्रवाई के नाम पर लगाये गंभीर आरोप नौगढ़ गांव के लोगों का भी पुलिस पर आरोप लगाया जा रहा है. नौगढ़ गांव की विजयंती देवी पति वीरेंद्र सिंह ने बताया कि विजय जुलूस के दौरान जब डीजे बज रहा था, तो वहां पहुंची पुलिस डीजे नहीं बजाने की बात कहने के बजाय सबसे पहले मारना-पीटना शुरू कर दिया. इसका विरोध करने पर बात आगे बढ़ी और पुलिस व डीजे बजा रहे लोगों के बीच मारपीट की गयी. विजयंती देवी ने बताया कि पुलिस के डंडे से मैं भी घायल हो गयी हूं, इस दौरान उसने अपना जख्मी हाथ भी दिखाया, उसने बताया जब घटनास्थल पर काफी संख्या में दलबल के साथ दोबारा पुलिस पहुंची, तो सर्वप्रथम उनके द्वारा मेरे तथा मेरे अगल-बगल के घरों के दरवाजे को जोर-जोर से धक्का मार कर खोलने की कोशिश की गयी. मेरी पड़ोसन संगीता देवी ने डर के मारे दरवाजा खोल दिया, इस बीच पुलिस उनके घर में पहुंची तथा घर के आंगन में पड़े लाठी, कुल्हाड़ी व लोहे की रामी (खनती) उठा लिया तथा इन्हीं घरेलू उपकरणों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर एक दूसरे से सटे करीब आधा दर्जन घरों के दरवाजों को जबर्दस्ती तोड़ने की कोशिश की गयी. इस दौरान नीला कुंवर पति स्वर्गीय राम जी सिंह के काठ के दरवाजे को पुलिस द्वारा आसानी से तोड़ दिया गया. मारपीट के आरोपित वीरेंद्र सिंह के लोहे के दरवाजे की किल्ली तोड़ते हुए पुलिस उनके घर में भी समा गयी, जबकि करीब एक घंटे के प्रयास के बावजूद अमित सिंह पिता अनिल सिंह का लोहे के दरवाजे को तोड़ने में पुलिस असफल रही. विमला देवी पति सुरेंद्र सिंह व पिंकी कुमारी पिता स्वर्गीय अवधेश सिंह ने बताया कि पुलिस की इस तरह की अवैधानिक करतूत को देखकर घर में सोये छोटे-छोटे बच्चे भी डर के मारे रोने लगे, जबकि आसपास के कई घरों के लोग पूरी तरह से सहम गये थे. उक्त महिलाओं के आरोप के मुताबिक दरवाजा तोड़ने के बाद पुलिस कुछ घरों के छत पर भी चढ़ गयी थी और आसपास की छत पर खड़ी महिलाओं को अश्लील गालियां भी उनके द्वारा दी जा रही थी. महिलाओं ने यह भी बताया कि हमारे मुहल्ले के बहुत से घरों के बेकसूर पुरुष पुलिस के भय से गांव छोड़ कर भाग गये हैं, जिनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. इसकी वजह से धान की कटाई भी प्रभावित हो रही है. जिन घरों के दरवाजों को पुलिस द्वारा तोड़ दिया गया या फिर तोड़ने की कोशिश की गयी, उन घरों में शुक्रवार की दोपहर तक खाना भी नहीं पका, साथ ही बच्चे भी पढ़ने के लिए स्कूल नहीं गये. क्या कहते हैं एसडीपीओ :- भभुआ एसडीपीओ शिवशंकर कुमार ने बताया पुलिस ने किसी का दरवाजा नहीं तोड़ा है, बल्कि चुनाव के रिजल्ट को लेकर आपस में दो पक्ष लड़ गये थे. हो सकता है कि आपसी लड़ाई में ही उन लोगों का दरवाजा टूटा हो, पुलिस द्वारा दरवाजा तोड़ने वाला आरोप पूरी तरह से गलत है. क्या कहते हैं पुलिस अधीक्षक पुलिस अधीक्षक ललित मोहन शर्मा ने पूछे जाने पर बताया कि यदि पुलिस द्वारा मारपीट करने तथा दरवाजा तोड़ने का आरोप लगाने वाले लोग लिखित आवेदन देते हैं, तो निश्चित रूप से जांच करायी जायेगी.
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