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बगैर निबंधन के संचालित सैकड़ों निजी विद्यालयों पर लटकेंगे ताले

जिले के सभी प्रखंड सहित शहर मुख्यालय में भी बगैर निबंधन के संचालित हो रहे निजी विद्यालय पर विभाग ने शिकंजा कसना प्रारंभ कर दिया है. बगैर निबंधन के संचालित हो रहे जिले के सभी निजी विद्यालय पर ताला बंद कर एक लाख तक का जुर्माना वसूल किया जायेगा

भभुआ नगर. जिले के सभी प्रखंड सहित शहर मुख्यालय में भी बगैर निबंधन के संचालित हो रहे निजी विद्यालय पर विभाग ने शिकंजा कसना प्रारंभ कर दिया है. बगैर निबंधन के संचालित हो रहे जिले के सभी निजी विद्यालय पर ताला बंद कर एक लाख तक का जुर्माना वसूल किया जायेगा, साथ ही संबंधित निजी विद्यालय के संचालकों पर कार्रवाई भी की जायेगी. इधर, बगैर निबंधन के संचालित हो रहे विद्यालयों को बंद करने के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने जिला पदाधिकारी को पत्र लिखा है. लिखे गये पत्र में कहा है कि बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 एक अप्रैल 2010 से ही प्रभावी है. साथ ही कहा है कि बिहार राज्य बच्चों के मुक्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के तहत निजी विद्यालयों के प्रस्वीकृति का प्रावधान है. बच्चों की मुक्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 18 में यह प्रावधान है कि कोई भी विद्यालय जो निर्धारित मानक पूरा करता हो तो वह सक्षम प्राधिकार से प्रस्वीकृति का प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना संचालित नहीं करेगा, अगर कोई भी इस प्रावधान का उल्लंघन करता है तो निर्धारित व्यक्ति या संस्था से 100000 रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है या निर्धारित तिथि के बाद भी विद्यालय संचालित रहने पर प्रत्येक दिन से 10000 रुपये जुर्माना वसूल किया जाता सकता है. साथ ही पत्र में कहा है कि सभी प्रावधानों के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया था कि निजी विद्यालय के संगठनों संघों के नोडल पदाधिकारी के साथ बैठक कर अपने-अपने जिले में संचालित सभी ने विद्यालय में प्रस्वीकृति प्रदान हेतु 10 अगस्त तक इ-संवर्धन पोर्टल पर आवेदन करना सुनिश्चित करें. साथ ही कहा है कि समीक्षा के क्रम में पाया गया है कि उक्त प्रावधान व दिये गये निर्देश के आलोक में पूरे राज्य में 49702 निजी विद्यालयों द्वारा प्रस्वीकृति हेतु प्रारंभिक आवेदन समर्पित किया गया, परंतु इनके विरुद्ध मात्र 11995 निजी विद्यालयों द्वारा ही अभी तक प्रस्वीकृति प्राप्त की गयी है व शेष निजी विद्यालयों द्वारा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं करायी गयी है. समीक्षा में यह भी पाया गया कि 11995 प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालयों में से मात्र 5562 निजी विद्यालयों का ज्ञान दीप पोर्टल पर सीट अपलोड किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि 11995 विद्यालयों को छोड़ कर शेष विद्यालय बिना प्रस्वीकृति प्राप्त किये ही संचालित हो रहे हैं, जिनके विरुद्ध कार्रवाई करना अपेक्षित है. साथ ही वैसे निजी विद्यालय जो प्रस्वीकृति प्राप्त किये हैं, परंतु सीट अपलोड नहीं किये हैं. साथ ही पत्र में कहा है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी से समीक्षा कर प्रस्वीकृति प्राप्त किये बिना संचालित निजी विद्यालयों के विरुद्ध आरटीई एक्ट व बिहार राज्य बच्चों की मुक्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के सुसंगत नियमों के तहत कार्रवाई हेतु आवश्यक निर्देश देना सुनिश्चित की जाये. साथ ही कहा है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा कार्रवाई की जा रही है या नहीं इसकी भी मॉनिटरिंग की जाये. गौरतलब है कि इस तरह का आदेश यह पहली बार नहीं आया है, कई बार अपर मुख्य सचिव से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बगैर निबंधन यानी बगैर प्रस्वीकृति प्राप्त विद्यालयों का निबंधन रद्द करते हुए बंद करने का आदेश जारी किया गया है. इसके बावजूद जिले में कई विद्यालय बगैर निबंधन के धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं, यानी कहे तो अधिकारियों का आदेश केवल कागजी घोड़ा बन कर रह जाता है. गौरतलब है कि बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 एक अप्रैल 2010 से ही लागू है. इस अधिनियम के तहत बिहार राज्य के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के तहत निजी विद्यालयों की प्रस्वीकृति का प्रावधान किया गया है. बच्चों की मुक्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 आरटीई एक्ट 2009 की धारा 18 में यह प्रावधान है कि कोई भी विद्यालय जो निर्धारित मानक धारित करता हो, सक्षम प्राधिकार से प्रस्वीकृति का प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना संचालित नहीं करेगा. साथ ही अगर बिना प्रमाणपत्र लिए विद्यालय का संचालन करता है तो अधिनियम की धारा 18 के तहत दोषी व्यक्ति या संस्था के ऊपर 100000 रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है. = जिले में 205 विद्यालय को मिली है प्रस्वीकृति जिले में 205 विद्यालयों को ही प्रस्वीकृति मिली है यानी निबंधित है, लेकिन जिले में 500 से अधिक विद्यालय उक्त प्रावधान के बावजूद अभी भी संचालित हो रहे हैं. खास बात यह है कि जिले में ऐसे कई विद्यालय संचालक है जो 10 वर्ष से अधिक दिनों से विद्यालय का संचालन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक अपने विद्यालय का निबंधन नहीं कराये हैं. अधिकारियों की सुस्ती के कारण बगैर निबंधन का ही विद्यालय का संचालन कर रहे हैं. = बोले अधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान कृष्ण मुरारी गुप्ता ने कहा कि बगैर निबंधन यानी प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं, तो ऐसे विद्यालयों पर कार्रवाई करते हुए बंद किया जायेगा, साथ ही जुर्माना भी वसूल किया जायेगा.

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