मजदूरी में कटौती करने से एसएफसी मजदूर नाराज, गये हड़ताल पर

पनी मजदूरी में हुई कटौती के विरोध में फूड एंड एलाइड वर्कर्स यूनियन के मजदूर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 2, 2024 8:52 PM

मोहनिया सदर. अपनी मजदूरी में हुई कटौती के विरोध में फूड एंड एलाइड वर्कर्स यूनियन के मजदूर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गये हैं. प्रखंड स्तर पर इस हड़ताल का नेतृत्व कर रहे कमलेश पासवान ने बताया कि बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा वर्तमान में एक अक्तूबर 2024 से अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी को नहीं स्वीकार करते हुए लोडिंग अनलोडिंग की निविदा द्वारा प्रति बैग मजदूरी 11.64 रुपये से घटाकर 4.55 रुपये भुगतान करने की मंजूरी दी गयी है. जबकि, ऐसा करना न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है. साथ ही तत्कालीन प्रबंध निदेशक बिहार राज्य खाद्य निगम व मुख्यालय के विभिन्न पत्रों द्वारा श्रम संसाधन विभाग बिहार सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी को लागू करने के लिए सभी जिला प्रबंधक बिहार राज्य खाद्य निगम को समय-समय पर दिशा निर्देश जारी किया गया है. लोडिंग अनलोडिंग के लिए श्रम संसाधन विभाग द्वारा अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किये जाने की शिकायत को लेकर श्रम आयुक्त व उप श्रम आयुक्त द्वारा निर्धारित किया जा चुका है कि न्यूनतम मजदूरी से कम दर पर मजदूरों को मजदूरी का भुगतान करना सीडब्ल्यूजेसी 18226/12 में पारित आदेश एक अक्तूबर 2012 का न केवल उल्लंघन है, बल्कि माननीय उच्च न्यायालय की अवहेलना भी है. यह आदेश राज्य खाद्य निगम के लोडिंग अनलोडिंग मजदूर को न्यूनतम मजदूरी के भुगतान को लेकर ही पारित किया गया है, उन्होंने कहा कि परिवहन अभिकर्ताओं द्वारा लोडिंग अनलोडिंग मजदूर की मजदूरी में जबरन 29 प्रतिशत की कटौती भविष्य निधि व इएसआइ मद में अंशदान भुगतान के लिए किया जा रहा है. जबकि, अंशदान से संबंधित पूरा पैसा जमा हो रहा है या नहीं इसका भी कोई जवाब देने वाला नहीं है. इस प्रकार से की जा रही कटौती भी मनमानी व एकतरफा है, जो बिल्कुल गैर कानूनी है. जबकि, ब्लैकलिस्टेड होकर जो परिवहन अभिकर्ता चले गये हैं, उनके यहां मजदूरों के करीब 25 लाख रुपये बकाया हैं. उसका भुगतान कैसे होगा इसका भी कोई जवाब देने के लिए तैयार नहीं है. साथ ही बताया कि सीडब्ल्यूजेसी 18226/ 2012 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के आलोक में निगम मुख्यालय द्वारा करोड़ों रुपये विभिन्न जिले के मजदूरों के बकाया भुगतान के लिए उपलब्ध कराया गया है, लेकिन उस रुपये का क्या हुआ इसका भी जवाब नहीं मिल रहा है. इसी क्रम में उन्होंने कहा कि लोडिंग अनलोडिंग मजदूर को न्यूनतम मजदूरी यानी प्रति बोरा 11.64 रुपये के भुगतान सहित श्रम कानूनों के अंतर्गत मिलने वाली अन्य सुविधाओं को लागू करने के लिए समुचित कार्रवाई की जाये, साथ ही न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान से संबंधित निविदा को अमान्य किया जाये. साथ ही परिवहन अभिकर्ताओं द्वारा मजदूरों की मजदूरी से पीएफ/ इएसआइ अंशदान के रूप में जबरन 29 प्रतिशत की कटौती को बंद किया जाये व नाजायज रूप से कटौती की गयी राशि को वापस किया जाये, नियमानुसार सभी लोडिंग अनलोडिंग मजदूर को भविष्य निधि व इएसआइ के अंतर्गत आच्छादित किया जाये, ब्लैक लिस्टेड परिवहन अभिकर्ताओं के यहां मजदूरों के बकाया करीब 25 लाख रुपये की मजदूरी का भुगतान उक्त परिवहन अभिकर्ताओं के निगम में बकाया राशि से भुगतान करना सुनिश्चित किया जाये. मजदूरों के लिए पीने का शुद्ध पानी, शौचालय व शेड की सुविधा उपलब्ध करायी जाये.

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