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Shardiya Navratri 2024: पितृपक्ष श्राद्ध का अंतिम दिन कल, जानें नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का सही समय

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र में माता दुर्गा इस बार पालकी पर सवार होकर आयेंगी और सभी की मनोकामनाओं को पूरा करेंगी. भभुआ शहर में भी नवरात्र की तैयारी जोरों पर है और शहर का माहौल भक्तिमय होने लगा है.

Shardiya Navratri 2024: भभुआ सदर. पितृपक्ष श्राद्ध का अंतिम दिन कल है. वहीं अगले दिन गुरुवार से इस वर्ष का शारदीय नवरात्र शुरु हो जायेगा. इसके साथ ही शहर सहित संपूर्ण जिला नवरात्र की चमक से सराबोर हो जायेगा. मंदिरों से लेकर शहर के विभिन्न स्थानों पर स्थापित देवी पंडालों में इसकी तैयारियां जोरों से चल रही हैं. इधर मूर्तियों को भी अंतिम टच दिया जा रहा है. इस बार नवरात्र कई मायनों में भक्तों के लिए बेहद खास होगा. हालांकि, कुछ हद तक बारिश त्योहार का मजा किरकिरा कर सकती है. पंडित उपेंद्र तिवारी व्यास के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत तीन अक्तूबर से हो रही है. इन 10 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जायेगी. इस दौरान भक्त व्रत रख कर पहले दिन कलश स्थापना करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा नवरात्रि में अपने मायके यानी की धरती पर आती हैं. उनका आगमन अलग-अलग वाहनों पर होता है और विदाई के वक्त मां का वाहन अलग हो जाता है.

मंदिरों और शहर के स्थापित पंडालों में तैयारी जोरों से चल रही

गुरुवार को आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ 10 दिवसीय शारदीय नवरात्र शुरू हो जायेगा, 12 अक्तूबर को विजयादशमी है. इधर, तीन अक्तूबर कल से शारदीय नवरात्र के आगमन को लेकर भभुआ, मोहनिया सहित पूरे जिले में तैयारियां जोरो पर हैं. इस बार ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इस बार पिछले साल की तरह कोई भी तिथि क्षय नहीं होने से नवरात्र पूरे नौ दिनों की रहेगी, जो सुख संपदा का संकेत है. इससे सभी लोगों के लिए नवरात्रि फलदायी रहेगा. शारदीय नवरात्र में माता दुर्गा इस बार पालकी पर सवार होकर आयेंगी और सभी की मनोकामनाओं को पूरा करेंगी. भभुआ शहर में भी नवरात्र की तैयारी जोरों पर है और शहर का माहौल भक्तिमय होने लगा है. माता मुंडेश्वरी, देवी जी मंदिर, बड़ी देवी जी मंदिर सहित सभी स्थापित होनेवाले पूजा पंडालों में मां के आगमन की तैयारी भी लगभग अंतिम चरण में है. इन स्थानों को भव्य रूप देने के लिए सजाया संवारा जा रहा है.

शहर में 28 जगहों पर प्रतिमा बैठाने की तैयारी

इस बार भभुआ शहर में 28 जगहों पर प्रतिमा बैठाने की तैयारी की जा रही है. मूर्तिकार प्रतिमा को अब अंतिम रूप देने में जुटे हैं. ज्योतिषशास्त्री पंडित उपेंद्र तिवारी व्यास ने बताया कि इस बार नौ दिनों की नवरात्र होगी. कलश स्थापन तीन अक्तूबर को होगा. पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत तीन अक्तूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से होगी. वहीं, इसका समापन चार अक्तूबर को देर रात दो बजकर 58 मिनट पर होगा. ऐसे में शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 03 अक्तूबर से होगा. जबकि, इसका समापन 11 अक्तूबर को होगा. इसके अगले दिन यानी 12 अक्तूबर को दशहरा का पर्व मनाया जायेगा. इस साल कलश स्थापना तीन अक्तूबर को सुबह छह बजकर 19 मिनट से लेकर सात बजकर 23 मिनट पर होगा. इसके साथ ही अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 40 मिनट पर होगा.

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पूरे दिन श्राद्ध और तर्पण का मुहूर्त

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के साथ ही दो अक्तूबर यानी आज बुधवार को 15 दिनों तक चले पितृपक्ष का समापन हो जायेगा. पितृपक्ष के समापन के साथ आज महालया का भी दिन होगा. मान्यता है कि इस दिन शक्ति की देवी माता दुर्गा धरती पर आती है और फिर अगले दिन से नवरात्रि का त्योहार शुरू हो जाता है. हालांकि, इससे पहले पितृपक्ष के आखिरी दिन श्राद्ध का विशेष महत्व है. पंडित उपेंद्र तिवारी व्यास के अनुसार, इस दिन पितर धरती से विदाई ले लेते हैं. अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए श्राद्ध करने की परंपरा है. इस दिन आप उन पितरों का भी श्राद्ध कर सकते हैं, जिनका तर्पण आदि आपने पिछले 15 दिन में किसी कारणवश नहीं किया या फिर भूल गये. इस दिन अमावस्या तिथि रात 11.56 बजे खत्म होगी, ऐसे में पूरे दिन श्राद्ध और तर्पण का मुहूर्त है.

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