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गंदे पानी से होकर छात्राएं जाने को मजबूर

गर पंचायत के वार्ड सात की मुख्य सड़क नाले के गंदे पानी से आसमान से बरसती इस आग के बाद भी झील में तब्दील है, जिसके बीच से होकर बालिका प्लस टू विद्यालय व कन्या मध्य विद्यालय की छात्राएं प्रतिदिन विद्यालय जाने को मजबूर हैं.

रामगढ़. नगर पंचायत के वार्ड सात की मुख्य सड़क नाले के गंदे पानी से आसमान से बरसती इस आग के बाद भी झील में तब्दील है, जिसके बीच से होकर बालिका प्लस टू विद्यालय व कन्या मध्य विद्यालय की छात्राएं प्रतिदिन विद्यालय जाने को मजबूर हैं. जबकि, सड़क पर पसरे गंदे पानी के बीच अब इसमें गंदे पशु सूअर भी भोजन तलाशने में जुटे रह रहे हैं, ऐसे में इस ज्वलंत मुद्दे पर ना तो प्रशासन संवेदनशील है, न ही नगर पंचायत के कर्मी और ना ही जनप्रतिनिधि. ऐसे में विद्यालयों के भीतर स्वच्छता का पाठ पढ़ने वाली बेटियों को प्रत्येक दिन विद्यालय के मुख्य गेट पर गंदा पानी उन्हें मुंह चिढ़ाता नजर आता है. एक तरफ जहां नगर पंचायत की सफाई पर प्रत्येक माह लाखों रुपये खर्च कर नगर को स्वच्छ रखने का दम भरा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ वर्षों से जल निकासी की समस्या से जूझ रहे नगरवासियों को गंदे पानी से निजात नहीं मिल पा रही है. वार्ड सात के समाजसेवी कमलेश शर्मा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से मुख्य सड़क से कन्या मध्य विद्यालय व प्लस टू बालिका उच्च विद्यालय के रास्ते देवहलिया पथ को जोड़ने वाली बाईपास सड़क के किनारे बनाये गये नाला के अक्सर जाम रहने के कारण गर्मी के दिन में भी सड़क पर पसरा गंदा पानी झील नजर बना नजर आता है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी बालिका प्लस टू विद्यालय की छात्राओं को होती है, जिन्हें अक्सर मुख्य गेट के सामने पसरे गंदे पानी के बीच से होकर स्कूल जाना पड़ता है. इसके साथ ही हनुमान मंदिर के समीप सरोवर को ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण करते हुए कूड़े से पाट दिया गया, जो अब दलदल में तब्दील है, जिसमें अब तक कई मवेशियों की डूबकर जान भी जा चुकी है. एक तरफ सरकार जहां मनरेगा के तहत जनजीवन हरियाली के अंतर्गत पूर्व के तालाब को अमृत सरोवर का स्वरूप दे रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे तालाबों को कूड़े व गंदगी से पाट कर उससे उठने वाली दुर्गंध से वार्ड वासियों को बीमार करने पर तुली है. जिले में स्वच्छता व जल संचय पर बड़ी बड़ी बातें तो सभी करते हैं, लेकिन धरातल की समस्याओं से कोई रूबरू नहीं होना चाहता. वार्ड सात के मोनू गुप्ता ने कहा जल निकासी की समस्या को लेकर पूर्व के पंचायत के मुखिया से लेकर कई जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी जा चुकी है, पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. नगर पंचायत का दर्जा मिलने के लगभग तीन वर्ष बीतने के बाद भी वार्ड की गलियों व सड़कों के किनारे अंधेरा है. रात में प्रखंड कार्यालय का मुख्य गेट हो या एफसीआईइ का मुख्य गेट सभी अंधेरे में तब्दील रह रहे हैं. बिजली रहने पर जगमग रहने वाला सूर्य सरोवर मंदिर बिजली गुल होने पर मंदिर व सरोवर सहित तालाब का पूरा भिंड अंधेरे में तब्दील रहता है. इससे सुबह शाम मंदिर जाने व टहलने जाने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नगर पंचायत द्वारा अगर स्ट्रीट लाइट का प्रबंध कर दिया जाता, तो बिजली कटने के बाद भी लोगो को कोई दिक्कत नहीं होती.

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