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उत्क्रमित मध्य विद्यालय पसाई में चहारदीवारी नहीं होने से छात्र-छात्राएं भयभीत

प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पसाई में चहारदीवारी का निर्माण नहीं कराया गया है. यहां चहारदीवारी नहीं रहने से छोटे-छोटे बच्चों के बीच दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

रामपुर. प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पसाई में चहारदीवारी का निर्माण नहीं कराया गया है. यहां चहारदीवारी नहीं रहने से छोटे-छोटे बच्चों के बीच दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. छात्र-छात्राएं वाहन से भयभीत रहते हैं. साथ ही असामाजिक तत्वों द्वारा विद्यालय के दरवाजे, खिड़की व दीवार पर लिखे लेखन को क्षति पहुंचाने के साथ विद्यालय परिसर रात में पशुओं का बसेरा बना रहता है. मालूम हो कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय पसाईं मुख्य सड़क से बिल्कुल सटा हुआ है. विद्यालय से सटी सड़क पर आये दिन सैकड़ों वाहन का आना जाना होता है. साथ ही स्कूल के छात्र-छात्राएं वही खेल के पीरियड में या लंच के समय में प्रांगण में खेलते रहते हैं. जबकि, सड़क की चौड़ाई ज्यादा नहीं होने से चार चक्का वाहन व ट्रैक्टर वाले विद्यालय के पास ही साइड लेते हैं या अपने वाहन को मोड़ने का अड्डा बना लिया है, जिससे विद्यालय के छात्रों में हमेशा भय व्याप्त रहता है कि कभी भी बड़ी घटना हो सकती है. इतना ही नहीं चहारदीवारी नहीं हाेने से असामाजिक तत्वों द्वारा शौचालय व चापाकल के पास अक्सर गंदगी कर दिया जाता है, जिससे छात्रों व शिक्षकों को शौच जाने के लिए सोचना पड़ जाता है. विद्यालय के खिड़की, दरवाजे को भी क्षति पहुंचायी जाती है. प्रधानाध्यापक द्वारा दीवारों पर चित्रण के साथ पेंटिंग व छात्रों के लिए जो लेखन कराये गये है उस चित्रण व लेखन को भी क्षत-विक्षत कर दिया गया है, जिससे पूरा विद्यालय परिवार भयभीत व परेशान रहता है. इसके अलावा पूरी रात विद्यालय परिसर में आवारा पशुओं का बसेरा बना रहता है. सुबह में जब विद्यालय खुलता है तो आये दिन सफाई कर्मी द्वारा साफ-सफाई की जाती है, लेकिन प्रति दिन यही कहानी दुहरायी जाती है. वहीं अगर चारदीवारी होती तो इन सब समस्याओं से विद्यालय सुरक्षित रहता. गौरतलब है कि एक तरफ विद्यालयों को लेकर सरकार अनेकों सुविधाएं दे रही हैं, उसके बावजूद पसाई उत्क्रमित मध्य विद्यालय को अपनी एक चहारदीवारी नहीं मिल सकी है. जबकि, शिक्षा विभाग के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, बीडीओ, सीओ सहित जनप्रतिनिधियों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन किसी की निगाह विद्यालय की इस समस्या पर नहीं पड़ती है. एक माह के अंदर विभाग के जिला से डीपीओ, एसडीपीओ सहित डीएम तक का आना जाना लगा रहता है. यहां डीपीओ व बीइओ के विद्यालय में आने पर एचएम ने इस बिंदु पर कई बार ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई निवारण नहीं किया गया. एचएम सच्चिदानंद गुप्ता ने बताया कि विद्यालय में कुल 167 छात्र-छात्राएं नामांकित है, जिसमें 100 छात्रा व 67 छात्राओं हैं. साथ ही शिक्षकों की कुल संख्या 11 है. बताया कि लगभग एक साल से विभाग को दर्जनों बार पत्राचार व मौखिक जानकारी देने के साथ बीआरसी की बैठक में भी चहारदीवारी व उक्त समस्या को लेकर अवगत कराया गया है, लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं किया गया. चहारदीवारी नहीं होने से परेशानी के साथ साथ छात्रों के प्रति हमलोग को भी काफी सजग रहना पड़ता है कि कभी कोई छात्र सड़क पर न चला जाये. इसके अलावा बहुत ही अन्य कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है, जिससे छात्रों के पठन पाठन पर विपरीत प्रभाव पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता. क्या कहते हैं छात्र-छात्राएं — –कक्षा आठ की छात्रा रीमा कुमारी ने बताया चहारदीवारी नहीं होने से हमेशा मन में भय बना रहता है कि खेलने के दौरान हमलोगों में से कोई कभी दौड़ कर सड़क पर न चला जाये. कभी कभार तो सड़क पर चल रहे वाहनों की चपेट में आने से घटना भी हुई है, जिससे हॉस्पिटल तक जाना पड़ा है. –कक्षा सात की छात्रा रुचि कुमारी, छात्र सोनल कुमार दोनों ने बताया विद्यालय सड़क से बिल्कुल पास है. साथ ही हमलोग खेल पीरियड में खेलते है, तब भी आवारा पशु विद्यालय तक आ जाते हैं. उसके डर के मारे अफरातफरी मच जाती है. दौड़ कर कक्षा में भागने के दौरान कई बार सीढ़ी पर गिर कर छात्र=छात्राएं घायल हो जाते हैं. — कक्षा छह की छात्रा दुर्गा कुमारी, सिवानी कुमारी ने बताया कि चहारदीवारी नहीं होने से कल पानी टंकी व शौचालय के पास बाहरी लोगों द्वारा गंदगी कर दी जाती है. हमलोग विद्यालय कैंपस में पीटी या प्रार्थना के लिए खड़े होते हैं तब भी वाहन धूल उड़ाते हुए तेजी से आते जाते हैं और वहीं पर दोनों तरफ से साइड लेने लगते हैं, जिससे अक्सर हमलोगों का ध्यान भटक जाता है. गुरुजी लोग कभी बोलते भी हैं, तो लोग उल्टे उन्हीं को बोलने लगते हैं.

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