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जिले में डेंगू के साथ पहली बार मिले चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीज

इस बार जिले में पहली बार चिकनगुनिया के भी मरीज मिल रहे हैं. इससे डॉक्टर्स के साथ ही आम जनता के लिए भी चिंताजनक स्थिति बनी हुई है

भभुआ सदर. बारिश का मौसम बीतने के साथ ही जिले में डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों ने अपना पांव फैलाना शुरू कर दिया है. इस सीजन में अब तक सात मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन सभी मरीज स्वस्थ हैं और फिलहाल जिले में डेंगू के पॉजिटिव मरीज अभी नहीं मिले हैं. हालांकि, सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बार जिले में पहली बार चिकनगुनिया के भी मरीज मिल रहे हैं. इससे डॉक्टर्स के साथ ही आम जनता के लिए भी चिंताजनक स्थिति बनी हुई है, जहां डेंगू जैसे लक्षण लेकर दर्जनों लोग रोज किसी न किसी अस्पताल में पहुंच रहे हैं, लेकिन पॉजिटिव मरीज उन्हें ही माना जा रहा है जो सरकार द्वारा तय की गयी सेंटिनल साइट में एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आ रहे हैं. सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार के अनुसार, इस बार डेंगू के साथ-साथ चिकनगुनिया के मामले भी बढ़े हैं. डेंगू के संदिग्ध मरीज मिलने के साथ साथ तीन लोगों की जांच में चिकनगुनिया होने की पुष्टि की गयी है. दरअसल, इन दिनों लोग बुखार और जोड़ों के दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल आ रहे हैं. हालांकि, समय से इलाज मिलने पर बुखार ठीक भी हो रहा है लेकिन लोगों को पूरी एहतियात बरतने की जरूरत है. साथ ही मच्छरों से बचने की जरूरत है. क्योंकि, मच्छरों के काटने से होने वाला चिकनगुनिया बुखार डेंगू जैसा ही होता है, इसलिए लोग इसमें और डेंगू में काफी कम भेद कर पाते हैं. लेकिन, ब्लड टेस्ट की मदद से इन दोनों बुखारों का पता लगाया जा सकता है. साथ ही बदलते मौसम में होने वाले किसी भी तरह के बुखार को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि लक्षण बढ़ने पर मरीज की जान बचाना तक मुश्किल हो जाता है. = डेंगू और चिकनगुनिया में क्या होता है अंतर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार ने बताया कि चिकनगुनिया के मरीजों को जहां जोड़ों का दर्द ज्यादा होता है, वहीं डेंगू के सीरियस मामलों में रक्तस्राव और सांस लेने में परेशानी होती है. इसके अलावा चिकनगुनिया के मरीजों के चेहरे, हथेलियों, पैरों समेत पूरे शरीर पर दाने आने शुरू हो जाते हैं, जबकि डेंगू में दाने सिर्फ चेहरे और अंगों पर ही होते हैं. जबकि, डेंगू में मरीज का प्लेटलेट्स काउंट कम होने से मरीज को कमजोरी अधिक महसूस होती है, जबकि चिकनगुनिया में प्लेटलेट्स काउंट कम नहीं होता. वहीं, डेंगू का मामला गंभीर होने से व्यक्ति की जान तक जा सकती है, लेकिन चिकनगुनिया में इसका प्रतिशत कम होता है. = बचाव के लिए कर सकते हैं यह उपाय डॉ विनोद के अनुसार चिकनगुनिया का बुखार भी खतरनाक साबित हो सकता है और काफी लंबे समय तक असर दिखा सकता है. इसलिए इससे बचाव के लिए अपने आस-पास पानी न इकट्ठा होने दें व मच्छर को मारने के लिए मिट्टी का तेल और दवा का इस्तेमाल करें. इसके अलावा आस-पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें और पूरी बांह और ढके हुए कपड़े पहनें. बुखार चढ़ने पर ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं और कोई भी लक्षण दिखने पर पूरा इलाज करवाएं, कोई लापरवाही न बरतें. शरीर में पानी की कमी न होने दें व रोजाना दो-तीन लीटर पानी पीते रहें. = डेंगू में एलाइजा टेस्ट ही है मान्य अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में 10 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है, जहां इलाज सहित दवा की व्यवस्था की गयी है. हालांकि, एलाइजा टेस्ट कराने में जो पॉजिटिव मरीज आ रहे है, उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है. क्योंकि, रेपिड टेस्ट में भी पॉजिटिव मरीज मिलते हैं, लेकिन कई बार वे एलाइजा में नेगेटिव आ जाते हैं. बताया कि फिलहाल जिले में डेंगू के पॉजिटिव मरीज अभी नहीं मिले हैं.

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