दो महीने बाद भी नयी दर को एनएचएआइ से नहीं मिली मंजूरी
आर्बिट्रेटर के फैसले के अनुसार मुआवजे की नयी दर निर्धारित कर मंजूरी के लिए एनएचएआइ को दो महीने पहले ही भेजा जा चुका है, लेकिन दो माह बाद भी अब तक वहां से मंजूरी नहीं मिल पाने से अधिग्रहित होने वाली भूमि के मालिकों को मुआवजे का भुगतान शुरू नहीं हो सका है.
भभुआ कार्यालय. देश की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य कैमूर जिले में शुरू होने में लगातार देरी हो रही है. आर्बिट्रेटर के फैसले के अनुसार मुआवजे की नयी दर निर्धारित कर मंजूरी के लिए एनएचएआइ को दो महीने पहले ही भेजा जा चुका है, लेकिन दो माह बाद भी अब तक वहां से मंजूरी नहीं मिल पाने से अधिग्रहित होने वाली भूमि के मालिकों को मुआवजे का भुगतान शुरू नहीं हो सका है. इससे कैमूर जिले में बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो सका है, जिसके कारण उक्त परियोजना में लगातार विलंब हो रहा है. वहीं, जमीन के मालिक भी मुआवजा में बढ़ोतरी की मांग को लेकर पिछले एक साल से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. उनके द्वारा लगातार एक साल से धरना देकर मुआवजे में बढ़ोतरी की मांग की जा रही है. ऐसे में एनएचएआइ द्वारा आर्बिट्रेटर के दिये गये आदेश के बाद भी मंजूरी देने में देरी समझ से परे है. बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित होने वाली जमीन के लिए सरकार के स्तर से जो मुआवजे का निर्धारण किया गया था, उससे जमीन मालिक संतुष्ट नहीं थे. जमीन मालिकों द्वारा इसके खिलाफ आर्बिट्रेटर सह आयुक्त के यहां वाद दायर कर मुआवजे में बढ़ोतरी की अपील की गयी थी. इस पर सुनवाई करते हुए आर्बिट्रेटर ने मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी कर इसे लगभग दोगुना कर दिया और बढ़ोतरी की गयी दर पर भुगतान करने का आदेश दिया गया था. आर्बिट्रेटर के आदेश के अनुसार जिला भू अर्जन पदाधिकारी द्वारा नयी दर से संशोधित करते हुए पंचाट बनाकर मंजूरी के लिए एनएचएआइ को भेजा गया था. इस पर एनएचएआइ द्वारा राज्य के महाधिवक्ता से आर्बिट्रेटर के फैसले को लेकर कानूनी सलाह मांगी गयी थी. इसे लेकर महाधिवक्ता द्वारा भी अपने सलाह में यह बताया गया है कि आर्बिट्रेटर द्वारा दिया गया फैसला कानून सही है, इसलिए उसके अनुसार भुगतान करने की कार्रवाई की जा सकती है. वहीं, उक्त कानूनी सलाह को आये हुए भी लगभग 10 दिन हो गये हैं, इसके बावजूद उक्त मामले में अब तक संशोधित दर की मंजूरी एनएचएआइ से नहीं मिल पायी है, जिसके कारण बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे जैसी महत्वाकांक्षी योजना में भी कैमूर जिला में कोई प्रगति नहीं हो पा रही है. बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे सहित अन्य सड़कों में जिन जमीन मालिकों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है, उनके द्वारा पिछले एक साल से लगातार आंदोलन किया जा रहा है. उनके द्वारा अगर चुनाव के आचार संहिता का समय छोड़ दें तो वह लगातार सड़क के किनारे धरना देते आ रहे हैं. उनके द्वारा पुतला दहन से लेकर समाहरणालय पर धरना-प्रदर्शन और मार्च तक किया जा चुका है. उनका कहना है कि जब तक उन्हें उचित मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता है, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा. जमीन मालिकों का कहना है कि हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन किसी कीमत पर बगैर उचित मुआवजा मिले हम अपनी जमीन नहीं देंगे और किसी को भी इस पर काम करने नहीं देंगे. इसके कारण आज तक कैमूर जिले में बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे का काम शुरू नहीं हो सका है. = जिले में 2948 रैयतों की जमीन की जानी है अधिग्रहित बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे बनारस से रांची होते हुए कोलकाता तक जायेगी. इसकी कुल लंबाई 610 किलोमीटर है. कैमूर जिले में यह सड़क 52 किलोमीटर लंबी होगी. यह जिले के चांद, चैनपुर, भगवानपुर, भभुआ और रामपुर से होकर गुजरेगी. इसके लिए कैमूर जिले में 619 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा. इनमें 2948 जमीन मालिकों से जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. जमीन का कम मुआवजा दिये जाने के कारण जमीन मालिक मुआवजा लेने के लिए नहीं आ रहे हैं और उनके द्वारा इसे लेकर आर्बिट्रेटर के यहां वाद दायर कर मुआवजा में बढ़ोतरी के लिए अपील की गयी थी. = क्या कहते हैं पदाधिकारी जिला भू-अर्चन पदाधिकारी संजीव कुमार सज्जन ने बताया कि करीब दो माह पहले आर्बिट्रेटर के फैसले के अनुसार संशोधित दर पर जमीन के मुआवजा के भुगतान के लिए पंचाट बनाकर एनएचएआइ को भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक वहां से अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है. इसके कारण भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है.
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