गबन के आरोपों की जांच करने पहुंची राजभवन की टीम

महाराणा प्रताप कॉलेज में 75 करोड़ की गबन की जांच करने राजभवन की टीम रविवार को मोहनिया पहुंची और कॉलेज परिसर में करीब चार घंटे तक इस मामले में दोनों पक्ष से साक्ष्य मांगे गये.

By Prabhat Khabar News Desk | February 9, 2025 8:46 PM

मोहनिया शहर. महाराणा प्रताप कॉलेज में 75 करोड़ की गबन की जांच करने राजभवन की टीम रविवार को मोहनिया पहुंची और कॉलेज परिसर में करीब चार घंटे तक इस मामले में दोनों पक्ष से साक्ष्य मांगे गये. साथ ही इस दौरान भूमिदाता परिवार के सदस्य कौशलेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दिये गये आवेदन पर कॉलेज प्रशासन को एक सप्ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया गया हैं. मालूम हो की भूमिदाता परिवार के सदस्यों ने वर्ष 2023 में कुलपति से लेकर मुख्यमंत्री तक महाविद्यालय में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवेदन दिया था. स्थानीय विधायक संगीता कुमारी ने भी मुख्यमंत्री सचिवालय में आवेदन देकर 75 करोड़ गबन के मामले के जांच की मांग की थी. जहां आवेदन गया था वहां से विश्वविद्यालय को भेज दिया गया. अंत में विश्वविद्यालय ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था. लेकिन, एक वर्ष बाद भी मामले की जांच नहीं हो पायी, तो भूमिदाता परिवार के सदस्यों द्वारा जनप्रतिनिधियों से काफी गुहार लगाने के बाद विश्वविद्यालय ने 28 फरवरी 2024 को महाविद्यालय के सभी खातों के संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. विश्वविद्यालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया कि जब तक विश्वविद्यालय के ज्ञापांक दो दिसंबर 2023 द्वारा महाराणा प्रताप महाविद्यालय मोहनिया के प्रधानाचार्य के ऊपर वित्तीय अनियमितता के संबंधित प्राप्त हुए शिकायती आवेदन की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट जब तक नहीं आ जाती, तब तक अगले आदेश तक महाविद्यालय के सभी खाते की संचालन पर रोक रहेगी. विश्वविद्यालय के इस आदेश के खिलाफ महाविद्यालय प्रशासन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. प्रभारी प्राचार्य डॉ शंभु नाथ सिंह व सचिव डॉ वजेंद्र नारायण सिंह द्वारा दायर की गयी थी. इस मामले में इंटरवेनर बनते हुए भूमि दाता परिवार के सदस्य कौशलेंद्र प्रताप सिंह प्रभारी प्राचार्य व सचिव को चुनौती देते हुए कहा कि इन दोनों लोगों का विश्वविद्यालय से अनुमोदन प्राप्त नहीं हैं. बावजूद इसके ये लोग खाते का संचालन कर रहे थे, जो अवैध है. श्री सिंह ने दर्जनों साक्ष्य लगा कर कोर्ट से मांग की की शासी निकाय अवैध हैं. इसके खिलाफ विश्वविद्यालय द्वारा नामित जनप्रतिनिधि सदस्य व विधान पार्षद संतोष कुमार सिंह, सरकारी सदस्य व मोहनिया एसडीएम राकेश कुमार सिंह तथा विश्वविद्यालय प्रतिनिधि डॉ ओमप्रकाश राय को उस सयुंक्त पत्र का हवाला दिया, जो विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम से संबोधित था. 15 जनवरी 2024 को दिये गये इस सयुंक्त आवेदन के बावजूद विश्वविद्यालय ने कोई करवाई नहीं की. एक वर्ष बाद सात जनवरी 2025 को विश्वविद्यालय ने यह स्वीकार किया कि शासी निकाय ने अध्यक्ष और सचिव का पद रिक्त हैं. प्रभारी प्राचार्य शिक्षक प्रतिनिधि व भूमि दानदाता सदस्य का अनुमोदन प्राप्त नहीं हैं. राजभवन को भेजे गये इस आशय के पत्र के बाद यह स्पष्ट हो गया इस महाविद्यालय में पिछले डेढ़ दो वर्षो से अवैध ढंग से शासी निकाय चल रही थी. # हाइकोर्ट के निर्देश पर राजभवन ने गठित की थी कमेटी भूमिदाता परिवार के सदस्य द्वारा दायर किये गये काउंटर एफिडेविट में लगाये गये साक्ष्य को देखकर हाइकोर्ट ने राजभवन को फ्रेश कमेटी बना कर जांच करने का निर्देश दिया था. हाइकोर्ट ने यह आदेश 12 सितंबर 2024 को दिया था, जिसमे दो सप्ताह के अंदर कमेटी का गठन कर अगले चार सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट हाइकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. इस पर 24 दिसंबर 2024 को राजभवन ने उच्च स्तरीय जांच टीम का गठन किया, जिसमें दो विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा एक विश्व विद्यालय के वित्तीय सलाहकार को शामिल किया गया और एक महीने के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी गयी, लेकिन एक माह बीतने के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई. इस मामले की पांच फरवरी को हुई सुनवाई के फौरन बाद राजभवन ने 9 फरवरी को महाराणा प्रताप कॉलेज में जांच कमेटी भेजने का फैसला लिया. # जांच कमेटी ने 12 लोगों से की मुलाकात महाराणा प्रताप कॉलेज में पहुंची जांच कमेटी ने 12 लोगों से मुलाकात की. तीन सदस्यीय जांच कमेटी के समक्ष 12 लोग प्रस्तुत हुए, जिनपर आरोप था उनमें पूर्व प्राचार्य डॉ अनिल कुमार, शिक्षा विद डॉ विजेंद्र नारायण सिंह व प्रभारी प्राचार्य डॉ शंभु नाथ सिंह उपस्थित हुए. इसके साथ ही भूमिदाता परिवार की ओर से संतोष कुमार सिंह, कौशलेंद्र प्रताप सिंह तथा रंजन कुमार सिंह ने अपनी बात कमेटी के सामने रखी. शिक्षक संघ की ओर से संघ के अध्यक्ष डॉ लक्ष्मण शरण सिंह, उपाध्यक्ष डॉ महातिम सिंह और कोर कमेटी के सदस्य डॉ वृजेंद्र कुमार सिंह ने आवेदन दिया. इसमें एक वर्ष से बंद वेतन को शीघ्र चालू कराने का अनुरोध किया गया है. शिक्षक संघ की यह बात सुन कर जांच कमेटी के सदस्य दंग हो गये, आखिर वेतन खाता को कैसे बंद किया जा सकता है. जांच कमेटी के सदस्यों ने आश्वस्त किया की हमलोग खाता शीघ्र ही शुरू करने का अनुशंसा करेंगे, अंत में कॉलेज के पूर्व तीन कर्मियों ने जांच कमेटी को आवेदन दिया. इनसेट :- एक ही संस्था का दो टैन व दो पैन का दिया साक्ष्य मोहनिया शहर. एमपी कॉलेज में जांच करने पहुंची जांच कमेटी के समक्ष भूमिदाता परिवार के सदस्यों ने अपने आवेदन के साथ एक ही संस्था का दो टैन तथा दो पैन का साक्ष्य प्रस्तुत किया. आवेदन में यह लिखा गया है कि महाराणा प्रताप कॉलेज एक ही संस्था है. बावजूद इसका दो टैन व दो पैन कैसे बना दिया गया है. जानकार बताते है कि संस्था के जन्म तिथि के आधार पर ही टैन और पैन नंबर जारी किया जाता है. आवेदन में भूमिदाता परिवार के सदस्यों ने इसको गंभीर मामला बताते हुए इसकी गहराई से जांच करने का अनुरोध किया. आवेदन में वित्तीय अनियमितता तथा अवैध नियुक्ति पर सवाल उठाये गये हैं. अब देखना है कि जांच कमेटी हाइकोर्ट में कैसी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है.

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