अंतरराज्यीय बस अड्डा में महिलाओं के लिए टॉयलेट की भी सुविधा नहीं, होती फजीहत
प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा मोहनिया का अंतरराज्यीय बस अड्डा अपनी बदहाली व बेबसी पर आंसू बहा रहा है. गंदगी व कुव्यवस्था इस बस अड्डा की पहचान बन चुकी है
मोहनिया सदर. प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा मोहनिया का अंतरराज्यीय बस अड्डा अपनी बदहाली व बेबसी पर आंसू बहा रहा है. गंदगी व कुव्यवस्था इस बस अड्डा की पहचान बन चुकी है. इस बस अड्डा में सार्वजनिक शौचालय के बाहर मुख्य द्वार पर दोनों तरफ पेशाब का जमाव लगा हुआ है, उसी टाॅयलेट पर पुरुष वर्ग खड़े होकर किसी तरह अपनी नाक बंद करके टाॅयलेट करते हैं, जबकि महिलाओं के लिए टाॅयलेट की कोई सुविधा बस अड्डा में उपलब्ध नहीं है. जबकि, आवश्यकता पड़ने पर सार्वजनिक शौचालय के बाहर मुख्य द्वार के दोनों तरफ खड़ा होकर टाॅयलेट कर रहे पुरुषों के बीच से होकर यात्री महिलाओं को उक्त शौचालय तक विवश होकर शर्मसार होते पहुंचना पड़ता है. इसके अलावा टाॅयलेट के लिए महिला यात्रियों के पास दूसरा कोई अन्य विकल्प नहीं है. जबकि, इस बस अड्डा से बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे दूरदराज क्षेत्र सहित कई जगहों के लिए बसें मिलती हैं. इस अंतरराज्यीय बस अड्डा में टॉयलेट की सबसे बड़ी समस्या का सामना महिलाओं को करना पड़ता है, पेशाब की थैली में तीन वाल्व (लेयर) होते हैं पेशाब को अधिक समय तक रोक कर रखने से किडनी से संबंधित कई रोगों का सामना करना पड़ सकता है. पेशाब में यूरिक एसिड और कैल्शियम आक्सिलेट होता है यदि पेशाब को अधिक समय तक रोक कर रखा जाता है तो पथरी का खतरा भी बढ़ जाता है. बाहर में टाॅयलेट की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने से सबसे अधिक समस्या महिलाओं को होती है, जिससे ये यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का शिकार हो जाती है इससे किडनी फेलियर का खतरा भी बढ़ जाता है. # टाॅयलेट के पास दुर्गंध लोगों को करती है परेशान बस अड्डा में जिस स्थान पर लोग खुले में पेशाब करते हैं, वहां गंदगी का इतना जमाव हो गया है कि उससे निकलती दुर्गंध आसपास के दुकानदारों, यात्रियों सहित सामने से होकर गुजरने वालों को भी कुछ समय तक के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है. इसके बावजूद लोग विवश होकर दुर्गंध का सामना करते हैं. वहीं, सार्वजनिक शौचालय के आगे जिस स्थान पर लोग खुले में टाॅयलेट करते है, उसके बगल में ही रामगढ़, नुआंव, दुर्गावती, वाराणसी व सासाराम के लिए बसें खड़ी रहती हैं. सर्विस सड़क के किनारे लोग करते हैं टाॅयलेट मोहनिया की ह्दय स्थली के नाम से प्रसिद्ध चांदनी चौक के दक्षिणी व उत्तर सर्विस सड़क का दोनों किनारा टाॅयलेट से भरा पड़ा है पेशाब बहता हुआ सड़क पर पहुंचता है, रात तो दूर दिन के उजाले में लोग इस अतिव्यस्ततम चांदनी चौक के दोनों सर्विस सड़क के किनारे पेशाब करते हैं, जबकि चांदनी चौक पर ओवरब्रिज के नीचे दिन रात पुलिस व नगर प्रशासन के कर्मी उपस्थित रहते हैं, लेकिन ये लोग भी क्या करें, कहीं लोगों के टाॅयलेट करने के लिए कहीं भी उचित प्रबंध नही किया गया है, जिसका नतीजा है कि लोग खुले में टॉयलेट करते हैं. नगर कर्मियों द्वारा टाॅयलेट से निकलने वाली दुर्गंध से लोगों को बचाने के लिए प्रतिदिन सुबह में दोनों सर्विस सड़क के किनारे किये गये टॉयलेट पर चूना व ब्लिचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाता है, जो नाकाफी है. # सर्विस सड़क के नालों पर बने पेशाब घरों का मिट गया नामोनिशान चांदनी चौक की दोनों सर्विस सड़क की बगल से गुजरे नालों पर लगभग एक दशक पहले उस समय नगर पंचायत के चेयरमैन रहे अज्ञेय बिक्रम बोस्की द्वारा दर्जनों की संख्या में पेशाब घर बनवाया गया था, जिसका प्रयोग लोग टाॅयलेट के लिए करते थे. उस समय उक्त नालों पर लगभग 50 मीटर की दूरी के बीच पेशाब घर बना हुआ था, जिसका परिणाम था कि लोग इधर उधर खुले में पेशाब नहीं करते थे. दोनों सर्विस सड़क के किनारे साफ सफाई रहती थी, ऐसा भी नहीं है कि सभी लोग खुले में टाॅयलेट करके गंदगी फैलाना चाहते है, लेकिन टाॅयलेट की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने की वजह से कुछ लोगों की मजबूरी बन गयी है खुले में पेशाब करना. # कहां गये मोबाइल टायलेट? टाॅयलेट की सुविधा के अभाव में लोग खुले में जहां तहां टाॅयलेट नहीं करें इसके लिए नगर प्रशासन द्वारा लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लगभग 72 लाख रुपये की लागत से छह मोबाइल टॉयलेट की खरीद किया गया था, जिसमें एक चलंत टाॅयलेट को कुछ दिनों तक चांदनी चौक महाबीर मंदिर के पीछे कुछ दूरी पर खड़ा किया गया था. लेकिन, कुछ ही महीनों बाद उक्त स्थान से मोबाइल टाॅयलेट को हटवा दिया गया. इनमें से एक मोबाइल टायलेट को अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय परिसर में उपयोग के लिए रखा गया है, शेष पांच मोबाइल टाॅयलेट उचित देखरेख व उपयोग के बिना अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं. # क्या कहते हैं लोग 1- अंवारी के रहने वाले प्रकाश गुप्ता ने कहा कि बस अड्डा में बना पेशाब घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है. लोग बाहर में पेशाब करते है. इससे निकलने वाली दुर्गंध ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. यहां से कई राज्यों के लिए बसें मिलती है, इसके बावजूद इस अंतरराज्यीय बस अड्डा में टाॅयलेट की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है. 2- कौड़ीराम के राहुल कुमार सिंह ने कहा कि सार्वजनिक शौचालय के आगे यूरिनल बनाया गया है, जो क्षतिग्रस्त है. पेशाब जमा हुआ है लोग मजबूरी में पेशाब पर पेशाब करते हैं. छीटे कपड़े पर पड़ते हैं. सार्वजनिक शौचालय के सामने दोनों तरफ पुरुष टाॅयलेट करते हैं. शौचालय में जाने के लिए महिलाओं को पेशाब करते पुरुषों के बीच से शर्मसार होते हुए गुजरना पड़ता है, जो मानव समाज के लिए बेहद शर्मनाक है. 3- सासाराम के रहने वाले नीतीश कुमार ने कहा कि इस अंतरराज्यीय बस अड्डा की जितनी भर्त्सना की जाये कम है. यात्री प्रतिक्षालय में भी शराब की खाली पैकेट व कूड़ा, कचरा का अंबार लगा हुआ है, यहां बैठना तो दूर सांस लेना मुश्किल हो रहा है. टाॅयलेट में तो पेशाब का जमाव इस कदर है कि क्या कहा जाये. शौचालय के बाहर दोनों तरफ लोग खुले में पेशाब कर रहे हैं, उनके बीच से होकर महिलाएं सार्वजनिक शौचालय में जा रही हैं, इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है # बोले इओ इस संबंध में पूछे जाने पर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी सुधांशु कुमार ने कहा कि मोबाइल टाॅयलेट तो खराब हो गया है एक चालू अवस्था में है. आरडब्ल्यूडी कार्यालय के समीप डीलक्स शौचालय के निर्माण की प्रक्रिया टेंडर में है. इसमें महिला व पुरुष के लिए तीन-तीन सीट शौचालय के लिए रहेगा. यूरिनल की व्यवस्था उसी में अलग से रहेगी.
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