मोहनिया में एक भी महिला काॅलेज नहीं, कैसे होगा उच्च शिक्षा का सपना साकार

मोहनिया में अब भी सरकारी या गैर सरकारी महिला कॉलेज नहीं है, जिसका नतीजा है कि इंटरमीडिएट व स्नातक की पढ़ाई किसी तरह करने के बाद परिजनों की विवशता होती है

By Prabhat Khabar News Desk | May 24, 2024 8:44 PM
an image

मोहनिया सदर. सरकार भले ही महिला सशक्तीकरण की बात करती है, बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, लेकिन अनुमंडल मुख्यालय मोहनिया में सरकार की सभी घोषणाएं सिर्फ एक हाथी का दांत बनकर ही रह जाती है. मोहनिया में अब भी सरकारी या गैर सरकारी महिला कॉलेज नहीं है, जिसका नतीजा है कि इंटरमीडिएट व स्नातक की पढ़ाई किसी तरह करने के बाद परिजनों की विवशता होती है वे अपनी बेटियों की पढ़ाई छुड़ाकर उनको अपने घरों में बैठा देते है. वहीं, जो संपन्न वर्ग के लोग हैं, वह अपनी बेटियों को वाराणसी, पटना सहित अन्य जगहों पर उच्च शिक्षा के लिए भेजने में कामयाब है. लेकिन, निम्न और मध्यम वर्गीय लोग जो अपने दिल में यह सपना संजोये रखते हैं कि वह अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलायेंगे, लेकिन उनका सपना साकार नहीं हो पता है. क्योंकि, वह अपनी बच्चियों को उच्च शिक्षा के लिए इतना दूर भेजने में सक्षम नहीं है, जिसका नतीजा है की बच्चियों की भावनाएं भी कुंठित हो जाती हैं. सबसे दुख की बात तो यह है कि इसी सासाराम संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होकर भारत की प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष के पद पर मीरा कुमार विराजमान रही हैं, लेकिन उनका ध्यान भी बेटियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाने की तरफ इनायत नहीं हुई. मोहनिया के स्वर्णिम इतिहास में पहली बार महिला विधायक बनी संगीता कुमारी ने राजद सरकार में मोहनिया में महिला महाविद्यालय के निर्माण के लिए सदन में अपनी आवाज बुलंद किया, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गयी और वह भी अपना पाला बदलकर एनडीए सरकार में शामिल हो गयी. यहां से कई विधायक व सांसद ने प्रतिनिधित्व किया, लेकिन बेटियों की उच्च शिक्षा के प्रति किसी ने कोई ठोस पहल नहीं की. # महिलाओं की उच्च शिक्षा के प्रति किसी का सरोकार नहीं बेटियों के उच्च शिक्षा को लेकर तरह-तरह की हवा हवाई घोषणाएं की जाती है, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ अलग ही होती है. यदि मोहनिया की बात करें तो यहां से लोकसभा व विधानसभा का चुनाव जीत कर जाने वाले हमारे राजनेता चाहें वो सांसद छेदी पासवान हो, पूर्व विधायक निरंजन राम हो या फिर पूर्व में सासाराम संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीत कर लोकसभा अध्यक्ष रही मीरा कुमार हो, किसी ने भी आज तक मोहनिया में महिला काॅलेज के निर्माण के लिए अब तक कोई ठोस पहल नही की है. जब बेटियों के लिए काॅलेज की अलग सुविधा ही नहीं होगी, तो बेटियां भला कैसे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं. आजादी के बाद से अब तक मोहनिया में इकलौता गर्ल्स हाई स्कूल है, जिसे लोग प्रोजेक्ट शांति बालिका उच्च विद्यालय के नाम से जानते हैं. इसके अलावा बच्चियों के लिए अलग कोई भी विद्यालय या काॅलेज नहीं है, जबकि यह अनुमंडल मुख्यालय है. # 107200 महिलाओं में से 53823 ही साक्षर यदि हम वर्ष 2011 की जनगणना से प्राप्त आकड़ों पर नजर डाले, तो प्रखंड में महिलाओं की आबादी का आधा भाग ही साक्षर है. यहां महिलाओं की कुल जनसंख्या 107200 है. इनमें यदि हम उच्च शिक्षा नहीं बल्कि सिर्फ साक्षर महिलाओं की बात करें, तो इनकी संख्या 53823 है. इससे आप स्वत: समझ सकते है कि मोहनिया में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का स्तर क्या है? ऐसे में यहां एक भी महिला काॅलेज का न होना शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं के लिए कितना बाधक हो सकता है. यह आज किसी से छिपा नहीं है. एक तरफ जहां सरकार और हमारा शिक्षित वर्ग कहता है कि उसी देश व राज्य का विकास पूरी तरह संभव है, जहां की महिलाएं अधिक शिक्षित होगी. शिक्षा का सही स्थान उच्च शिक्षा है, न की साक्षरता. ऐसी स्थिति में जहां की महिलाओं की उच्च शिक्षा को लेकर हमारा शासन व प्रशासन निष्क्रिय हो, तो विकास की कल्पना करना भी बेइमानी होगा. उसी समाज का विकास तेजी से होता है, जहां की महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलती हैं और यह तभी संभव है, जब वे उच्च शिक्षा ग्रहण करेंगी. # क्या कहतीं हैं छात्राएं – मोहनिया की रहने वाली जूही कुमारी कहती है कि बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करना बहुत कठिन है. क्योंकि, मोहनिया में एक भी महिला काॅलेज नहीं है, जहां उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया जा सके. – मोहनिया निवासी अनुराधा पटेल कहती है कि यहां महिला काॅलेज नही होने से महिला वर्ग को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्रशासन व हमारे सांसद व विधायक को महिला काॅलेज बनवाने के लिए पहल करनी चाहिए. -खुशी किड्स प्ले विद्यालय मोहनिया की डायरेक्टर रीतु सिंह कहती है कि आज के परिवेश में बच्चियों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेजना बहुत कठिन है. इसके लिए महिलाओं को सशक्त होना बहुत जरूरी है. मोहनिया जैसी जगह में महिला काॅलेज का न होना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है. जब काॅलेज ही नहीं रहेंगे, तो महिलाएं उच्च शिक्षा पायेंगी कैसे? – मोहनिया निवासी मनीषा कुमारी कहती है कि मोहनिया जैसे जिले के क्रीम स्थान पर एक भी महिला काॅलेज का नहीं होना बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है. यही कारण है कि यहां महिलाओं की उच्च साक्षरता का स्तर काफी नीचे है. मैं यहां के प्रशासन, सांसद व विधायक से मांग करती हूं कि छात्राओं के भविष्य के उत्थान के लिए यहां महिला काॅलेज खोला जाना आवश्यक है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version