पहाड़ी क्षेत्रों में पीने के पानी को लेकर मचा हाहाकार
In dozens of villages situated at the foot of the mountain under the block area, there is an outcry among the villagers and cattle rearers for drinking water as soon as the month of April begins
रामपुर. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पहाड़ की तलहटी में बसे दर्जनों गांवों में अप्रैल माह शुरू होते ही पीने के पानी के लिए ग्रामीण सहित पशुपालकों के बीच हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में जहां दर्जनों वार्डों में सात निश्चय योजना से बने नल जल योजना से सैकड़ों लीटर पानी पाइप फटने से गली, सड़क व नाली में बह कर बर्बाद हो रहा है. भीतरीबांध वार्ड दो व तीन में लगाये गये नलजल का पाइप फट कर हजारों लीटर पानी भीतरीबांध मुख्य मार्ग पर बह रहा था, जिससे ग्रामीणों को आने जाने में हो रही परेशानी तो दूर की बात, पीने के पानी को लेकर भी लोग समस्या से जूझ रहे हैं. गौरतलब है कि एक तरफ जहां सरकार जल संचयन को ले अनेकों कार्यक्रम चला रहे हैं, वही भीतरीबांध गांव में नल जल योजना के तहत नल का पाइप जगह जगह टूट जाने से पानी तो बर्बाद हो ही रहा है, साथ ही साथ पीसीसी सड़क भी पानी का जमाव होने से खराब हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि नलजल योजना पूर्ण हुई, तो कुछ ही दिन बाद तीन-चार माह से टंकी का मुख्य सप्लाई पाइप फट गया, जिससे सड़क पर पानी बहना शुरू हो गया है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. पहले पंचायती राज द्वारा निरीक्षण कर वार्डों में मरम्मत होती थी, लेकिन जब से पीएचडी के सुपुर्द किया गया है, तब से स्थिति बदतर हो गयी है. कोई भी पदाधिकारी सुधी लेने नहीं आ रहा है. लोगों ने कहा नलजल में घोर लापरवाही की गयी है, गली व घरों में जो नल व पाइप लगाया गया है वह भी लो क्वालिटी का लगाया गया है. हमलोग इसका विरोध करते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. किसी तरह घालमेल कर नलजल योजना पूरी कर दी गयी. इसकी हालत सामने ही देखने को मिल रही है. दरअसल, यह माजरा एक पंचायत के वार्डों के नहीं, बल्कि दर्जनों गांवो में लो क्वालिटी के पाइप व नल लगाने की बात ग्रामीणों द्वारा कहते सुनी जा रही है. इधर, अप्रैल माह शुरू होते ही गांव तो गांव पहाड़ की तलहटी में बसे गांव के लोग पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे है. मवेशियों की तो बात दूर खुद की प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है. गांव में किसी के यहां सबमर्सिबल लगा है, तो पीने को पानी मिल रहा है. जबकि, चापाकल की तो बात ही करनी बेमानी है. पहाड़ के तलहटी में बसे सामुदायिक भवन भीतरीबांध, आदमापुर, बरांव, लालापुर सहित दर्जनों गांवों में सरकारी चापाकल मरम्मत के अभाव में बंद पड़े हैं. ग्रामीणों ने बताया हमलोग के गांव सहित क्षेत्र में लेयर भागना शुरू हो गया है. इससे हमलोग के घर में लगा चापाकल घंटों प्रयास करने पर रुक रुक कर पानी दे रहा है. हमलोग पीने के लिए पानी तो काफी प्रयास के बाद मिल जा रहा है, लेकिन मवेशियों को लेकर काफी परेशानी से जूझ रहे हैं. कोसों दूर ले जाकर दुर्गावती नदी या किसी के निजी पोखरे में मवेशियों जा प्यास बुझाया जा रहा है. इस समस्या को लेकर जब पीएचडी एसडीओ सौरभ झां से संपर्क किया गया, तो कहा कि इसकी हमको जानकारी नहीं है किसी द्वारा कंप्लेंट नहीं किया गया है, अगर ऐसी समस्या है, तो सभी नलजल व चापाकल की मरमम्त करायी जायेगी.