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ट्रांसफाॅर्मर जलने से दर्जनों किसानों के 80 एकड़ की खेती प्रभावित

हनुमान घाट के निकट मकरीखोह मौजा अंतर्गत रोपाढ़ बधार में ट्रांसफॉर्मर जलने से पिछले करीब पांच सालों से उद्वह सिंचाई योजना बंद पड़ी है, जिससे दर्जनों किसानों के करीब 80 एकड़ भूमि की खेती प्रभावित रही है

भगवानपुर. हनुमान घाट के निकट मकरीखोह मौजा अंतर्गत रोपाढ़ बधार में ट्रांसफॉर्मर जलने से पिछले करीब पांच सालों से उद्वह सिंचाई योजना बंद पड़ी है, जिससे दर्जनों किसानों के करीब 80 एकड़ भूमि की खेती प्रभावित रही है. अब स्थिति यह है कि उक्त योजना का लाभ नहीं मिलने से संबंधित किसान धान-गेहूं की खेती करने की जगह दलहन और तिलहन की खेती करने पर विवश हैं, यहां तक कि पैदावार में भी कमी आयी है. बताया जाता है कि सर्वप्रथम 1970 में रोपाढ़ बधार में लघु सिंचाई विभाग द्वारा इस योजना का विस्तार कराया गया था. इसके अंतर्गत बगल से ही गुजरने वाली सुवरन नदी (सुवर्णा नदी) में पाइप लाइन बिछाकर इंटेक वेल (पंप हाउस) तथा ऑपरेटर रूम का निर्माण कराया गया था, तब इंटेक वेल की नदी से कुछ दूरी होने की वजह से पानी का प्रेशर कम होने के कारण यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो सकी थी. इसके बाद किसानों द्वारा इंटेक वेल (पंप हाउस) से मोटर निकालकर नदी के निकट कुएं में फीट किया गया, ताकि पानी पर्याप्त फोर्स के साथ खेतों तक पहुंच सके, लेकिन खुले कुएं में शिफ्ट किया जाने से मोटर बरसात के सीजन में बार-बार जल जाया करता था. आखिरकार विभाग द्वारा ही विगत सन 2012 में नदी के और भी ज्यादा निकट एक अन्य इंटेक वेल (पंप हाउस) का निर्माण करवाया गया, साथ ही ऑपरेटर भवन के मेंटेनेंस का भी कार्य किया गया. तब से किसानों को इस योजना का लाभ बेहतर तरीके से मिल रहा था, मगर 2019 में संबंधित विद्युत ट्रांसफाॅर्मर जल गया, तब से यह योजना बंद है. सिंचाई नाला भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो चुका है. अब संबंधित इलाके के किसानों की मांग है कि लघु सिंचाई विभाग द्वारा विद्युत विभाग से संपर्क कर जले ट्रांसफार्मर की जगह पर नया ट्रांसफार्मर रिप्लेस किया जाये, साथ ही मोटर को कुएं से निकालकर इंटेक वेल में शिफ्ट करने के साथ-साथ क्षतिग्रस्त नाले के क्षतिग्रस्त हिस्सों को पूरी तरह से दुरुस्त किया जाये, ताकि हम किसानों के सभी खेतों में पानी पहुंच सके. क्या कहते हैं किसान— –आये दिन फसलों के सिंचाई से वंचित रह रहे किसान बंटी पांडेय ने बताया कि जले ट्रांसफाॅर्मर को बदलने को लेकर मोहनिया में स्थित लघु सिंचाई विभाग के कार्यालय में कई बार लिखित गुहार लगा चुका हूं, मगर विभाग द्वारा कभी भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला. मेरा आवेदन विभागीय फाइलों में ही दबा रह गया. जबकि, सरकार का खेतों में लगी फसलों के सिंचाई को लेकर काफी जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि विभाग द्वारा हम किसानों के लिए ट्रांसफाॅर्मर को बदलकर सिंचाई कार्य बहाल करने के दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं बढ़ाया गया, तो हम सभी जिलाधिकारी के पास अपना फरियाद लेकर पहुंचेंगे. —किसान शारदा पासवान ने बताया कि लाखों रुपये खर्च करके इस योजना का विस्तार किया गया, मगर पिछले कई वर्षो से इस योजना का लाभ हम किसानों को नहीं मिल पा रहा है. यहां तक कि विभाग द्वारा ऑपरेटर भवन का भी निर्माण किया गया, मगर आज तक वहां किसी भी ऑपरेटर को बहाल नहीं किया गया. इससे इस योजना में लगाये गये लाखों की लागत को सरकारी रुपयों का दुरुपयोग कहा जाये, तो कोई गलत बात नहीं है. –किसान पूर्णमासी पासवान ने बताया कि महज एक ट्रांसफाॅर्मर के जलने से इस सिंचाई योजना का लाभ हमें पिछले कई वर्षों से नहीं मिल रहा है. पिछले पांच वर्षों से खेतों में नमी न के बराबर होने से उसके उर्वरा शक्ति पर भी बुरा असर पड़ा है, धान-गेहूं की खेती करने की तो दूर की बात है, दलहनी व तिलहनी फसलों के उत्पादन में भी अच्छी-खासी कमी आ गयी है. यदि अगले कुछ दिनों के भीतर विभाग द्वारा ट्रांसफाॅर्मर शिफ्ट कराकर इस योजना को यदि पुनः बहाल नहीं किया जाता है, तो धान की खेतों के लिए हम सभी को प्राकृतिक वर्षा पर हीं आश्रित रहना पड़ेगा. ऐसे में हम फसल उगाकर अपने घरों तक ले जा पायेंगे या नहीं, यह कहना फिलहाल काफी मुश्किल है.

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